Savan special mantra: सावन माह अपने आप में आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति का पर्व होता है। इस बार Sawan Somwar पर Kamika Ekadashi का महासंयोग बना है, जो वर्षों बाद देखने को मिलेगा। इस दिन भगवान शिव और लक्ष्मी-नारायण की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है।
एक साथ रखें व्रत – मिलेगा दोगुना पुण्य
इस वर्ष सावन का दूसरा सोमवार और कामिका एकादशी एक ही दिन पड़ रहे हैं। साधक दोनों व्रत एक साथ रख सकते हैं। इस दिन Shiv Puja, Ekadashi Vrat और Savan special mantra का जप जीवन में सौभाग्य और शांति का द्वार खोल सकता है।
क्यों ज़रूरी है राशि अनुसार मंत्र जाप?
हर राशि का ग्रहों और ऊर्जा से खास संबंध होता है। इसलिए अगर आप अपनी राशि के अनुसार Shiv mantra का जाप करते हैं, तो उसका असर कई गुना बढ़ जाता है। Astrology mantra इस दिन विशेष रूप से फलदायक सिद्ध होते हैं।
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राशि अनुसार शिव मंत्र और उनके लाभ (Benefits of Savan Special Mantra)
मेष (Aries):
‘ॐ महाकाल नमः‘ और ‘ऊँ श्री प्रकटाय नम:’
लाभ: इन मंत्रों के जाप से मेष राशि के जातकों को मन की अस्थिरता से छुटकारा, साहस में वृद्धि और रुके हुए कार्यों में सफलता मिलती है।
वृषभ (Taurus):
‘ॐ विषधारी नमः’ और ‘ऊँ श्री हंसाय नम:’
लाभ: वृषभ राशि के लिए यह मंत्र स्वास्थ्य सुरक्षा, नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा और धन संबंधी परेशानियों को दूर करने में सहायक है।
मिथुन (Gemini Savan special mantra)
‘ॐ विश्वनाथ नमः’ और ‘ऊँ श्री प्रभवे नम:’
लाभ: मिथुन राशि वालों को इन मंत्रों से बौद्धिक क्षमता में वृद्धि, आत्मविश्वास और करियर में स्थिरता मिलती है।
कर्क (Cancer):
‘ॐ अनादिदेव नमः’ और ‘ऊँ श्री श्रीपतये नम:’
लाभ: इस मंत्र का जाप पारिवारिक शांति, मानसिक सुकून और भावनात्मक संतुलन लाने में मदद करता है।
सिंह (Leo Savan special mantra)
‘ॐ उमापति नमः’ और ‘ऊँ श्री सुरेशाय नम:’
लाभ: सिंह राशि के लिए ये मंत्र मान-सम्मान, नेतृत्व में सफलता, और आत्मबल को बढ़ाते हैं।
कन्या (Virgo):
‘ॐ विरूपाक्षाय नमः’ और ‘ऊँ श्री दयानिधि नम:’
लाभ: कन्या राशि के जातकों को यह मंत्र रोग-मुक्ति, काम में एकाग्रता और सेवा के क्षेत्र में सफलता दिलाता है।
तुला (Libra Savan special mantra)
‘ॐ शङ्कराय नमः’ और ‘ऊँ श्री चतुर्मूर्तये नम:’
लाभ: तुला राशि वालों के लिए यह मंत्र रिश्तों में सामंजस्य, दाम्पत्य जीवन में सुधार और मन के द्वंद्व से मुक्ति देता है।
वृश्चिक (Scorpio):
‘ॐ शूलपाणिने नमः’ और ‘ऊँ श्री रामाय नम:‘
लाभ: वृश्चिक राशि के जातकों को इन मंत्रों से शत्रुओं पर विजय, आत्मरक्षा शक्ति और कर्म में मजबूती प्राप्त होती है।
धनु (Sagittarius Savan special mantra)
‘ॐ शिपिविष्टाय नमः’ और ‘ऊँ श्री गोपतये नम:’
लाभ: धनु राशि वालों को यह मंत्र धार्मिक उन्नति, भाग्य वृद्धि और दूरगामी लक्ष्यों में सफलता दिलाता है।
मकर (Capricorn Savan special mantra)
‘ॐ श्रीकण्ठाय नमः’ और ‘ऊँ श्री कृष्णाय नम:’
लाभ: मकर राशि के लिए ये मंत्र व्यवसायिक सफलता, मनचाहा वर या जीवनसाथी और विलंबित कार्यों में प्रगति देते हैं।
कुंभ (Aquarius Savan special mantra)
‘ॐ भवाय नमः’ और ‘ऊँ श्री वासुदेवाय नम:’
लाभ: कुंभ राशि के जातकों को यह मंत्र भविष्य की चिंताओं से मुक्ति, मन की स्थिरता, और जीवन में उद्देश्य की प्राप्ति में मदद करता है।
मीन (Pisces):
‘ॐ शिवाप्रियाय नमः’, ‘ऊँ श्री प्राणदाय नम:’ और ‘ऊँ श्री भगवते नम:’
लाभ: मीन राशि के लिए यह मंत्र आध्यात्मिक जागृति, भक्ति में गहराई, और जीवन में दिव्यता का अनुभव कराता है।
Savan Somwar का आध्यात्मिक और आर्थिक महत्व
यदि आप जीवन में economic struggle, मानसिक चिंता या रिश्तों में कड़वाहट जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो सावन सोमवार पर Savan special mantra का जाप आपको सकारात्मकता, मन की शांति और शिव कृपा दिला सकता है।
क्या करें सावन सोमवार के विशेष दिन?
