आर्थिक सर्वेक्षण 2025: जानें, क्या कहती है देश की आर्थिक सेहत की रिपोर्ट Read it later

Economic Survey 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 31 जनवरी 2025 को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2025 पेश करेंगी। यह सर्वेक्षण हर साल बजट से ठीक एक दिन पहले जारी किया जाता है, जिसमें देश की आर्थिक स्थिति, GDP वृद्धि, महंगाई दर, सरकारी खर्च, और नीतिगत सिफारिशों का विस्तृत विश्लेषण किया जाता है।

यह रिपोर्ट वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार की जाती है और मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन की देखरेख में प्रस्तुत की जाती है। इस सर्वेक्षण के माध्यम से देश की आर्थिक सेहत का आकलन किया जाता है और आगामी बजट के लिए नीतिगत दिशा तय की जाती है।

Table of Contents

आर्थिक सर्वेक्षण क्या होता है?

अगर आप अपने घर का पूरा खर्च और बचत लिखने के लिए एक डायरी बनाते हैं, जिससे आपको यह समझ में आता है कि आपका घर कैसे चला, कितनी आय हुई, कितना खर्च हुआ और बचत कितनी हुई, तो ठीक इसी तरह आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पूरे देश की आर्थिक स्थिति का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है।

इस सर्वेक्षण में शामिल होते हैं:

  • बीते वर्ष के आर्थिक प्रदर्शन की समीक्षा
  • आर्थिक सुधारों और चुनौतियों का विश्लेषण
  • महंगाई दर, रोजगार, औद्योगिक उत्पादन, विदेशी मुद्रा भंडार जैसी प्रमुख आर्थिक प्रवृत्तियों की जानकारी
  • आगामी वित्त वर्ष के लिए सुझाव और संभावित आर्थिक दिशा

इस सर्वेक्षण को देखकर सरकार वित्तीय बजट तैयार करती है और आवश्यक आर्थिक नीतियों में बदलाव करती है।

दिसंबर 2024 में महंगाई दर 4 महीने के निचले स्तर पर

दिसंबर 2024 में रिटेल महंगाई दर (Consumer Price Index – CPI) घटकर 5.22% हो गई, जो पिछले चार महीनों में सबसे कम है। नवंबर में यह 5.48% थी, जबकि अगस्त में 3.65% दर्ज की गई थी।

महंगाई दर घटने के प्रमुख कारण:

  • खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट
  • पेट्रोल-डीजल के दामों में स्थिरता
  • वैश्विक स्तर पर आपूर्ति श्रृंखला में सुधार

हालांकि, थोक महंगाई दर (WPI – Wholesale Price Index) में मामूली वृद्धि हुई और यह 2.37% पर पहुंच गई। इसका कारण निर्मित वस्तुओं और औद्योगिक उत्पादों की कीमतों में वृद्धि बताया जा रहा है।

वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक की रिटेल महंगाई दर (CPI) का हाल

नीचे दी गई तालिका में वित्त वर्ष 2024-25 के प्रत्येक महीने में दर्ज की गई रिटेल महंगाई दर (Consumer Price Index – CPI) को दर्शाया गया है।

महीनामहंगाई दर (%)
अप्रैल4.83%
मई4.75%
जून5.08%
जुलाई3.54%
अगस्त3.65%
सितंबर5.49%
अक्टूबर6.21%
नवंबर5.48%
दिसंबर5.22%

 

विश्लेषण:

  • अक्टूबर 2024 में महंगाई दर 6.21% के साथ साल की सबसे ऊंची रही।
  • जुलाई 2024 में यह 3.54% के साथ सबसे निचले स्तर पर रही।
  • दिसंबर 2024 में महंगाई दर 5.22% रही, जो पिछले महीने नवंबर के 5.48% से थोड़ी कम है।
  • सितंबर से अक्टूबर के बीच महंगाई में तेज उछाल देखा गया, जबकि अगस्त और जुलाई में यह अपेक्षाकृत कम रही।

इस डेटा से स्पष्ट होता है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों और मौसमी प्रभावों के कारण महंगाई दर में महीने दर महीने उतार-चढ़ाव देखने को मिला है।

आर्थिक सर्वेक्षण कौन तैयार करता है?

वित्त मंत्रालय का आर्थिक मामलों का विभाग (Department of Economic Affairs – DEA) इस रिपोर्ट को तैयार करता है। यह रिपोर्ट आर्थिक प्रभाग (Economic Division) द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) की देखरेख में बनाई जाती है।

मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) कौन हैं?
वर्तमान में भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन हैं। उनकी टीम देश की आर्थिक गतिविधियों, विभिन्न सेक्टरों की प्रगति और वैश्विक आर्थिक प्रभावों का विश्लेषण करके यह रिपोर्ट तैयार करती है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2025 से क्या उम्मीदें हैं?

आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में सरकार भारत की अर्थव्यवस्था से जुड़ी प्रमुख नीतियों, सुधारों और चुनौतियों पर प्रकाश डालेगी। प्रमुख मुद्दे जो इस सर्वेक्षण में शामिल हो सकते हैं:

GDP ग्रोथ प्रोजेक्शन: 2024-25 में भारत की जीडीपी ग्रोथ कितनी होगी?
महंगाई दर का अनुमान: क्या महंगाई दर में और कमी आएगी?
रोजगार और बेरोजगारी: नौकरी के अवसर बढ़ाने के लिए सरकार की रणनीति क्या होगी?
बैंकों और वित्तीय संस्थानों का प्रदर्शन: क्या भारतीय बैंकिंग सेक्टर मजबूत स्थिति में है?
उद्योग और व्यापार: भारत के औद्योगिक विकास की गति कैसी है?
वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रभाव: वैश्विक मंदी का भारत पर क्या असर हो सकता है?

आर्थिक सर्वेक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?

आर्थिक सर्वेक्षण देश की अर्थव्यवस्था की सेहत का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। इसके आधार पर सरकार न केवल बजट तैयार करती है, बल्कि वित्तीय और मौद्रिक नीतियों में आवश्यक सुधार भी करती है।

📌 नीतिगत योजनाएं: यह रिपोर्ट नीति निर्माताओं को सरकार की भविष्य की योजनाएं तय करने में मदद करती है।
📌 निवेशकों के लिए संकेत: विदेशी और घरेलू निवेशकों के लिए यह रिपोर्ट भारत की आर्थिक स्थिरता को दर्शाती है।
📌 आम जनता पर प्रभाव: महंगाई, रोजगार और सरकारी योजनाओं का प्रभाव समझने के लिए यह रिपोर्ट उपयोगी है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2025 भारत की आर्थिक स्थिति, महंगाई, विकास दर और सरकार की वित्तीय योजनाओं का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होगा। इसके आधार पर आगामी वित्तीय बजट 2025-26 तैयार किया जाएगा।

अब देखना होगा कि सरकार किन नीतियों को प्राथमिकता देती है और आने वाले वित्त वर्ष के लिए कौन-से सुधार सुझाए जाते हैं।

आर्थिक सर्वेक्षण क्यों महत्वपूर्ण है? जानिए इसकी अहमियत और इतिहास

आर्थिक सर्वेक्षण किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए दिशासूचक की तरह काम करता है। यह न केवल मौजूदा आर्थिक स्थिति का विश्लेषण करता है, बल्कि भविष्य की संभावनाओं और सुधारों पर भी रोशनी डालता है। इससे सरकार को यह समझने में मदद मिलती है कि अर्थव्यवस्था किस दिशा में बढ़ रही है और किन क्षेत्रों में नीतिगत सुधारों की आवश्यकता है

क्या सरकार को आर्थिक सर्वेक्षण पेश करना अनिवार्य है?

सरकार के लिए आर्थिक सर्वेक्षण जारी करना अनिवार्य नहीं है, और न ही उसे इसमें दिए गए सुझावों को मानने की बाध्यता होती है। सरकार चाहे तो इन सिफारिशों को पूरी तरह से अस्वीकार कर सकती है, लेकिन फिर भी यह रिपोर्ट आर्थिक नीतियों के निर्धारण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह बीते वित्त वर्ष के आर्थिक प्रदर्शन, चुनौतियों और संभावित सुधारों को समझने का अवसर देती है।

भारत का पहला आर्थिक सर्वेक्षण कब जारी हुआ?

भारत में पहली बार 1950-51 में आर्थिक सर्वेक्षण प्रस्तुत किया गया, जो उस समय केंद्रीय बजट का हिस्सा था। हालांकि, 1964 के बाद इसे बजट से अलग कर दिया गया और तब से यह हर साल बजट से एक दिन पहले जारी किया जाता है

क्यों है यह रिपोर्ट बेहद अहम?
  • अर्थव्यवस्था का संपूर्ण विश्लेषण: बीते साल की वित्तीय और औद्योगिक गतिविधियों का लेखा-जोखा।
  • आर्थिक सुधारों की दिशा: यह बताता है कि किन क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है और कौन-सी रणनीतियां अपनाई जानी चाहिए
  • नीतिगत फैसलों की भूमिका: यह सरकार को बजट और अन्य आर्थिक नीतियों के निर्माण में मदद करता है

