why is Facebook parent cutting jobs : हिमांशु दो दिन पहले भारत से कनाडा मेटा में शामिल हुए थे, अनिका पटेल मैटरनिटी लीव पर थीं। बच्चे को नींद नहीं आ रही थी इसलिए वह सुबह चार बजे उठ गई। जब उन्होंने मेल चेक किया तो पता चला कि नौकरी निकाल दी गई है।
हिमांशु और अनिका उन 11,000 लोगों में शामिल हैं, जिनकी मेटा में छंटनी में नौकरी चली गई। ये कंपनी फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसी सेवाएं मुहैया कराती है और फिलहाल मेटावर्स बनाने में लगी हुई है, अभी इसका नाम मेटा है‚ पहले इस इस कंपनी को फेसबुक के नाम से जाना जाता था।
इसके फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने महसूस किया है कि भविष्य मेटावर्स का है जो एक तरह की वर्चुअल दुनिया होगी, इसलिए उन्होंने अभी से ही नाम बदलकर मेटा कर दिया।
इस बारे में यानी मेटावर्स के बार में आपको कई आर्टिकल्स मिल जाएंगे। फिलहाल ये बात करते हैं कि इन धन कुबेर आईटी कंपनियों में ऐसा क्या हो गया जो इनको बड़े स्तर पर छंटनी करनी पड़ रही है।
मेटा में 5 साल पहले 25 हजार कर्मचारी थे जो कोरोना के बाद बेतहाशा हायरिंग के बाद 87 हजार हो गए
Facebook parent cutting jobs: एक आंकड़े के मुताबिक मेटा में 87 हजार कर्मचारी हैं, पांच साल पहले ये आंकड़ा करीब 25 हजार कर्मचारियों का हुआ करत था। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि कर्मचारियों की संख्या तीन गुना से ज्यादा बढ़ गई है। कंपनी की इनकम भी उसी अनुपात में यानीकि करी ट्रिपल टाइम्स बढ़ गई‚ लेकिन पिछले छह माह में इनकम में बड़ी गिरावट देखी गई है।
दरअसल कोरोना पैनडेमिक के कारण लॉकडाउन हुआ तो लोग इंटरनेट पर ज्यादा समय गुजारने लगे थे। ऐसे आईटी कपिनियों को ये लगने लगा कि लोग अब हमेशा ही ऑनलाइन समय ज्यादा बिताएंगे।
इसलिए कंपनियों ने हजारों लोगों को नौकरी पर रख लिया। आईटी कंपनियों को क्या पता था कि लोग वर्चुअल दुनिया से इतने बोर होने लगेंगे अब वे एक्चुअल फिजिकल एक्टिविटी का रुख करेंगे और ऐसा ही हुआ। मार्क जुकरबर्ग का कहना है कि उनसे गलती हो गई थी। लॉक डाउन खत्म होने के बाद से लोग डिजिटल दुनिया से बाहर निकलने लगे। इधर टिक टॉक ने अमेरिका में मेटा का अलग से जीना हराम कर रखा है।
यूजर्स शॉर्ट वीडियो देखना और क्रिएट करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। जुकरबर्ग इंस्टाग्राम और फेसबुक में रील चालू करके टिक-टॉक को बीट करने की कोशिशें जारी रखे हुए हैं। वहीं अमेरिका के साथ ही पूरी दुनिया में मंदी के बादल छा रहे हैं। यही कारण है कि मेटा के रेवेन्यू के सबसे बड़े सॉर्स ऑनलाइन एड में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है।
मेटावर्स को लेकर मार्क जुकरबर्ग की धुन या कहें पागलपनॽ
मेटा को इन दिनों हो रहे बड़े घाटे क बड़ी वजह मेटावर्स को लेकर मार्क जुकरबर्ग की धुन या कहें पागलपन भी है। वे मेटावर्स पर सालाना 10-12 अरब डॉलर लुटा रहे हैं। उनकी सोच है कि भविष्य मेटावर्स की मायावी दुनिया का ही है। यह दुनिया आखिर कैसी होगी ये अभी स्पष्ट नहीं है।
जुकरबर्ग की सोच को सही ठहराने वाले लोग इस इनोवेश का कंपेरिजिन 20 साल पहले से करते हैं‚ लोगों का कहना है कि 20 साल पहले किसी ने ये सोचा नहीं था या कल्पना भी नहीं की होगी कि एक मोबाइल में पूरी दुनिया अंगुलियों की टिप्स पर समा जाएगी।
बीते दस साल में ट्विटर सिर्फ दो साल ही प्रॉफिट में रह पाया
एलन मस्क के ट्विटर का सर्वेसर्वा बनने के बाद अब एक अलग तरह के हालात पर बहस हो रही है। हाल ही उन्होंने ट्विटर को 44 अरब डॉलर में खरीदा इसके लिए उन्होंने कर्ज भी लिया। ये भी गौर करने की बात है कि बीते दस साल में ट्विटर सिर्फ दो साल ही प्रॉफिट में रह पाया है।
मस्क का कहना है कि हर दिन चार मिलियन डॉलर का नुकसान कंपनी को हो रहा है। घाटे को पाटने के लिए खर्चों में कमी करनी पड़ रही है। 7500 कर्मचारियों में से आधे ने अपनी नौकरी खो दी। वे आय बढ़ाने के लिए अलग से कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्होंने कहा है कि कंपनी दिवालिया हो सकती है।
करीब साल छह माह पहले विशेषज्ञों ने कहा था कि स्टार्ट-अप की दुनिया में पार्टीनेशन खत्म हो रहा है। अब ट्विटर या मेटा स्टार्ट-अप तो है नहीं‚ लेकिन मंदी की जद में ये आ ही गए। भारत की बात करें तो एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अब तक 16 हजार लोगों की नौकरी जा चुकी है।
इनमें Byju’s, Ola, unacademy , Blinkit जैसे स्टार्टअप्स शामिल हैं। दरअसल ये कहा जा रहा है कि इन कंपनियों के इन्वेस्टर्स कम होते जा रहे हैं। इन्वेस्टर्स अब ये सवाल कर रहे हैं कि आखिर प्रॉफिट कैसे होगा। ऐसे में हर कोई छंटनी के माध्यम से खर्च कम करने की जुगत में लगा पड़ा है।
हो सकता है कि आने वाले दिनों में यह ट्रेंड वायरल हो‚ इसलिए जो बड़े स्टार्टअप्स या मेटा या फिर ट्वीटर जैसी कंपनियों में हैं वो अपना माइड मेकअप पहले से कर लेवें।
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