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें
शिवलिंग पर जल, बेलपत्र और दूध अर्पित करें
व्रत के नियमों का पालन करें
अपनी राशि अनुसार zodiac special mantra का जाप करें
संध्या के समय दीप जलाकर आरती करें
भगवान शिव के तीन नेत्र: चेतना, ज्ञान और ऊर्जा का स्रोत
भगवान शिव को त्रिनेत्रधारी कहा जाता है क्योंकि उनके तीन नेत्र होते हैं। तीसरा नेत्र spiritual wisdom, inner vision, और consciousness का प्रतीक माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब शिव अत्यधिक क्रोधित होते हैं, तब उनका तीसरा नेत्र खुलता है और सृष्टि में हाहाकार मच जाता है।
एक कथा के अनुसार, तीसरा नेत्र खुलते ही कामदेव का दहन हो गया था। यह नेत्र सिर्फ विनाश का नहीं, बल्कि गहन ज्ञान और अंतर्दृष्टि का भी संकेत है।
त्रिशूल और बेलपत्र का प्रतीकात्मक महत्व
त्रिशूल, शिव का प्रमुख अस्त्र है, जिसे त्रिलोक – आकाश, पृथ्वी और पाताल – का प्रतिनिधि माना जाता है। विभिन्न ग्रंथों के अनुसार, यह तीनों गुणों – सात्विक, राजसिक और तामसिक – का भी प्रतीक है। यह त्रिशूल संतुलन और नियंत्रण की शक्ति को दर्शाता है।
बेलपत्र, जो शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है, विशेष रूप से तीन पत्तों वाला होना चाहिए। ये तीन पत्तियां Brahma, Vishnu और Mahesh – त्रिदेव – का स्वरूप मानी जाती हैं और उन्हें समर्पित की जाती हैं।
मस्तक पर त्रिपुंड: आध्यात्मिक संतुलन का चिन्ह
भगवान शिव के मस्तक पर जो त्रिपुंड होता है, वह तीन क्षैतिज रेखाओं से बना होता है। यह तीन लोकों – भूलोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक – के साथ-साथ आध्यात्मिक (Spiritual), भौतिक (Physical) और दैविक (Divine) अनुभवों का प्रतिनिधित्व करता है।
त्रिपुंड न केवल एक धार्मिक चिह्न है, बल्कि यह ध्यान, अनुशासन और आत्म-ज्ञान का प्रतीक भी है, जो शिव के तपस्वी स्वरूप से जुड़ा हुआ है।
त्रिपुंड तिलक में वास करते हैं 27 देवता
भगवान शिव के मस्तक पर लगाया जाने वाला त्रिपुंड तिलक केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि 27 दिव्य शक्तियों का केंद्र माना जाता है। यह तिलक तीन क्षैतिज रेखाओं से बनता है और प्रत्येक रेखा में 9-9 देवता निवास करते हैं, जिनके माध्यम से 27 गुणों का संचार साधक के भीतर होता है।
क्यों जुड़ा है विवाह से त्रिपुंड का संबंध?
