शिक्षक दिवस विशेषः जानिए क्यों शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में केरल के सबसे अच्छे और बिहार में सबसे निराशाजनक हालात Read it later

जानिए क्यों शिक्षा की गुणवत्ता के मामले में केरल की सबसे

नीति आयोग के अनुसार छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के मामले में सबसे अच्छा राज्य केरल है। आयोग के एसडीजी इंडेक्स में संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डवलपमेंट गोल के 17 संके तकों पर प्रदर्शन के आधार पर राज्यों को 100 के पैमाने पर रैंक दी जाती है। 

इस इंडेक्स में केरल को 100 में से 80 अंक मिले हैं। अंकों के आधार पर नीति आयोग ने राज्यों को श्रेणियों में वर्गीकृ त किया है।

परफॉर्मर श्रेणी में सबसे ज्यादा 64 अंक के साथ हरियाणा बड़ी आबादी वाला राज्य है। इस श्रेणी में सबसे कम अंक आंध्र प्रदेश के 50 हैं। कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल भी इसी श्रेणी में आते हैं।

49 से कम अंक वाले राज्य एसपिरेंट श्रेणी में आते हैं। इन राज्यों को 49 से कम अंक मिले हैं- जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, मेघालय, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, बिहार। 

केंद्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ़ को 79 और पुड्डुचेरी को 70 अंक मिले।

4 राज्यों में ड्रॉपआउट दर 30 से अधिक सिर्फ तीन राज्यों में 10 से कम

आज भी देश में कई बच्चे आर्थिक तंगी के कारण या तो शिक्षा से वंचित हैं या पढ़ाई पूरी होने से पहले ही स्कूल छोड़ देते हैं। एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में माध्यमिक विद्यालय स्तर पर स्कूल छोड़ने की दर 16.1% से अधिक है, 

जबकि उच्च प्राथमिक (6 से 8) और प्राथमिक स्तर पर स्कूल छोड़ने की दर क्रमशः 2.6% और 1.5% है। प्राथमिक स्तर की तुलना में माध्यमिक स्तर पर लड़कों में स्कूल छोड़ने की दर काफी अधिक है। यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस या यूडीआईएसई+ 2019-20 की

रिपोर्टके मुताबिक करीब 30 फीसदी छात्र सेकेंडरी स्तर के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं और सीनियर सेकेंडरी लेवल की ओर नहीं बढ़ते हैं। रिपोर्टसे पता चला है कि 19 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, 

जहां माध्यमिक स्तर कक्षा 9वीं और दसवीं के स्तर पर स्कूल छोड़ने की दर अखिल भारतीय दर (17.3%) से काफी अधिक है। त्रिपुरा, सिक्किम, नागालैंड, मेघालय, मध्य प्रदेश, असम और अरुणाचल प्रदेश में ड्रॉपआउट दर 25% से अधिक है। चार राज्यों ने ड्रापआउट दर 30% से अधिक दर्ज की है। 

नागालैंड, झारखंड और बिहार सबसे खराब

नागालैंड, झारखंड और बिहार सबसे खराब

देश में मिजोरम, नागालैंड, झारखंड और बिहार ऐसे राज्य हैं, जहां बच्चों की ड्रॉप आउट दर 30 प्रतिशत से अधिक है। सबसे ज्यादा ड्रॉप आउट दर बिहार में 39.7 है। जबकि इस मामले में हिमाचल प्रदेश, अंडमान-निकोबार, पंजाब की स्थिति बेहतर कही जा सकती है, जहां बच्चों की ड्रॉप आउट दर 10 प्रतिशत से कम है। ड्रॉप आउट दर मध्यप्रदेश में 23.76%, गुजरात 24.08% में है। जबकि दक्षिण के राज्यों में तेलंगाना 22.49% और आंध्र प्रदेश 15.71% है।

लड़कियों का ड्रॉपआउट रेट लड़कों से कम

तुलनात्मक रूप से ये सेकेंडरी लेवल पर हाईएस्ट प्रमोशन दर वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश भी हैं, जिनमें पंजाब, मणिपुर और केरल में 90% से अधिक प्रमोशन रेट हैं। लड़कियों की कुल स्कूल छोड़ने की दर लड़कों की तुलना में 2% कम है। पंजाब ने लड़कियों के लिए ड्रॉपआउट दर शून्य दर्जकी है, जबकि असम ने माध्यमिक स्तर पर उच्चतम ड्रॉपआउट दर (35.2) दर्जकी है।

