India Solar Energy: देश में बिजली की खपत तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 2011 में बिजली उत्पादन 850 बिलियन यूनिट था, जो इस वर्ष जनवरी तक 1359 बिलियन यूनिट तक पहुंच गया। पहली बार है, जब एक ही साल में बिजली खपत 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई। इसमें भी करीब 60 फीसदी उत्पादन हिस्सा कोयला, लिग्नाइट, गैस व अन्य ईंधन से बनी बिजली का है। इससे बिजली उत्पादन महंगा होने से जनता की जेब भी पर भार बढ़ता गया।
ऐसे हालात के बीच भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक भारत की अक्षय ऊर्जा (India Solar Energy) स्थापित क्षमता को 500 गीगावाट तक करने का लक्ष्य रखा है, जिससे लोगों तक सस्ती बिजली पहुंच सके। इसमें राजस्थान सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका में है, क्योंकि यहां सबसे ज्यादा सोलर रेडिएशन है। सोलर एनर्जी उत्पादन में भी पहले पायदान पर है। वहीं, गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश में भी अब सोलर, विंड व ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में आगे बढ़ने की होड़ है।
रिलायंस, अडानी, टाटा जैसे बड़े औद्योगिक घराने भी सोलर, विंड और हाइब्रिड एनर्जी के कारोबार को विस्तार देने में जुटे चुके हैं।
राजस्थान अक्षय ऊर्जा (India Solar Energy) क्षेत्र में 19541 मेगावाट क्षमता के साथ देश में सिरमौर है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा सौर ऊर्जा का है, जो 13 हजार मेगावाट से ज्यादा है। विश्व का सबसे बड़ा भड़ला सोलर पार्क राजस्थान में ही है, जिसकी क्षमता 2245 मेगावाट है। मेरकॉम इंडिया संस्था जोधपुर स्थित भड़ला पार्क को विश्व का सबसे बड़ा सोलर प्लांट घोषित कर चुकी है। यहां पर 18 बड़ी कंपनियों के 36 सोलर प्लांट लगे हुए हैं। पहले कर्नाटक का पावागढ़ सोलर पार्क (India Solar Energy) सबसे बड़ा था, लेकिन भड़ला ने कर्नाटक के पार्क को पीछे छोड़ दिया है। नोखा में एनटीपीसी ने 925 मेगावाट का प्लांट पर काम शुरू कर दिया है।
सोलर रेडिएशन के लिहाज से राजस्थान सबसे बेहतर है, इसी कारण अडानी, एनटीपीसी, सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) का फोकस यहां है। 82773 मेगावाट क्षमता के अक्षय ऊर्जा प्रोजेक्ट और 27055 मेगावाट क्षमता के निजी सोलर पार्कों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। अडानी पावर यहां 40 हजार करोड़ निवेश कर 9700 मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क विकसित कर रहा है। एनटीपीसी, सेकी, राज्य सरकार की ओर से 10 हजार मेगावाट का सबसे बड़ा अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क बनाने का मसौदा फाइनल हो चुका है। 48400 मेगावाट क्षमता के सोलर पार्क प्रोजेक्ट आ रहे हैं, जिसे सरकार ने मंजूर कर दिया है।
मध्यप्रदेश एम्स के सोलर पैनल 40 हजार यूनिट बिजली पैदा कर रहे
छत्तीसगढ़ सिंचाई में भी सोलर
एम्स अस्पताल में हर साल समान बिजली खपत करीब 8 लाख यूनिट है। इसका 5 फीसदी हिस्सा यहां लगे सोलर पैनल से मिलता है। यानी लगभग 40 हजार यूनिट बिजली वर्तमान में ये सोलर पैनल पैदा कर रहे हैं। एम्स के निदेशक डॉ. अजय सिंह इसे 1 लाख 60 हजार तक ले जाने के लक्ष्य पर टीम के साथ काम कर रहे हैं। बता दें वर्तमान में अस्पताल में लगे सोलर पैनल (India Solar Energy) की क्षमता 600 किलोवाट प्रति वर्ष है।
राज्य में पिछले चार वर्षो में प्रदेश में 71 हजार 753 सोलर कृषि पम्पों की स्थापना की गई। सोलर सिंचाई पम्पों से लगभग 86,104 हेक्टयेर रकबा सिंचित हुआ है। इन्हें मिलाकर प्रदेश में अब तक 3 एवं 5 हार्स पॉवर के एक लाख 17 हजार से अधिक सोलर सिंचाई पम्पों की स्थापना हो चुकी है। इससे 1 लाख 26 हजार से अधिक किसान लाभान्वित हो रहे हैं।