डॉ. के के अग्रवाल के साथ बेटी नैना |
कार्डियोलॉजिस्ट और फिजिशियन डॉ. केके अग्रवाल की बेटी नैना अग्रवाल ने कोरोना की दूसरी लहर में पिता को हमेशा के लिए खो दिया। उनके पिता हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के संस्थापक, पद्मश्री विजेता और चिकित्सक थे।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया एक गैर सरकारी संगठन है जो न केवल जरूरतमंदों को स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं प्रदान करता है बल्कि उनका समर्थन भी करता है।
डॉ. केके अग्रवाल ने अपने जीवन में लाखों रोगियों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। वह अन्य मुद्दों को उठाने के साथ-साथ खुद की ओर से बनाए गए कोविड-19 पर आधारित वीडियो के लिए भी जाने जाते हैं। डॉ. अग्रवाल के जाने के बाद भी उनकी बेटी नैना उनके कार्य को आगे बढ़ा रही हैं।
परिवार का ही नहीं, बल्कि हजारों लोगों की उम्मीदों का भी नुकसान हुआ…
नैना के अनुसार ”मेरे पिता के चले जाने से न केवल मेरे परिवार का नुकसान बल्कि उन सभी लोगों का नुकसान भी हुआ जो मेरे फादर से जुड़े थे और जिन्हें उनसे हजारों उम्मीदें थीं.”
डॉ. अग्रवाल के निधन के बाद उनके एनजीओ को नैना अपने परिवार के साथ आगे बढ़ा रही हैं। नैना की माने तो उनके फादर जब थे तो नैना का इंट्रेस्ट कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में था।
पिता के रहते नैना पीआर एजेंसी संभाल रहीं थीं, जबकि उनके भाई का एक हेल्थकेयर स्टार्टअप है। लेकिन इस एनजीओ की ट्रस्टी होने के नाते नैना ने हमेशा अपने पिता के साथ काम किया।
NGO का मकसद लोगों के जहन और दिलोदिमाग से महामारी के खौफ दूर करना
नैना कहती हैं कि वह अपने पिता के साथ कोविड-19 सलाह की नि:शुल्क ओपीडी संभालती थीं। उनके एनजीओ का मकसद लोगों के जहन और दिलोदिमाग से महामारी के खौफ दूर करना था। डॉ. अग्रवाल हमेशा कोरोना मरीजों को सस्ते इलाज के तरीके बताते रहते थे।
बता दें कि अग्रवाल का एनजीओ अब तक जजों, वकीलों, पुलिस और कॉरपोरेट कर्मचारियों को सीपीआर की ट्रेनिंग देता रहा है। नैना के अनुसार वे अब अपने पिता की मृत्यु के बाद भी इस कार्यक्रम को जारी रखना चाहती हैं।
इसी कड़ी में वे जरूरतमंदों की हार्ट सर्जरी के लिए फंड रेजिंग प्रोग्राम भी चलाती हैं जो नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट और मेदांता हॉस्पिटल के सहयोग से चलाया जाता है।
खुश हूं कि मैं एक ऐसे पिता की बेटी हूं जिसने अपना जीवन दूसरों का जीवन बचाने के लिए समर्पित किया…
नैना खुश है कि वह एक ऐसे पिता की बेटी है जिसने अपना पूरा जीवन दूसरों की सेवा के लिए समर्पित कर दिया है। वह कहती हैं- “महामारी के दौरान मेरे पिता ने एक दिन की छुट्टी नहीं ली।
वह चाहते थे कि उनकी वजह से लोगों को सही सलाह और इलाज मिले। उनकी विरासत को बनाए रखना न केवल हमारे परिवार के लिए बल्कि सभी जरूरतमंद लोगों के लिए भी जरूरी है।
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