Cyber ​​Threat Intelligence: ये है साइबर सुरक्षा का भविष्य, अपनी टीम को सीटीआई टूल्स की ट्रेनिंग इस तरह दें Read it later

Cyber ​​Threat Intelligence: डिजिटल तकनीक और सोशल मीडिया के बढ़ते प्रसार के साथ, साइबर अपराधों में तेजी से वृद्धि हो रही है। आज की डिजिटल दुनिया में हर दिन लगभग तीन लाख पचास हजार नए मैलवेयर और संभावित खतरों के प्रकरण सामने आते हैं। वर्ष 2023 में भारत में लगभग 67 प्रतिशत संगठनों ने किसी न किसी प्रकार के साइबर हमले का अनुभव किया। दुनिया भर में साइबर अपराधों से होने वाली आर्थिक हानि 6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, जो इसे वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर खतरा बनाता है। ऐसे में Cyber ​​Threat Intelligence (CTI) अपनाना पहले से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण बन गया है।

क्या है साइबर थ्रेट इंटेलिजेंस (What is Cyber ​​Threat Intelligence) :

सीटीआइ एक ऐसी तकनीक है, जिसमें डिजिटल जगत में होने वाले खतरों की जानकारी इकठ्ठा कर उस डेटा संग्रह का विश्लेषण किया जाता है। ताकि साइबर हमलों को शीघ्र रोकने और नेटवर्क पर हमला होने पर उसे सुधारने में मदद मिल सके। यह हार्डवेयर आधारित समाधान नहीं, बल्कि एक गोपनीय रणनीतिक प्रणाली है, जो साइबर सुरक्षा का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।

ऐसे अपनाएं सीटीआई (CTI) :

कंपनियां पहले मौजूदा सुरक्षा स्थिति का मूल्यांकन करें और संभावित खतरों की पहचान करें। इसके लिए साइबर सिक्योरिटी ऑडिट टूल्स (Cyber ​​Security Audit Tools) और वल्नरेबिलिटी स्कैनर्स (Vulnerability Scanners) का उपयोग करें। फिर उपयुक्त सीटीआइ टूल्स का चयन करें, जैसे थ्रेट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म व एसआइइएम सिस्टम (SIEM System)। डेटा संग्रहण और विश्लेषण की प्रक्रियाएं अपनाएं। अपनी टीम को सीटीआइ टूल्स के उपयोग की ट्रेनिंग दें। इन टूल्स को मौजूदा सुरक्षा इंफ्रास्ट्रक्चर में इंटीग्रेट करें व ऑटोमेटेड रिस्पांस सिस्टम्स (Automated Response Systems) सेटअप करें।

साइबर अटैक में कमी

सर्ट-इन की वर्ष 2023 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सीटीआई अपनाने से साइबर हमलों में 23 प्रतिशत की कमी आई। अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार अब यह कमी ३० प्रतिशत तक हो गई है।

साइबर थ्रेट इंटेलिजेंस के प्रकार (Tupes of Cyber ​​Threat Intelligence )
  • ऑपरेशनल थ्रेट इंटेलिजेंस: इसमें वर्तमान खतरों की जानकारी शामिल होती है,जिस पर तुरंत कार्रवाई करनी है।
  • स्ट्रेटेजिक थ्रेट इंटेलिजेंस: इसमें लंबे समय के साइबर खतरों के बारे में जानकारी मिलती है जैसे कि यह देखना कि कंपनी का डेटा चुराने वाली कौन-कौनसी नई तकनीकें आ रही हैं व इनसे कैसे बचा जा सकता है।
  • टेक्निकल थ्रेट इंटेलिजेंस: यह खतरों के तकनीकी विवरण देता है जैसे कि इंडिकेटर्स ऑफ कॉम्प्रोमाइज, मैलवेयर सिग्नेचर, आइपी एड्रेस आदि।
  • टेक्टिकल थ्रेट इंटेलिजेंस: इसमें उन तकनीकों व तरीकों का पता लगाया जाता है, जो साइबर हमलों के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं जैसे कि हैकर्स किस प्रकार मैलवेयर का उपयोग करते हैं।
एक्सटर्नल फायरवॉल्स जरूर लगवाएं

भारत में सरकार के स्तर पर सीटीआइ (Cyber ​​Threat Intelligence) को लेकर सर्ट-इन का गठन किया गया है, जो सक्रियता के साथ साइबर खतरों के पूर्वानुमान व इससे निपटने के तरीकों पर कार्य कर रही है। लेकिन अभी बड़ी कंपनियां भी साइबर थ्रेट इंटेलिजेंस को लेकर जागरूक नहीं है। सभी कंपनियां कम से कम एक्सटर्नल फायरवॉल व एंटी वायरस की सुविधा अपनाएं।

– विनीत वाजपेयी, साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट

 

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