कोरोनाकाल में लोन किश्त नहीं दे पाए‚ हालात सुधरे तो ब्याज सहित चुकाया‚ लेकिन CIBIL SCORE अभी भी खराब है‚ जानिए कैसे सुधारें Read it later

 

How To Cibil Score Increase
फोटोः सोशल मीडिया।

How To Cibil Score Increase : यदि आप अपने लोन को समय नहीं चुकाते हैं या नहीं चुका पा रहे हैं तो आपका सिबिल स्कोर (cibil score india) खराब हो जाता है। वहीं  लंबे समय तक किश्त न चुकाने पर बैंक की ओर से आपकाे डिफाॅल्ट घोषत कर दिया जाता है। सिबिल स्कोर के बारे में ऐसे समझें की जैसे एक 12वीं का स्कूली छात्र परीक्षा में यदि अच्छे नंबर नहीं ला पाता है तो उसे कम मार्क्स के कारण उसे बेहतर कॉलेज में एडमिशन नहीं मिल पाता है। ठीक यही क्राइटेरिया सिबिल स्काेर का होता है। यानी यदि आप समय पर लोन नहीं चुकाते हैं तो  आपके डिफॉल्टर होने पर भविष्य में लोन मिलने में मुश्किलें आ सकती है। 

वहीं लोन समय पर न चुकाने पर फाइनेंस इंडस्ट्रीज में आप पर एक डिफॉल्टर होने का टैग लगा दिया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी से आपका सिबिल स्कोर (cibil score) खराब होता है और आपकी सिबिल की जानकारी हर बैंक तक पहुंच जाती है। ऐसे कोई भी बैंक आपको लोन देने से बचता है।

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सिबिल स्कोर कम होने पर लोन वैसे तो नहीं मिलता‚ यदि मशक्कत के बाद मिल  भी जाए तो बिल्कुल न लें‚ जानिए क्योंॽ

किश्ते समय पर न चुकाने से सिबिल स्कोर खराब होने के बाद एक स्थिति और बनती है। वो ये कि यदि आपके कम सिबिल स्कोर के कारण आपको लोन मिलने में मुश्किल आ रही है और उसी दौरान आपको फंड की ज्यादा जरूरत है तो आपकी इसी स्थिति का फायदा निजी फाइनेंस कपनियां और  बैंक उठाते हैं। वे आपको हाई इंटरेस्ट रेट पर लोन ऑफर करते हैं और आपको पैसों की बेहद जरूरत होती है (personal loans without cibil score) तो आप उनके इस ऑफर पर लोन ले भी लेते हैं। जिससे की आप पर कर्ज का बोझ और बढ़ जाता है।  

ऐसे में अक्सर लोगों के मन में यही प्रश्न  कोंधता है कि सिबिल स्कोर एक बार खराब हो जाए तो क्या लोन चुकाने के बाद भी क्या ये  लाइफ टाइम खराब ही बना रहता हैॽ 

क्या सिबिल स्कोर में सुधार किया जा सकता है या नहीं?

इस लेख में हम आपको इन्हीं प्रश्नों के जवाब देंगे।  ताकि उन कर्जदारों को इसका फायदा हो जो कोरोनाकाल में अपनी आर्थिक स्थिति के कारण समय पर कर्ज नहीं चुका पाए।

लेकिन अब चूंकी हालात ठीक हो चुके हैं और कई कर्जदार अपना लोन भी चुकता कर चुके हैं। फिर भी उनका सिबिल स्कोर दुरुस्त नहीं हो पाया है। ऐसे में किस तरह सिबिल को सुधार सकते हैं। इसी के बारे में आपको आगे बताते हैं।

उदाहरण के तौर पर आपने किसी जरूरत के लिए बैंक से लोन लिया। शुरुआत में आपने बैंक को नियमित तौर पर किश्तें चुका दीं। लेकिन अचानक कोरोना वायरस ने आपके आर्थिक स्थिति डामाडोल कर दी। लॉकडाउन से आपकी नौकरी गई या धंधा ठप हो गया। इस सिचुएशन में आपको किश्त पर ब्रेक लगाने के सिवा कोई चारा नहीं बचा। किश्त बंद हुई तो बैंक ने आपको डिफाॅल्टर घोषित कर दिया। 

