RBI ने 5 साल बाद घटाई रेपो रेट, जानिए लोन और EMI पर असर Read it later

RBI Repo Rate Cut 2025: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने करीब 5 साल बाद रेपो रेट में 0.25% की कटौती की है। अब रेपो रेट 6.5% से घटकर 6.25% हो गई है। इस फैसले की घोषणा RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बाद की।

Table of Contents

📉 रेपो रेट घटने से क्या होगा असर?
  • बैंक हाउसिंग, ऑटो, और पर्सनल लोन पर ब्याज दरें घटा सकते हैं।
  • लोन सस्ते होंगे, जिससे रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर में डिमांड बढ़ेगी।
  • EMI में कमी आएगी, जिससे मिडल क्लास को राहत मिलेगी।

अब जानिए रेपो रेट में कटौती के बाद आपके मन मे उठ रहे सवालों के जवाब

1️⃣ रेपो रेट के घटने से क्या बदलाव आएगा?

बैंक हाउसिंग और ऑटो लोन पर ब्याज दरें कम कर सकते हैं।
रियल एस्टेट में निवेश के अवसर बढ़ेंगे।
अर्थव्यवस्था में मनी फ्लो बढ़ेगा।

2️⃣ क्या पहले से चल रहे लोन की EMI भी घटेगी?
  • फिक्स्ड ब्याज दर वाले लोन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
  • फ्लोटिंग रेट लोन पर EMI कम होगी क्योंकि यह रेपो रेट से जुड़ा होता है।
3️⃣ रेपो रेट क्या है और इसका असर कैसे होता है?
  • RBI जिस ब्याज दर पर बैंकों को कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।
  • रेपो रेट घटने से बैंक भी कम ब्याज दर पर लोन देते हैं।
  • इसका असर 1-2 महीने के भीतर दिखाई देता है।
4️⃣ RBI ने रेपो रेट में कटौती क्यों की?
  • महंगाई दर में गिरावट आने के कारण यह फैसला लिया गया।
  • 2025-26 में महंगाई में और कमी आने की संभावना है।
  • इकोनॉमी को बूस्ट देने और मनी फ्लो बढ़ाने के लिए भी यह कदम उठाया गया।
FY26 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान (6.6% बरकरार)
तिमाही (Quarter)पिछला अनुमान (%)नया अनुमान (%)
Q1 FY266.9%6.7%
Q2 FY267.3%7.0%
Q3 FY266.5%
Q4 FY266.5%
5️⃣ RBI ने पिछली बार रेपो रेट कब घटाई थी? (RBI Repo Rate Cut )
  • मई 2020 में आखिरी बार रेपो रेट में 0.40% की कटौती की गई थी।
  • उसके बाद मई 2022 से ब्याज दरें बढ़ाई गई थीं, जो 2023 में रुकीं।
  • अब 5 साल बाद फिर से कटौती की गई है।

रेपो रेट कटौती से लोन और EMI पर असर

20 लाख के लोन पर असर (20 साल की अवधि में)
लोन राशिअवधि (साल)ब्याज दर (%)EMI (₹)कुल ब्याज (₹)कुल चुकानी राशि (₹)
20 लाख209%17,99523,18,68543,18,685
20 लाख208.75%17,67422,41,81142,41,811
6️⃣ वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई अनुमान क्या है?
  • महंगाई दर में गिरावट का अनुमान है।
  • RBI के अनुसार, 2025-26 में महंगाई दर नियंत्रित रहेगी।
30 लाख के लोन पर असर (20 साल की अवधि में)
लोन राशिअवधि (साल)ब्याज दर (%)EMI (₹)कुल ब्याज (₹)कुल चुकानी राशि (₹)
30 लाख209%26,99234,78,02764,78,027
30 लाख208.75%26,51133,62,71763,62,717

📌 नोट: यह आंकड़े अनुमानित कैलकुलेशन पर आधारित हैं।

7️⃣ वित्त वर्ष 2025-26 के लिए GDP अनुमान क्या है?
  • RBI ने GDP ग्रोथ का अनुमान 6.8% से 7% के बीच रखा है।
  • अर्थव्यवस्था में सुधार और मनी फ्लो बढ़ाने के लिए रेपो रेट कटौती की गई है।
📊 रेपो रेट में बदलाव का इतिहास
तारीखरेपो रेट (%)परिवर्तन (कटौती/वृद्धि)
मई 20204.00%-0.40%
मई 20224.40%+0.40%
मई 20236.50%+2.50%
फरवरी 20246.25%-0.25%

 

RBI के इस फैसले से लोन और EMI पर सीधा असर पड़ेगा।
महंगाई दर में गिरावट और आर्थिक सुधार के लिए यह कदम उठाया गया है।
फ्लोटिंग रेट लोन वाले ग्राहकों को सबसे अधिक लाभ मिलेगा।

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FY26 के लिए महंगाई दर अनुमान (4.2% बरकरार)
तिमाही (Quarter)पहले का अनुमान (%)अभी का अनुमान (%)
Q1 FY264.6%4.5%
Q2 FY264.0%4.0%
Q3 FY263.8%
Q4 FY264.2%
गवर्नर संजय मल्होत्रा का बयान:

“कुछ अपवादों को छोड़कर महंगाई हमारे लक्ष्य के करीब रही है,”
रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने उम्मीद जताई कि नई फसल के आगमन से खाद्य महंगाई में कमी आ सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी माना कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में कई चुनौतियां बनी हुई हैं और ग्लोबल ग्रोथ औसत से नीचे चल रही है।

📊 महंगाई के ताजा आंकड़े क्या कहते हैं?

1. दिसंबर में रिटेल महंगाई 5.22% पर रही:
  • दिसंबर में खाद्य वस्तुओं के सस्ते होने के कारण रिटेल महंगाई दर घटकर 5.22% पर आ गई।
  • नवंबर में यह दर 5.48% थी, जबकि अगस्त में यह 3.65% के स्तर पर थी।
  • RBI की महंगाई रेंज 2% से 6% के बीच निर्धारित है, जिसके भीतर यह दर बनी हुई है।
2. दिसंबर में थोक महंगाई 3.36% पर पहुंची:
  • दिसंबर में थोक महंगाई दर बढ़कर 3.36% पर आ गई, जो नवंबर में 1.89% थी।
  • इस वृद्धि का मुख्य कारण आलू, प्याज, अंडे, मांस-मछली और फलों की कीमतों में तेजी रहा।
  • वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने यह आंकड़े 14 जनवरी को जारी किए थे।

महंगाई के आंकड़े दर्शाते हैं कि रिटेल स्तर पर स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन थोक महंगाई में उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। आगामी महीनों में नई फसल के असर से स्थिति और बेहतर हो सकती है।

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