World Book And Copyright Day: किताबें अतीत और भविष्य के बीच कड़ी तथा पीढ़ियों और संस्कृतियों के बीच पुल का काम करती हैं। किताबों के रूप में लेखकों की बौद्धिक सम्पदा की सुरक्षा कॉपीराइट कानून (Copyright Act) करते आए हैं लेकिन कॉपीराइट के मामले कभी स्पष्ट नहीं होते। ज्यादातर बेस्टसेलर किताबों के खिलाफ समय-समय पर कॉपीराइट के मामले अदालतों में दायर किए जाते रहे हैं। कॉपीराइट से जुड़े कुछ ऐसे ही चर्चा में रहे मामलों के बारे में आपको आज हम बताते हैं।

कानून की खामी का उठाया फायदा
जे.आर.आर. टॉल्किन (jrr tolkien) की मशहूर किताबें ‘द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’ (the lord of the rings) और ‘द हॉबिट’ कानून की खामी का शिकार बन चुकी हैं।
वर्ष 1960 के दशक के मध्य में एसीई बुक्स ने पाया कि ‘द लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’ और ‘द हॉबिट’ के कॉपीराइट को उनके अमरीकी प्रकाशक ने अमरीका में ठीक से सुरक्षित नहीं किया था।
एसीई बुक्स ने अमरीका में इन पुस्तकों के अनधिकृत पेपरबैक संस्करण प्रकाशित किए। उस समय तक टॉल्किन की पुस्तकें केवल हार्डबैक में उपलब्ध थीं। टॉल्किन और उनके प्रकाशकों ने अपने स्वयं के अधिकृत पेपरबैक संस्करणों को प्रकाशित कर तुरंत प्रतिक्रिया व्यक्त की..
लेकिन अमरीका में कॉपीराइट को सुरक्षित करने के लिए टॉल्किन को फिर से दोनों कहानियों को संशोधित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। बाद में एसीई ने लेखक के उत्तराधिकारियों को भुगतान कर इस मामले को सुलझा लिया।

हैरी पॉटर और लैरी पॉटर
वर्ष 1999 में अमरीकी लेखिका नैन्सी कैथलीन स्टॉफर ने हैरी पॉटर (harry potter) सीरीज की लेखिका जे के राउलिंग (jk rowling) पर कॉपीराइट उल्लंघन का मामला दर्ज किया। नैन्सी का आरोप था कि राउलिंग ने उनकी 1984 की कृतियों ‘द लेजेंड ऑफ राह एंड द मगल्स’ और ‘लैरी पॉटर एंड हिज बेस्ट फ्रेंड लिली’ के कॉपीराइट और ट्रेडमार्क का उल्लंघन किया। स्टॉफर के मामले का प्राथमिक आधार ‘मगल्स’ और ‘लैरी पॉटर’ को बनाया गया, जो उनके दिमाग की उपज थे, लेकिन राउलिंग ने उन्हें अपनी किताबों में शामिल कर लिया था।
मामले में राउलिंग, स्कोलास्टिक प्रेस और वार्नर ब्रदर्स ने दलील दी कि उन्होंने किसी कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं किया। अदालत ने राउलिंग के पक्ष में निर्णय दिया। राउलिंग ने साबित किया कि स्टॉफर ने कपटपूर्ण दस्तावेज जमा कर मुकदमा किया है।

‘दा विंची कोड’ की दूसरी किताबों से समानता
दुनिया के सबसे चर्चित और रोचकता से लिखने वाले लेखक डैन ब्राउन (dan brown) की पुस्तक ‘दा विंची कोड’ (da vinci code) भी कॉपीराइट उल्लंघन के मामलों से अछूती नहीं रही। वर्ष 2005 में उपन्यासकार लुइस पेरड्यू ने ब्राउन और प्रकाशक रैंडम हाउस पर अपने उपन्यास ‘द विंची लिगेसी’ (1983) और ‘डॉटर ऑफ गॉड’ (1999) से साहित्यिक चोरी के लिए मुकदमा दायर किया, जिसमें दावा किया गया कि उनकी किताबों और ‘दा विंची कोड’ के बीच बहुत अधिक समानताएं हैं।
जिला न्यायाधीश जॉर्ज बी. डेनियल्स ने मुकदमे को खारिज कर दिया। इसी तरह 2007 में लेखक जैक डन ने मैसाचुसेट्स में ब्राउन, रैंडम हाउस और सोनी पिक्चर्स के खिलाफ एक अन्य कॉपीराइट उल्लंघन का मुकदमा दायर किया। इसमें दावा किया गया कि ब्राउन ने ‘दा विंची कोड’ लिखते समय उनके 1997 के उपन्यास ‘द वेटिकन बॉयज’ से साहित्यिक चोरी की। यह दावा भी खारिज कर दिया गया।

धोखे से हथियाए अधिकार
हार्पर ली (harper lee) की 1960 की मशहूर किताब ‘टू किल ए मॉकिंगबर्ड’ (to kill a mockingbird) बताती है कि संगठित तंत्रों से कॉपीराइट कानून को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।
वर्ष 2013 में लेखक हार्पर ली ने अपने साहित्यिक एजेंट सैमुअल पिंकस पर मुकदमा दायर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि एजेंट ने 2007 में उनकी दुर्बलताओं का फायदा उठाते हुए उनसे 1960 की किताब के अधिकार सौंपने के लिए धोखा दिया।
एजेंट ने रॉयल्टी के रूप में लाखों डॉलर कमा लिए। यह मामला मध्यस्थता से खत्म हो गया। हार्पर ने इस किताब के लिए 1961 में पुलित्जर पुरस्कार जीता था।
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