कुछ समय बाद कोरोना का प्रकोप कम हुआ तो  आपकी आर्थिक स्थिति भी सुधरी आपने अपनी बाकि बची किश्तों को ब्याज सहित चुकता कर दिया। इसके बाद आपने लगा कि आपने ब्याज सहित किश्तें चुका कर अपने खराब सिबिल स्कोर को ठीकर लिया है‚ लेकिन ऐसा नहीं है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स के अनुसार  बैंक को सब किश्ते चुकाने के बाद भी कम से कम 2 साल तक आपका सिबिल स्कोर खराब की श्रेणी में ही रहता है। लेकिन इस दो साल के अंतराल को आप खुद कम कर सकते हैं। आगे जानिए कैसे। 

WHAT IS CIBIL SCORE?
फोटोः सोशल मीडिया।

सिबिल स्कोर क्या होता हैॽ (WHAT IS CIBIL SCORE?)

CIBIL SCORE किसी व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री की तीन डिजिट में न्यूमेरिकल समरी होती है। जो उसकी क्रेडिट प्रोफ़ाइल को दर्शाता है। क्रेडिट स्कोर एक प्रमुख मीट्रिक है जिसका उपयोग ऋणदाता जैसे बैंक और फाइनेंस एजेंसियां  लोन लेने वाले की फाइनेंशियल गुडविल को परखती हैं। 

ताकि ये जाना जा सकें कि जिसे लोन दिया जाने वाला है उसकी बैंक कितनी देनदारी है या कहीं वो किसी बैंक में डिफॉल्टर तो नहीं हैॽ आदी। सिबिल जांचने के बाद ही लोन की प्रकिया आगे बढ़ाई जाती है। यदि सिबिल खराब होती है तो लोन देने की प्रक्रिया वहीं रोक दी जाती है। भारत की चार क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में से एक सिबिल है।

हर बैंक की पहुंच तक होता है आपका सिबिल स्कोर  (Do banks check CIBIL score?)

दरअसल, सिबिल स्कोर एक ऐसा डेटा है जो हर बैंक की पहुंच तक हाेता है। सिबिल को बनाया ही इसी जानकारी के लिए है। क्याेंकि सिबिल के अस्तित्व में आने से पहले बैंकों को कर्ज लेने वाले की बैंक हिस्ट्री जानने में काफी मुश्किल होती थी। इसी वजह से सिबिल स्कोर का सिस्टम लाया गया। 

बहरहाल लौटते हैं अपने विषय पर।  जब आपका सिबिल स्कोर नेगेटिव होता है तो हर बैंक और फाइनेंस एजेंसियों में इसकी जानकारी अपडेट हो जाती है। ऐसे में जब भी आप अगली बार किसी बैंक में या फाइनेंस कंपनी में लोन अप्लाई के लिए जाते हैं तो आपसे आपका पैन नंबर पूछा जाता है और उसी के माध्यम से आपकी सिबिल चेक कर आपके नेगेटिव स्कोर का पता कर लिया जाता है। (online cibil score check by pan number)  ऐसी स्थिति में आपको या तो लोन नहीं मिलता और यदि जोर लगा कर आपको लोन मिल भी जाए तो उसकी ब्याज दर काफी हाई रखी जाती है।  

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How To Improve Cibil Score

अब सवाल है कि आप अपना सिबिल स्कोर कैसे सुधार सकते हैं (How To Improve Cibil Score)

पहले तो ये समझ लें कि आप अपने लेनदेन और क्रेडिट कार्ड या किसी अन्य बिल जो बैंक में आपकी देनदारी बनती है उसका समय पर भुगतान करते रहें। इससे आपकी सिबिल रिपोर्ट स्ट्रॉन्ग बनती है। 

 किसी भी सूरत में बिलों के पेमेंट में देरी न करें और उन्हें समय पर चुकता करें

जैसे कि क्रेडिट कार्ड का बिल हर माह पूरा चुकाएं। कई लोग पैसा बचाने के लिए मिनिमम ड्यू ही चुकाते हैं। मीनिमम ड्यू पर आपका ही लॉस होता है क्योंकि मीनिमम ड्यू के बाद जो बकाया राशि होती है उस पर ब्याज चढ़ता रहता है। यकीन मानिए क्रेडिट कार्ड का बकाया या न चुकाने पर आप सीधे तौर पर संबंधित बैंक की ही इनमक में इजाफा करते हैं और खुद कर्जदार बनते हैं। इसलिए बैंक भी शुरुआत में आपको आगाह करने से बचते हैं। इसलिए हर बिल का भुगतान समय पर करें इससे आपका सिबिल सुधरता है। 

