राजस्थान सीएम गहलोत की ओपन बैठक में कोई निष्‍कर्ष नही : विशेषज्ञों ने कहा जाे लोग लॉकडाउन का विरोध कर रहे हैं‚ वे एक घंटा अस्पताल की इमरजेंसी में बिताएं‚ वे खुद हालात समझ जाएंगे Read it later

 

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राजस्थान में कोरोना की बिगड़ती स्थिति को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने रविवार को ओपन बैठक की। इस दौरान 1 घंटे 53 मिनट तक, अधिकारियों, राजनीतिक दलों, धार्मिक नेताओं, सामाजिक संगठनों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के साथ मंथन हुआ। विचार-विमर्श के बाद, सीएम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे। यह नहीं बताया कि तालाबंदी जारी रहेगी या नहीं। उन्होंने यह जरूर कहा- पहले भी हमने सभी की सलाह से निर्णय लिए हैं। आगे कोई निर्णय सभी की सलाह से लिया जाएगा। कोरोना की भयानक स्थिति है। यदि आप सच्चाई का सामना नहीं करते हैं, तो आप स्थिति को नियंत्रित नहीं कर पाएंगे। जनता को पिछली बार की तरह सहयोग करना चाहिए। इस बार भी जनता सहयोग करेगी। यदि आपको बाहर आना है, तो बिना मास्क के न निकलें। बिना मास्क के जुर्माना बढ़ाना होगा। सिंगापुर में बिना मास्क पाए जाने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगता है। जहां सख्ती है, वहां कोरोना कंट्रोल है। आज के वीसी का मतलब है यही है कि सभी साथी कोरोना के बारे में चिंतित हैं। अगर कोरोना बढ़ता गया, तो भारत सरकार भी ऑक्सीजन और दवा की आपूर्ति नहीं कर पाएगी।

15 दिनों के लिए सख्ती से लागू किया जाना चाहिए

स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि कर्फ्यू को 15 दिनों के लिए सख्ती से लागू किया जाना चाहिए। अन्यथा हम कुछ भी कर लें‚ संक्रमण की गति को नहीं रोक पाएंगे। चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी इसी तरह का विचार रखा। इससे पहले, आरयूएचएस के कुलपति डॉ राजाबाबू पंवार, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ सुधीर भंडारी सहित कई चिकित्सा विशेषज्ञों ने 2-3 सप्ताह के लॉकडाउन का सुझाव दिया। इस पर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा – पिछली बार जब तालाबंदी हुई थी, तब लोगों को बहुत तकलीफ हुई थी। मजदूरों का पलायन था, लोगों की आजीविका प्रभावित हुई। इसलिए लॉकडाउन का निर्णय बहुत सावधानी से किया जाना है।

गहलोत ने कहा- कुम्भ से लौटे लोगों और  गुजरात व महाराष्ट्र आए लोगों के कारण कोरोना गाँवों में फैला

 जिंदा रहना ज्यादा जरूरी 

सबसे पहले चिकित्सा विभाग के प्रधान सचिव सिद्धार्थ महाजन ने सभी पहलुओं पर सीएम को जानकारी दी। इसके बाद गहलोत ने कहा- पहले यह कहा जाता था कि कोरोना गाँवों में नहीं फैलता है, लेकिन अब 30% कोरोना के मरीज़ गाँवों में आ रहे हैं। कुंभ से आने वाले लोगों के कारण कोरोना गाँवों में फैला हुआ है। गुजरात-महाराष्ट्र से आने वालों के कारण, महामारी डूंगरपुर, उदयपुर, बांसवाड़ा सहित कई जिलों के गांवों में फैल गई है। दूसरी ओर, एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल, डॉ सुधीर भंडारी, ने स्पष्ट रूप से कहा – जो लोग लॉकडाउन के विरोध में हैं, वे किसी भी अस्पताल के आपातकाल में एक घंटा बिताएं तो वे भयावहता को खुद ही समझ जाएंगे। जिंदा रहना ज्यादा जरूरी है। आजीविका बाद में है।

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