तालिबान हुकूमत : दोहा में भारत सरकार और तालिबान के बीच पहली औपचारिक मुलाकात, जानिए ट्रेड और पॉलिटिकल रिलेशन पर क्या हुई बातचीत Read it later

 

तालिबान हुकूमत  दोहा में भारत सरकार और तालिबान के बीच पहली औपचारिक मुलाकात

अमरीकी सेना के अफगानिस्तान छोड़ते ही वहां हालात स्थिर बने हुए हैं, तो वहीं इधर भारत और तालिबान के बीच पहली औपचारिक वार्ता मंगलवार को हुई। कतर के दोहा में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबान नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई के साथ बातचीत की। रिपोर्ट्स के अनुसार मित्तल और शेर मोहम्मद के बीच यह मुलाकात तालिबान की पहल पर ही हुई थी।

इस मुलाकात के बाद जारी हुए बयान में बताया गया है कि अब्बास तालिबान की राजनीतिक विंग का प्रमुख हैं और भारत के साथ उसके लंबे समय से संबंध हैं। बैठक दोहा में भारतीय दूतावास में हुई। 

शेर मोहम्मद 1980 के दशक में भारत में रह चुका है। उसने देहरादून स्थित मिलिट्री एकेडमी से ट्रेनिंग ली। उसके बाद वो अफगान सेना से जुड़ा, लेकिन बाद में उसे छोड़कर तालिबान के साथ चला गया।

भारत ने आतंकवाद पर जताई चिंता

बैठक में मित्तल ने अब्बास से कहा कि भारत अफगानिस्तान की जमीन का आतंकवाद के लिए इस्तेमाल होने की खबरों से चिंतित है। इस पर अब्बास ने आश्वासन दिया कि तालिबान सरकार इस मामले को पूरी गंभीरता से देखेगी।

बयान के अनुसार- बातचीत का फोकस सुरक्षा और अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी पर रहा। भारत ने तालिबान नेताओं से कहा कि हमें अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों की भी चिंता है जो भारत आना चाहते हैं। 

भारतीय राजदूत मित्तल ने अब्बास से कहा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी सूरत में भारत विरोधी गतिविधि या आतंकवाद के लिए नहीं किया जाए।

भारत अफगानिस्तान को लेकर फिलहाल वेट एंड वॉच की स्ट्रेटेजी पर

हाल ही में भारत में हुई सर्वदलीय बैठक के दौरान विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा था कि भारत फिलहाल अफगानिस्तान को लेकर वेट एंड वॉच की स्ट्रेटेजी पर चल रहा है। इस संबंध में करीबी सहयोगियों से भी बातचीत चल रही है।

गौरतलब है कि तालिबान के दो प्रवक्ता पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि नया शासन भारत के साथ व्यापार और राजनीतिक संबंध चाहता है और इसके बारे में भारत से संपर्क किया जाएगा। 

दो दिन पहले खुद शेर मोहम्मद ने कहा था कि अगर पाकिस्तान दोनों देशों के बीच व्यापार मार्ग खोलने से इनकार करता है तो एयर कॉरिडोर का विकल्प खुला रहेगा। 

तालिबान के बढ़ते प्रभाव से लश्कर और जैश को पाक की शह, कश्मीर में टेरर एक्टिविटीज बढ़ाने की कोशिश

तालिबान के बढ़ते प्रभाव से लश्कर और जैश को पाक की शह


अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत के चलते पाकिस्तान फूला नहीं समा रहा है। पाक आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिश में हैं। फिलहाल दुनिया का ध्यान अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर है। ऐसे में ये आतंकी संगठन इस मौके का फायदा उठाने का प्रयास कर रहे हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सीमा के पास आतंकी लॉन्च पैड फिर से सक्रिय हो गए हैं। सीमा पार से घुसपैठ भी बढ़ने लगी है। खुफिया एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान संकट का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने की कोशिशों में जुटा है। 

21 आतंकी लाइन ऑफ कंट्रोल के पास देखे गए

इस साल फरवरी में भारत-पाकिस्तान ने सीजफायर लागू किया था। इसके बाद कुछ महीनों तक सीमा पार से कोई घुसपैठ नहीं देखी गई। खुफिया एजेंसियों के इनपुट के मुताबिक कुछ दिन पहले एलओसी के पास लॉन्च पैड पर 21 आतंकियों को ट्रेस किया गया था। 

जेएंडके के 87 युवक इस साल आतंकी संगठनों शामिल हुए

वहीं स्थानीय युवाओं का आतंकी समूहों में शामिल होना भी फिक्र बढ़ा रहा है। जम्मू-कश्मीर के करीब 87 युवक इस साल आतंकी संगठनों में शामिल हुए थे। हालांकि यह पिछले साल की तुलना में कम है। तब 137 युवक आतंकी संगठनों में शामिल हुए थे।

अफगानिस्तान पर तालिबान की हुकूमत से बदले हालात 

एक खुफिया अधिकारी ने की मानें तो अफगानिस्तान के घटनाक्रम ने कश्मीर घाटी में काफी हलचल मचा दी है। एक मुस्लिम समुदाय का एक तबका इसे इस्लामिक ताकतों की जीत के नजरिए से देख रहा है। तालिबान की जीत आतंकवादी संगठनों का हौसला बढ़ा रही है। 

इस साल सुरक्षाबलों ने 103 आतंकियों को मार गिराया

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार जम्मू-कश्मीर को अभी कोई खतरा नहीं है, लेकिन जैश और लश्कर-ए-तैयबा अपने पुराने ढर्रे पर लौट आया है। हालांकि पिछले डेढ़ महीने में पाकिस्तान की ओर से ड्रोन ​एक्टिविटीज में कमी आई है, लेकिन घुसपैठ की घटनाओं में इजाफा हुआ है। 

इस साल 28 अगस्त तक भारतीय सुरक्षा बलों ने 102 आतंकियों को मार गिराया। यह संख्या पिछले साल की तुलना में काफी कम है। इस साल आतंकी मुठभेड़ में केंद्रीय पुलिस बल के 3-4 जवान और सेना के 4 जवान भी शहीद हुए थे। जबकि पिछले साल अगस्त के अंत तक 15-16 केंद्रीय पुलिस के जवान और 17-18 सेना के जवान शहीद हुए थे।

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