Nambi: आर मााधवन बतौर निर्देशक पहली बार ‘रॉकेट्री – द नांबी इफेक्ट’ (Rocketry – The Nambi Effect) जनता के समाने ला रहे हैं। उन्होंने नांबी पर ही फिल्म क्याें बनाई। Nambi Narayanan कौन शख्सियत हैं। इनकी ऐसी क्या कहानी है जिस पर बायोपिक (biopic) बनाना आर माधवन (Madhavan) को बेहतर लगा। इन सभी सवालों के जवाब जानिए।
केरल (Kerala news) के जिन पुलिस अधिकारियों के कारण नांबी नारायण (Nambi Narayanan isro) को मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ा है उनके खिलाफ कार्रवाई के बारे सुप्रीम कोर्ट की कमिटी (Supreme court in Nambi Narayanan case) को सुझाव पेश करने को कहा गया था। कमिटी ने रिपोर्ट पेश कर दी है। इस रिपोर्ट के बाद नांबी नारायण केस (Nambi Narayanan autobiography) फिर से चर्चा में है।
नांबी नारायणन की उपलब्धि
नांबी दुनिया के एकमात्र अंतरिक्ष वैज्ञानिक हैं जिनके द्वारा अंतरिक्ष इंजन ‘विकास’ आज तक एक भी प्रक्षेपण में विफल नहीं हुआ है। उन्होंने अपने मार्गदर्शक और महान वैज्ञानिक ‘विक्रम साराभाई’ के नाम पर इस इंजन का नाम रखा।
इसरो यानि इंडिया स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के वैज्ञानिक नंबी नारायणन के प्रताड़ना केस में एससी में सुनवाई का फैसला गया किया है। बता दें कि साल 2018 में इस मामले की जांच के लिए हाई लेवल कमिटी बनी थी जिसने अब अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस डीके जैन की लीडरशिप में इस समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट ने ही किया था।
देश की शीर्ष अदालत यानि सुप्रीम कोर्ट ने 14 सितंबर साल 2018 को एक समिति का गठन किया था और केरल सरकार को निर्देशित किया था कि नांबी नारायणन के अपमान के केस में उन्हें मुआवजा स्वरूप 50 लाख रुपये दिए जाए। मामला 1994 का है।
नंबी पर गोपनीय दस्तावेज अन्य देश के लोगों को सौंपने के अरोप लगाए गए थे। इस मामले में देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक नारायणन को गिरफ्तार तक कर लिया गया था। बाद में सीबीआई ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह साफ कर दिया था कि नारायणन की गिरफ्तारी पूरी तरह स अवैध तौर पर की गई थी
और इसके जिम्मेदार केरल के तत्कालीन हाई लेवल के पुलिस ऑफिसर हैं। आइए आपको बताते हैं कि जिन नंबी नारायणन पर आर माधवन निर्देशित फिल्म बनी है वे आखिर है कौन और पूरा कैस क्या है।…
पुलिस ने 1994 में नांबी को फंसाया
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक निर्णय
नारायणन को अरेस्ट किए जाने के लगभग 24 साल बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 14 सितंबर, 2018 को ऐतिहासिक निणर्य दिया। कोर्ट ने माना कि नारायणन को जानबूझकर गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया और यातनाएं तक दी गईं। कोर्ट ने केरल सरकार को आठ सप्ताह में नारायणन को मुआवजे का भुगतान करने का आदेश भी दिया।
उस वक्त के चीफ मिनिस्टर को देना पड़ा था रिजाइन
इस मामले ने तब काफी तूल पकड़ा जब उस दौरान रहे मुख्यमंत्री को इस्तीफा तक देना पड़ गया था। नारायणन को टॉर्चर करने के दोषी अधिकारियों के विरुद्ध जांच और एक्शन लेने के लिए हाई पावर कमेटी के गठन का आदेश भी उस दौरान दिया गया था। एससी के सॉलिसिटर जनरल
के मुताबिक रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है और ये केस अब राष्ट्रहित से जुड़ चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बेहद खास केस है, लेकिन तुरंत सुनवाई की जरूरत नहीं है हम बाद में सुनवाई करेंगे।
साल 2018 में मिली बड़ी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के पूर्व साइंटिस्ट के विरुद्ध पुलिस के एक्शन पर साल 2018 में कहा था कि नांबी नारायण को हिरासत में लेकर मानवाधिकार का उल्लंघन किया गया है और उनके अचीवमेंट्स को धूमिल करने का प्रयास किया गया है।
14 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने साल 1994 में झूठ से भरे जासूसी मामले में फंसाए गए इसरो के पूर्व सांइंटिस्ट नंबी नारायणन को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने केरल सरकार को भी आदेश दिया कि वह मेंटली टॉर्चर के मामले में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक को 50 लाख रुपये मुआवजे स्वरूप भुगतान करे।
साजिश थी बदनाम करने की
नांबी (Nambi) नारायणन को बिना किसी वजह के बदनाम किया गया और पुलिस ने फर्जी केस में फंसा कर यातनाएं दी। ये बताना भी जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस रहे दीपक मिश्रा की बैंच में इस मामले की कमेटी का गठन किया गया।
अदालत ने इस मामले में अब नंबी पर फर्जी आरोप, उसकी साजिश और इसमें शामिल पुलिस अधिकारियों की जांच के लिए होम मिनिस्ट्री की ओर से गठित कमिशन की रिपोर्ट सीबीआई को सौंपने का आदेश दे दिया है।
जांच एजेंसी के स्पोक्सपर्सन की माने तो, रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस केस में कानूनन आगे बढ़ने को कहा था और इसी आधार पर हमनें अब एफआईआर दर्ज कर ली है।
दोषियों के नाम उजागर नहीं
सीबीआई ने हालाकि एफआईआर में दोषियों के नाम उजागर नहीं किए हैं। सूत्रों की मानें तो एफआईआर में केरला पुलिस के कई पूर्व आला अधिकारियों के नाम दर्ज हैं। बता दें कि 1994 के इस मामले में 79 साल के इसरो साइंटिस्ट नंबी नारायणन ने अदालत में जासूसी के गलत आरोप के खिलाफ न्याय की गुहार लगाई थी।
इससे पहले सीबीआई ने ही इस केस में आखिनरी जांच रिपोर्ट केरल की एर्णाकुलम अदालत को पेश की थी। एजेंसी को इस जांच में नंबी के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला था।
पाकिस्तान को रॉकेट इंजन की गोपनीय डिजाइन देने का आरोप
दरअसल, केरल पुलिस ने 1994 में मालदीव की राशिदा नामक एक महिला को तिरुवनंतपुरम से अरेस्ट किया था। पुलिस के अनुसार, राशिदा ने इसरो की रॉकेट इंजन की गोपनीय डिजाइन हासिल कर ली थी और उसे पाक को सौंपा जाना था। केरल की पुलिस ने इस आधार पर दो मुकदमे दर्ज किए थे।
इस आधार पर इसरो के उस वक्त के क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट के निदेशक नंबी नारायण, इसरो के उप निदेशक डी शशिकुमारन को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने इस मामले में राशिदा की दोस्त फौजिया हसन नामक एक और मालदीव की महिला को भी अरेस्ट किया था। जांच के बाद सीबीआई ने पाया कि यह सभी आरोप निराधार थे।
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