आर्थिक सर्वेक्षण देश की आर्थिक नीतियों का आधार तैयार करता है, जिससे न केवल सरकार बल्कि उद्योगों, निवेशकों और आम नागरिकों को भी देश की आर्थिक स्थिति की स्पष्ट तस्वीर मिलती है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी बजट 2025, इन 6 प्रमुख घोषणाओं पर रहेगी नजर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को अपना लगातार 8वां केंद्रीय बजट पेश करेंगी। इस बार के बजट में 6 महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती हैं, जो आम जनता की जरूरतों, भाजपा के चुनावी वादों, सरकारी प्राथमिकताओं, और मीडिया रिपोर्टों पर आधारित हैं।

संभावित 6 प्रमुख घोषणाएं
1. पेट्रोल-डीजल हो सकता है सस्ता

सरकार पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर सकती है। वर्तमान में पेट्रोल पर 19.90 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 15.80 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी है। एक्साइज में कटौती से आम लोगों को राहत मिल सकती है और ईंधन की कीमतों में गिरावट देखने को मिल सकती है।

2. कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स होंगे सस्ते

मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से जुड़े पार्ट्स पर इम्पोर्ट ड्यूटी घटाई जा सकती है। फिलहाल इस पर 20% ड्यूटी लगती है। इससे घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर इलेक्ट्रॉनिक्स उपलब्ध हो सकेंगे।

3. सोना-चांदी हो सकते हैं महंगे

गोल्ड और सिल्वर पर इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जा सकती है। अभी यह दर 6% है। ड्यूटी बढ़ने से सोने-चांदी के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है, जिसका असर आभूषणों की कीमतों पर भी पड़ेगा।

इन बदलावों के 3 मुख्य कारण

  1. CII की सिफारिश:
    कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) ने सरकार को पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने का सुझाव दिया है, जिससे उद्योगों और आम जनता को राहत मिल सके।
  2. मेक इन इंडिया को बढ़ावा:
    इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स पर कम ड्यूटी लगाने से घरेलू मैन्युफैक्चरिंग सस्ती होगी और मेक इन इंडिया पहल को समर्थन मिलेगा।
  3. व्यापार घाटा घटाने का प्रयास:
    पिछले साल सोने पर इम्पोर्ट ड्यूटी को 15% से घटाकर 6% कर दिया गया था, जिससे सोने का आयात तेजी से बढ़ा। अब सरकार आयात को नियंत्रित कर व्यापार घाटा कम करने का प्रयास कर रही है।
इनकम टैक्स: 10 लाख तक की सालाना आय हो सकती है टैक्स-फ्री

सरकार नई टैक्स रिजीम को बढ़ावा देने के लिए 10 लाख रुपए तक की इनकम को टैक्स-फ्री कर सकती है। वर्तमान में, इस सीमा को 7 लाख रुपए तक रखा गया है। इसके अलावा:

15-20 लाख की आय पर नया टैक्स स्लैब: अभी 15 लाख रुपए से ज्यादा की इनकम पर 30% टैक्स लगता है। सरकार 15-20 लाख रुपए के लिए 25% का नया टैक्स ब्रैकेट ला सकती है।
बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट बढ़ सकती है: इसे 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया जा सकता है, जिससे मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी।

संभावित कारण:
सरकार चाहती है कि अधिक लोग नई टैक्स रिजीम अपनाएं, क्योंकि यह पुरानी की तुलना में ज्यादा आसान और कम जटिल है।
दस्तावेज़ी प्रक्रिया की झंझट कम होगी, जिससे टैक्सपेयर्स के लिए यह अधिक सुविधाजनक होगा।

योजनाएं: PM किसान सम्मान निधि और अटल पेंशन योजना में बढ़ोतरी संभव

PM किसान सम्मान निधि: किसानों को मिलने वाली वार्षिक 6,000 रुपए की राशि को बढ़ाकर 12,000 रुपए किया जा सकता है। वर्तमान में, 9.4 करोड़ किसान इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं।

आयुष्मान भारत योजना: अभी यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और 70 साल से ऊपर के बुजुर्गों को मिलती है। बजट में इसका दायरा बढ़ाया जा सकता है ताकि अधिक लोग मुफ्त इलाज पा सकें।

अटल पेंशन योजना (APY): सरकार मासिक पेंशन को 5,000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए कर सकती है। फिलहाल, इस योजना में 7 करोड़ से ज्यादा लोग रजिस्टर हैं।

📌 संभावित कारण:
✅ संसद की स्थायी समिति ने PM किसान सम्मान निधि की राशि को 12,000 रुपए करने की सिफारिश की है।
✅ सरकार हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना चाहती है ताकि अधिक लोगों को सस्ती स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकें।
✅ अटल पेंशन योजना को 2015 में लॉन्च किया गया था, लेकिन तब से इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है।

