Wipro Fires 300 Employees For Moonlighting: आईटी कंपनी विप्रो ने अपने 300 कर्मचारियों को बिना नोटिस के नौकरी से निकाल दिया है। कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष रिशद प्रेमजी (Wipro Chairman Rishad Premji) ने कहा कि ये कर्मचारी विप्रो के साथ प्रतिद्वंद्वी कंपनी में काम कर रहे थे।
प्रेमजी ने कहा, ‘यह बहुत आसान है। कर्मचारियों ने कंपनी इंटीग्रेशन को तोड़ा है। हमने उनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं।
मूनलाइटिंग का अर्थ है खुफिया रूप से एक साथ दो स्थानों पर कार्य करना। इसे साइड जॉब भी कहा जा सकता है, लेकिन कर्मचारी इसे गुप्त रखते हैं। कई आईटी और टेक कंपनियां अपने कर्मचारियों को प्रतिद्वंद्वी कंपनियों में काम करने की अनुमति नहीं देती हैं। विप्रो भी उनमें से एक है।
स्विगी में मूनलाइटिंग की परमिशन है
स्विगी ने कुछ समय पहले खुद को उद्योग की पहली कंपनी बताया था जो अपने कर्मचारियों को एक साथ दो या दो से अधिक स्थानों पर काम करने की अनुमति देती है। वहीं टेक महिंद्रा के मुख्य कार्यकारी सीपी गुरबानी ने कहा था कि उन्हें एक साथ दो जगहों पर काम करने वाले कर्मचारियों से कोई दिक्कत नहीं है।
‘कंपनी की पारदर्शिता खतरे में है’- प्रेमजी
प्रेमजी ने कहा कि यदि आप मूनलाइटिंग को परिभाषित करते हैं, तो आप पाएंगे कि कर्मचारी एक और काम बुद्धिमानी से कर रहा है। पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कर्मचारी ऑफिस में या दोस्तों से इस बारे में बात तक नहीं करते। आप किसी प्रतिद्वंद्वी कंपनी में काम करने के बारे में किसी को नहीं बताते। लेकिन, आप वीकेंड पर किसी बैंड में काम करने या कोई प्रोजेक्ट करने की बात कर सकते हैं। जाहिर है, कर्मचारी उल्लंघन के डर से कंपनी को नहीं बताते हैं।
प्रेमजी ने कहा, ‘हमने जिन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है उन्होंने कंपनी को इसकी जानकारी नहीं दी। हमारे साथ काम करते हुए किसी भी प्रतिद्वंद्वी कंपनी में काम करने वालों के लिए विप्रो में कोई जगह नहीं है। अगर प्रतिद्वंद्वी कंपनियों को भी इस बारे में पता चल जाता तो उनकी प्रतिक्रिया भी कुछ ऐसी ही होती।
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