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New RBI Guideline For Loan Recovery Agent : अक्सर लोग इमरजेंसी में पैसों की जरूरत के चलते फटाफट लोन देने वालों के बहकावे में आ जाते हैं, लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी भी आ जाती हैं जब लोन की किश्ते चुकाने का बावजूद रिकवरी एजेंट परेशान करता है। मन चाहे वक्त घर और कार्यालय पहुंच कर धमकी देता है। कई बार तो दोस्तों और रिश्तेदारों को परेशान करने को लेकर ब्लैकमेल भी करता है।
दूसरी ओर लोन न चुकान की स्थिति कोविड के दौरान लॉकडाउन में ज्यादा देखने में आई। कई बार ऐसी भ स्थिति बनी जब लोग लोन की कुछ किश्तें चुकाने (EMI) के बावजूद परेशानी में फंस गए ऐसे में किश्तें डिफॉल्ट के मामले भी सामने आए। जिसके चलते बैंकों के लोन रिकवरी एजेंट (Loan Recovery Agent) ने कर्जदारों को परेशान करना शुरू कर दिया। बीते दो साल में ऐसे कई मामले देखने में आए। ऐसे में अब रिजर्व बैंक ने भी लोन रिकवरी एजेंट की इन हरकतों पर संज्ञान लेते हुए सख्त उठाने पर विचार किया है।
RBI गर्वनर ने कहा: लोन रिकवरी एजेंट की हरकतें नहीं की जाएगी बर्दाश्त
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने हाल ही में कहा कि लोन रिकवरी एजेंट लोगों के साथ गलत व्यवहार करते हैं, जो कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कर्जदारों को लोन रिकवरी एजेंट बेवक्त फोन करते हैं और उनके साथ एक अपराधी की तरह दुर्व्यवहार करते हैं, जो कि किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं किया जा सकता।
आरबाआई गवर्नर ने कहा कि सेंट्रल बैंक इसे गंभीरता से ले रहा है और कड़े कदम उठाने की तैयारी की जा रही है। आरबीआई गवर्नर दास FE Modern BFSI Summit के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसी हरकतें सामान्यत: अनरेगुलेटेड वित्तीय कंपनियां ज्यादा करती हैं और कई बार तो रेगुलेटेड कंपनियों के मामले में भी ऐसी शिकायतें आ रही हैं।
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अब रिकवरी एजेंट के मिस बिहेव और गाली गलौच वाले रवैये पर सख्त होगा सेंट्रल बैंक
शक्तिकांत दास ने कहा कि ‘रेगुलेटेड कंपनियों (Regulated Entities) के केस में रिजर्व बैंक गंभीरता से कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। जहां तक अनरेगुलेटेड कंपनियों (Unregulated Companies) की बात है, ऐसी कम्प्लेन मिलने पर लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों को अवगत कराया जाएगा।
हम ऐसी किसी भी शिकायत पर कड़े कदम उठाने से नहीं हिचकेंगे। वहीं बैंकों को भी रिकवरी एजेंटों की गलत हरकतों के लिए हिदायत दी गई है। हम कर्जदाताओं और सभी बैंकों से इस बारे में खास ध्यान देने का अनुरोध कर रहे हैं।
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लोन रिकवरी एजेंट से निपटने के उपाय क्या हैं?
आरबीआई की पहले से मौजूद गाइडलाइन (RBI Guideline) के मुताबिक, लोन रिकवरी के लिए बाहुबल का इस्तेमाल करना या इस्तेमाल करने की धमकी देना उत्पीड़न के दायरे में आता है। यदि कोई रिकवरी एजेंट आपको परेशान कर रहा है, तो बिना किसी झिझक के रिजर्व बैंक के पास इसकी शिकायत की जानी चाहिए।
इसके अलावा भी कर्जदारों के पास लोन रिकवरी एजेंट के गलत व्यवहार से निपटने के कानूनी रास्ते हैं। जानिए आप किन उपायों से इस तरह की परेशानियों से बच सकते हैं…
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लोन रिकवरी पर RBI की गाइडलाइन क्या है
रिजर्व बैंक के अनुसार, लोन रिकवरी एजेंट कर्ज वसूली के लिए धमकी या उत्पीड़न का सहारा नहीं ले सकते, चाहे फिर वो मौखिक हो या शारीरिक रूप में हो। कर्जदार को बार-बार फोन करना या सुबह 9 बजे से पहले और शाम 6 बजे के बाद फोन करना भी परेशान करने के दायरे में आता है।
लोन रिकवरी के लिए बाहुबल का यूज करना या मारपीट की धमकी देना उत्पीड़न के दायरे में आता है। वहीं लोन लेने वाले शख्स के घर या वर्कप्लेस पर बिना बताए पहुंच कर रिश्तेदारों, दोस्तों या साथी कर्मचारियों को धमकी देना और परेशान करना भी उत्पीड़न के दायरे में आता (Harassment) है। वहीं धमकी या गाली गलौच करना या फिर नीचा दिखाना भी इसी दायरे में आता है।
RBI बैंक पर भी लगा सकता है जुर्माना
यदि लोन रिकवरी एजेंट आपको आए दिन परेशान करता है तो कर्जदारां को सबसे पहले बैंक से इसकी शिकायत करनी चाहिए। साथ ही अपनी परिस्थितियों के बारे में बैंक को बताकर लोन रिपेमेंट की शर्तों पर काम शुरू कर देना चाहिए। ऐसे भी यदि बैंक से शिकायत का निवारण 30 दिनों के भीतर नहीं होता है तो बैंकिंग ओंबड्समैन से शिकायत कर सकते हैं। वहीं रिजर्व बैंक को भी शिकायत करें। रिजर्व बैंक, बैंक को निर्देश दे सकता है और संगीन मामलों में जुर्माना भी लगा सकता है।
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लोन कर्जदार के पास कोर्ट का रुख करने का भी विकल्प
यदि रिकवरी एजेंट कोई गैर-कानूनी एक्शन जैसे मान लीजिए मारपीट करता है या कोई एसेट उठा ले जाता है तो कर्ज लेने वाला पुलिस में शिकायत दे सकता है। यदि बहुत ज्यादा परेशान किया जाता है, तो वकील से संपर्क कर रिकवरी एजेंट के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
इसमें रिकवरी एजेंट की ओर से यदि कोई गलत लेटर आपको दिया गया हो या कोई गलत एक्शन लिया गया हो तो आप उसे कोर्ट में आधार के तौर पर प्रस्तुत कर सकते हैं। लेनदार यानी कर्ज लेने वाले के पास लोक अदालत और कंज्यूमर कोर्ट में जाने का भी ऑप्शन खुला है।
ऐसे में कानूनी कार्रवाई के दौरान ये पाया जाता है कि वाकई लोन रिकवरी एजेंट ने कर्जदार को परेशान किया है तो अदालत कर्जदार के पक्ष में मोटा जुर्माना लोन रिकवरी एजेंट और संबंधित बैंक को अदा करने के लिए पाबंद भी कर सकती है। जोकि कर्जदार को पहुंची मानसिक क्षतिपूर्ति के तौर पर हो सकता है।
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