हिमाचल प्रदेश के भौरा गांव में 79 वर्षीय अंग्रेज भारतीय महिला लिनेट अलफ्रे प्रिजर्वेटिव फ्री जैम बनाने की फैक्ट्री करीब 21 साल से चला रही हैं। लिनेट की इस फैक्ट्री में सैकड़ों महिलाएं भी काम करती हैं। इस फैक्ट्री का सालाना टर्नओवर 2 करोड़ है। लिनेट की शादी एक कश्मीरी युवा से हुई थी।
वह अपने हसबैंड के साथ बिहार, दिल्ली और मुंबई भी रहीं, लेकिन 1992 में वह हिमाचल प्रदेश में अपने एक रिश्तेदार के घर गई और लिनेट को यह जगह इतनी पसंद आई कि उन्होंने वहीं बसने का इरादा कर लिया।
1999 में शुरू की पहली जैम फैक्ट्री
हिमाचल प्रदेश में जहां लिनेट रहती थी, वहां खुबानी यानि एप्रिकोट, आड़ू यानि पीच, सेब और कीवी उगाई जाती है। लेकिन कभी-कभी ये फल तेज हवा या आधे फल खाने वाले बंदरों के कारण बर्बाद हो जाते थे।
ऐसे में इन फलों को वेस्ट होने से बचाने के लिए लिनेट ने अपनी मां की रेसिपी से जैम बनाना शुरू किया। धीरे धीरे उनके द्वारा बनाए गए जैम जल्द ही लोकप्रिय हो गए और 1999 में लिनेट ने अपनी पहली जैम फैक्ट्री शुरू की।
फैक्ट्री में 48 तरह के जैम तैयार किए जाते हैं
लिनेट के सामने सबसे बड़ी चुनौती इन जामों की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने की थी क्योंकि इस छोटे से गांव में बिजली की काफी कटौती होती रहती है। ऐसे में लिनेट ने हर चुनौती को पॉजिटिव तौर पर स्वीकार किया।
आज उनकी जैम फैक्ट्री में 48 तरह के जैम तैयार किए जाते हैं जो 75 टन फलों से बनते हैं। यहां रोजाना करीब 850 बोतल जैम तैयार किया जाता है। जिसका टर्नओवर 2 करोड़ है।
इन सभी जैम खासियत यह है कि इन्हें बिना किसी प्रिजर्वेटिव का इस्तेमाल किए तैयार किया जाता है। लिनेट प्रिजर्वेटिव के रूप में केवल नींबू का रस, सेब का रस और चीनी का उपयोग करतीं हैं।
शुगर फ्री जैम भी हैं खास
लिनेट की फैक्ट्री में निर्मित उत्पादों में ब्लैकबेरी जैम, टोमैटो चटनी, स्ट्रॉबेरी प्रिजर्व, कश्मीरी नेटल और ब्लैकबेरी प्रिजर्व शामिल हैं।
इन उत्पादों की एक चीनी मुक्त श्रृंखला भी उपलब्ध है जिसमें स्ट्रॉबेरी जैम और मुरब्बा आदि शामिल हैं।
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