अब ये जानें कि लंबे समय बाद बैंक का बकाया कर्ज चुकाने के बाद आपका जो सिबिल स्कोर खराब हुआ है उसे जल्दी कैसे सुधारें (How To Improve Cibil Score Quickly)

कई बार देखने में आता है कि  लोग लोन लेने और उसे समय पर चुकाने के बाद बैंक से No Objection Certificate (NOC) की मांग नहीं करते। इसका असर ये होता है कि जब आप एनओसी नहीं लेते तो संबंधित बैंक भी आपका डेटा अपडेट करने में देरी करता है और जब आपका डेटा अपडेट नहीं होता तो वो सिबिल में अपडेट नहीं हो पाता है। इस कारण आपका सिबिल स्कोर कर्ज चुकाने के बाद भी लंबे समय तक खराब ही दर्शाता है। (cibil score increase time) ऐसे में ग्राहकों को कर्ज चुकाने के बाद तुरंत एनओसी की मांग करनी चाहिए। 

यदि आप एनओसी मांग लेंगे तो बैंक भी आपकी जानकारी सिबिल तक आपका डेटा पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध होगा और आपका सिबिल में जल्द ही सुधार आ जाएगा।

 सेम यही बात क्रेडिट कार्ड पर भी लागू है। यदि आप अपना क्रेडिट कार्ड डिस्कंटीन्यू करते हैं। जैसे कार्ड को क्लोज कराते है तो फुल एंड फाइनल के समय आप एनओसी की मांग कर सकते हैं।  क्रेडिट कार्ड बंद कराने के बाद इसकी पूरी कागजी कार्यवाही आपको करनी चाहिए।  इस तरह आपका सिबिल कोर्स कुछ ही समय में दुबारा सुधर सकता है।  

ओल्ड क्रेडिट कार्ड का पेमेंट टाइम पर कर रहे हैं तो कार्ड को कभी बंद न कराएं

पुराना क्रेडिट कार्ड आपकी क्रेडिट हिस्ट्री को दर्शाता है। अपने ऋण या क्रेडिट  का रिकॉर्ड रखना आपके लिए जरूरी भी है। आपके पुराने क्रेडिट कार्ड का बिल आप लंबे अंतराल तक टाइम पर चुका रहे हैं तो ये आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ाने में सहायक साबित हो सकता है। इसमें अच्छा क्रेडिट स्कोर होने की उच्च संभावना है, जो आपको आसानी से ऋण प्राप्त करने में भी मदद करेगा।

साथ ही ये भी ध्यान रखें

असुरक्षित लोन और सुरक्षित लोन की पहचान करें और कोशिश करें की आपको असुरक्षित लोन नहीं लेना पड़े।  पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड लोन असुरक्षित लोन की श्रेणी का माना जाता है।  वहीं दूसरी ओर  कार लोन, होम लोन‚ एजुकेशन लोन आदि को सुरक्षित लोन माना जाता है।  यदि आप किसी भी तरह का लोन लेते हैं तो आपका क्रेडिट पोर्टफोलियो केंद्रित होगा जो प्रभावित होगा। इसलिए, कोशिश करें और अपने पोर्टफोलियो में सुरक्षित और असुरक्षित ऋणों का मिश्रण चुनें ताकि आपके पास एक हेल्दी क्रेडिट स्कोर मेंटेन रहे।  

Disclaimer: लेख में दी गई जानकारी और सलाह सिर्फ सामान्य सूचना के मकसद से प्रकाशित की गई हैं। किसी भी आर्थिक जोखिम से जुड़े किसी भी तरह के सवाल या परेशानी होने पर पाठकों को आर्थिक सलाहकार या निवेश विशेषज्ञ से मार्गदर्शन लेने की भरपूर सलाह दी जाती है।

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