रोजगार: ग्रामीण युवाओं के लिए नई इंटर्नशिप योजना और स्टार्टअप सपोर्ट

✔️ ‘एकीकृत राष्ट्रीय रोजगार नीति’ लाई जा सकती है, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों की रोजगार योजनाओं को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की योजना होगी।
✔️ ग्रामीण युवाओं के लिए सरकारी दफ्तरों में इंटर्नशिप प्रोग्राम शुरू किया जा सकता है, जो केवल ग्रेजुएट स्टूडेंट्स के लिए होगा।
✔️ विदेशों में नौकरी पाने के लिए ‘इंटरनेशनल मोबिलिटी अथॉरिटी’ बनाई जा सकती है ताकि भारतीय युवाओं को वैश्विक रोजगार के अवसर मिल सकें।
✔️ स्टार्टअप्स को नए फंडिंग सपोर्ट दिए जाने की संभावना है, जिससे युवाओं को नौकरी के बजाय खुद का बिजनेस शुरू करने में मदद मिलेगी।

📌 संभावित कारण:
CII (Confederation of Indian Industry) ने सरकार से ‘एकीकृत राष्ट्रीय रोजगार नीति’ लाने की सिफारिश की है।
✅ भारत की औसत उम्र 29 साल है, जो इसे दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक बनाती है। इसलिए, रोजगार के नए अवसर पैदा करना जरूरी है।

हेल्थ: मेडिकल कॉलेजों में 75,000 नई सीटें और सस्ती मेडिकल जांचें

✔️ स्वास्थ्य बजट में 10% की वृद्धि: 2024 में सरकार ने 90,958 करोड़ रुपए का हेल्थ बजट दिया था, जिसे इस साल और बढ़ाया जा सकता है।
✔️ MRI और अन्य मेडिकल उपकरणों पर इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती: अभी इन पर 7.5% से 10% तक कस्टम ड्यूटी लगती है, जिससे इनके दाम अधिक होते हैं।
✔️ मेडिकल कॉलेजों में 75,000 नई सीटें जोड़ी जाएंगी: अगले 5 वर्षों में यह लक्ष्य पूरा करने का रोडमैप इस बजट में पेश किया जा सकता है

📌 संभावित कारण:
✅ सरकार हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना चाहती है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ और सस्ती हो सकें
मेडिकल उपकरणों पर कस्टम ड्यूटी घटने से इलाज और जांच की कीमतों में कमी आएगी
PM मोदी ने 2024 में भारत को ‘ग्लोबल एजुकेशन हब’ बनाने की बात कही थी, इसलिए मेडिकल सीटों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।

मकान: अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए नई कीमत सीमा और टैक्स छूट

✔️ मेट्रो शहरों में अफोर्डेबल हाउसिंग की लिमिट 45 लाख से बढ़कर 70 लाख हो सकती है, जिससे अधिक लोग सरकारी छूट का लाभ उठा सकें।
✔️ अन्य शहरों में यह सीमा 50 लाख रुपए की जा सकती है।
✔️ होम लोन पर टैक्स छूट 2 लाख से बढ़कर 5 लाख की जा सकती है, जिससे घर खरीदना सस्ता होगा।

📌 संभावित कारण:
✅ भारत में 1.01 करोड़ सस्ते घरों की कमी है, और यह 2030 तक 3.12 करोड़ तक पहुंच सकती है।
रियल एस्टेट सेक्टर ने सरकार से होम लोन पर टैक्स छूट बढ़ाने की मांग की है ताकि घर खरीदारों को राहत मिल सके।

 बजट 2025 में आम जनता के लिए बड़े ऐलान संभव

इस साल का बजट कई मायनों में मध्यम वर्ग, किसानों, युवाओं और नौकरीपेशा लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। इनकम टैक्स में राहत, किसानों के लिए बढ़ी हुई सहायता, हेल्थ और एजुकेशन में सुधार, और रोजगार के नए अवसर – ये सब इस बजट में प्रमुख रूप से शामिल हो सकते हैं।

अब देखना होगा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इन उम्मीदों को किस हद तक पूरा कर पाती हैं और क्या यह बजट आम जनता की आर्थिक मजबूती में मददगार साबित होगा? 🚀

आगामी बजट में वित्त मंत्री द्वारा की जाने वाली घोषणाएं आम जनता और व्यापारियों के लिए अहम साबित हो सकती हैं।

आपको आर्थिक सर्वेक्षण 2025 से क्या उम्मीदें हैं? कमेंट करके जरूर बताएं! 🚀

 

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