ड्रॉप आउट मामले में सबसे अच्छा हिमाचल, सबसे बुरी हालत बिहार में

ड्रॉप आउट मामले में सबसे अच्छा हिमाचल, सबसे बुरी हालत बिहार में


नीति आयोग द्वारा जारी सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल की रिपोर्ट के मुताबिक ड्राॅप आउट के मामले में सबसे अच्छी स्थिति हिमाचल प्रदेश की है। यहां सिर्फ सात फीसदी बच्चे हर वर्ष स्कूल छोड़ रहे हैं। वहीं, बिहार की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, वहां हर वर्ष 39 फीसदी बच्चे स्कूल छोड़ रहे हैं।

राज्यों की ड्रॉप आउट दर

हिमाचल प्रदेश 7.03%  अंडमान निकोबार 7.36%  पंजाब 8.6%  तमिलनाडु 10.03%  दिल्ली 10.75%  महाराष्ट्र 11.28%  हरियाणा 12.16%  केरल 12.77%  राजस्थान 15.19%  आंध्र प्रदेश 15.71%  गोवा 16.01%  मणिपुर 21.05%  तेलंगाना 22.49%  मध्यप्रदेश 23.76%  गुजरात 24.08%  सिक्किम 24.15%  छत्तीसगढ़ 24.23%  जम्मू कश्मीर 24.35%  कर्नाटक 26.18%  असम 27.6%  मेघालय 28.07%  ओडिशा 28.87%  अरुणाचलप्रदेश 29.93%  मिजोरम 30.67%  नागालैंड 31.28%  झारखंड 36.64%  बिहार 39.73%  ड्राॅप आउट दर है

उच्च शिक्षा-जरूरत और हालात भी जान लीजिए

कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में 9 करोड़ छात्रों को पढ़ा रहे हैं 15 लाख शिक्षक

उच्च शिक्षा-जरूरत और हालात भी जान लीजिए


देश में 18 से 23 साल की उम्र के युवाओ की आबादी 14.2 करो ं ड़ है, इनमें 9 करोड़ से ज्यदा उच्च शिक्षा में है। इन युवाओ को शिक्षित करने का जिम्मा 15 लाख 3 हजार शिक्षकों पर है। अकेले वर्ष 2019-20 में ही देश में कुल 3.8 करोड़ छात्रों ने उच्च शिक्षा के लिए कॉलेजों में नामांकन किया है।


18 से 23 साल के उम्र की आबादी (करोड़ में)

पुरुष

 7.3

महिलाएं

6.9

कुल

14.2

साक्षरता दर (प्रतिशत में)

पुरुष

 82.1

महिलाएं

65.4

कुल

74

उच्च शिक्षा के लिए रजिस्ट्रेशन- (वर्ष 2019-20)

पुरुष

 1.96

महिलाएं

1.88

कुल

3.85

आंकड़ों से जानिए देश में उच्च शिक्षा का ढांचा कितना बड़ा है

  • 1043 विश्वविद्यालय और इंस्टीट्यूशन हैं देश में जो डिग्री प्रदान करते हैं।

  • 42343 कुल कॉलेजों की संख्या है देश के विभिन्न राज्यों में। 

  • 10.75%  काॅलेज सिर्फ लड़कियों के लिए आरक्षित हैं देश के विभिन्न राज्यों में।

  • 60.56%  कॉलेज ग्रामीण क्षेत्रों में हैं देश के अलग-अलग इलाकों में।

  • 780 ऑटोनोमस काॅलेज हैं। वो काॅलेज जो अपने नियमों का पालन करते हैं। 

  • 110 डूअल मोड यूनिवर्सिटी, जो पारंपरिक और गैर-पारंपरिक तरीकों दोनों से शिक्षा देती हैं। 

  • 11779 स्टैंड अलोन इंस्टीट्यूशन। विवि से संबद्ध तो नहीं पर नियमित या मुक्त और दूरस्थ शिक्षा दे रहे हैं। 

  • 307 एफिलिएटिंग यूनिवर्सिटी, जो स्वतंत्र रूप से संचालित हैं। 

  • 49348  विदेशी छात्र में देश में पंजिकृत हैं और अलगअलग काॅलेजों में पढ़ रहे हैं।

  • 1503156 यह संख्या है देश में मौजूद शिक्षकों की (उच्च शिक्षा की स्थिति)

स्रोत- हायर एजुकेशन प्रोफाइल 2019-20, मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन

Special Teachers Day | Teacher’s Day Special | school education in India | Indian Education System | 

 

 

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