Change the world: दुनिया के लोगों ने चेंज द वल्र्ड शब्द प्रसिद्ध लोगों से कई बार सुना है, हकिकत तो यह है कि यह पीडितों और लाचारों को उम्मीद देने का स्वांग रचना है। असल में यह शब्द रईस या शक्तिशाली लोगों की ओर से खुद के धन में बढोतरी करने का जरिया बनकर रह गया है।
जबकि बदलाव ऐसा होना चाहिए कि तरक्की सभी के लिए सम्मान हो, हालया माहौल पर नजर डालें तो ऐसा लगता है कि तरक्की पर सिर्फ अमीरों का ही अधिकार है, बडी आसानी से उन्हें तरक्की के लिए संसाधन उपल्ब्ध हो जाते हैं। दुनिया को बदलने के असल मायने यह हो सकते हैं कि आय का संतुलन कायम हों, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं सभी की पहुंच में हों। ऐसा होगा तभी सही बदलाव हो सकेगा।
हम लोग ही ऐसे मूलाधार तैयार करें कि हम व्यवस्थित तौर पर जी सकें, लोग ही नई व्यवस्था तय करें। यह भी सुनिश्चित किया जाएग कि नेता सिर्फ अपने दानदाताओं का ही खयाल न रखे बल्कि जनता की जरूरतों का भी ध्यान रखे।
इसी तरह नितियां सख्त हों तो कर्मचारियों को संरक्षण प्रदान किया जाए। ऐसी व्यवस्था हो कि कर्मचारियों को उपर्युक्त वेतन मिले ताकि वे द्रढता से परिवार का पालन पोषण कर सकें।