ज्योतिष के अनुसार विवाह में मिलाए जाने वाले गुणों की संख्या 36 होती है। लेकिन Valmiki Ramayan और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रभु श्रीराम और माता सीता ही एकमात्र जोड़ी थे जिनके 36 के 36 गुण मिले थे। सामान्य जनों के लिए 27 गुणों का मिलना Sresth Vivah Yog माना गया है, और यही 27 गुण त्रिपुंड के माध्यम से जाग्रत होते हैं।
ज्योतिषीय दृष्टि से 27 गुणों का महत्व
18 गुण मिलना – सामान्य योग
21 गुण मिलना – मध्यम योग
27 गुण मिलना – श्रेष्ठ विवाह योग
इन गुणों का प्रभाव Shiv Tilak के माध्यम से जीवन में सकारात्मकता और वैवाहिक संतुलन लाने में सहायक होता है।
त्रिपुंड तिलक के चमत्कारी लाभ (Benefits of Tripund Tilak)
त्रिपुंड तिलक को प्रसाद रूप में मस्तक पर धारण करने से Marital Problems, delayed marriage और Graha Dosh से मुक्ति मिलती है।
यह तिलक negative energy, bhoot pret badha जैसी शक्तियों को दूर रखता है।
शिव की कृपा साधक पर सदैव बनी रहती है जिससे जीवन में success and positivity का वास होता है।
व्यक्ति के अवगुणों में कमी आती है और उसका व्यक्तित्व अधिक प्रभावशाली बनता है।
त्रिपुंड तिलक लगाने का सही तरीका (How to Apply Tripund Tilak Properly)
सबसे पहले त्रिपुंड तिलक भगवान शिव को अर्पित करें, फिर स्वयं मस्तक पर लगाएं।
तिलक लगाने से पहले snan (bath) करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
तिलक लगाते समय मुख उत्तर दिशा की ओर रखें।
तिलक लगाते समय ring finger (अनामिका), middle finger (मध्यमा) और thumb (अंगूठा) का प्रयोग करें।
बाईं आंख से दाईं आंख तक तीन क्षैतिज रेखाएं खींचें।
ध्यान रखें कि त्रिपुंड का आकार दोनों आंखों के मध्य तक सीमित रहना चाहिए, इससे Shiv Shakti की ऊर्जा नियंत्रित रूप से कार्य करती है।
🕉️ शिवजी की आरती
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…
एकानन चतुरानन पंचानन राजे,
हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव ओंकारा…
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे,
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय शिव ओंकारा…
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी,
चंदन मृगमद सोहे भाल शशिधारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा…
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे,
सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ॐ जय शिव ओंकारा…
कर में कमंडल चक्र त्रिशूलधारी,
सुखकारी दुःखहारी जगपालन कारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा…
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका,
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका॥ ॐ जय शिव ओंकारा…
त्रिगुणस्वामी की आरती जो कोई नर गावे,
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपत्ति पावे॥ ॐ जय शिव ओंकारा…
🙏 पार्वती माता की आरती
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभफल की दाता॥ जय पार्वती माता…
अरिकुल पद्म विनाशिनि, जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता॥ जय पार्वती माता…
सिंह वाहन विराजित, कुण्डल शोभाता।
देववधु जस गावत, नृत्य करत ताथा॥ जय पार्वती माता…
सतयुग रूप सुशोभित, नाम सती कहलाता।
हेमांचल घर जन्मी, सखियों संग राता॥ जय पार्वती माता…
शुम्भ-निशुम्भ विनाशिनि, महिषासुर घाता।
सहस्त्र भुजा तनु धर, चक्र लिए हाथा॥ जय पार्वती माता…
सृष्टि रूप तू ही जननी, शिवसंग रंगराता।
नंदी भृंगी साथ लिए, सारा जग मदमाता॥ जय पार्वती माता…
देवों ने की वंदना, भक्ति भाव लाता।
गावत दे-दे ताली, मन अनुराग पाता॥ जय पार्वती माता…
प्रतापमयी आरती जो कोई नर गाता।
सदा सुखी नित्य रहता, सुख-सम्पत्ति पाता॥ जय पार्वती माता…
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अस्वीकरण:
इस लेख में प्रस्तुत उपाय, लाभ, मंत्रों का जाप, और अन्य धार्मिक अथवा ज्योतिषीय सुझाव केवल आम जनसूचना के उद्देश्य से दिए गए हैं। थम्सअप भारत न्यूज़ मीडिया इस लेख में वर्णित किसी भी दावे, सलाह या विचार का समर्थन नहीं करता है। लेख में शामिल जानकारी विभिन्न धार्मिक ग्रंथों, ज्योतिषीय मतों, परंपराओं, पंचांग, प्रवचनों और लोकविश्वासों से संकलित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इस जानकारी को अंतिम निर्णय का आधार न बनाएं और स्वयं की समझ और विवेक का प्रयोग करें। थम्सअप भारत न्यूज़ मीडिया किसी भी प्रकार के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है और ऐसे विश्वासों से सतर्क रहने की सलाह देता है।
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