Tension: अमीर होने से पहले ही बूढ़े हो जाएंगे ये एशियाई देश Read it later

Tension. एशियाई देशों की आबादी में वृद्धों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह स्थिति इस बात का संकेत है कि एशियाई देश अमीर होने से पहले ही बूढ़े हो जाएंगे, जैसे थाईलैंड तेजी से वृद्ध हो रहा है। वर्ष 2021 में 65 या उससे अधिक उम्र के थाई लोगों की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत हो गई है। यह वह सीमा है जिसका उपयोग अक्सर वृद्ध समाज को परिभाषित करने के लिए किया जाता है। जल्द ही थाईलैंड में भी जापान, दक्षिण कोरिया व अधिकांश पश्चिमी देशों की तरह श्रमिकों की घटती संख्या का संकट खड़ा होगा। साथ ही प्रभावी उपायों के बिना, उत्पादकता और विकास में गिरावट आएगी।

थाईलैंड के डवलपमेंट को प्रभावित करेगी ये सुचिएशन

थाईलैंड, जापान व अन्य देशों की तरह विकसित देश नहीं है और अमीर होने से पहले ही बूढ़ा हो रहा है। यह स्थिति थाईलैंड के विकास में बड़ी बाधा साबित होगी। 1960 और 1996 के बीच (एशियाई वित्तीय संकट से ठीक पहले) थाईलैंड की अर्थव्यवस्था 7.5 फीसदी की औसत वार्षिक दर से बढ़ी। इस बीच जीवन प्रत्याशा में सुधार और अन्य कारकों के कारण दो दशकों में इसकी आबादी में वृद्धों की हिस्सेदारी सात फीसदी से बढ़कर दोगुनी हो गई, जबकि इसी परिवर्तन से गुजरने में जापान को 24 साल, अमरीका को 72 साल व पश्चिमी यूरोप के अधिकांश भाग को 100 साल से अधिक का समय लगा।

श्रीलंका और वियतनाम में भी बढ़ी बुजुर्गों की तादाद

विकासशील देशों में तेजी से बढ़ती वृद्धावस्था की दर और धीमी वृद्धि व्यापक है। ऐसे देश जो विकसित होने से पहले ही बूढ़े हो गए हैं, वे अपने जनसांख्यिकीय अवसर का लाभ उठाने में विफल रहे हैं, तेजी से वृद्ध हुए हैं या उन्हें दोनों समस्याओं का सामना करना पड़ा है। इसी तरह इंडोनेशिया और फिलीपींस के भी अमीर देशों की तुलना में कम आय स्तर वाला वृद्ध समाज बनने का अनुमान है। वहीं श्रीलंका जहां औसत आय थाईलैंड की तुलना में एक तिहाई कम है, 2028 तक बूढ़ा हो जाएगा। वियतनाम में भी लगभग ऐसी ही स्थिति है।

भारत को भी देना होगा अपने साउथ इंडिया के स्‍टेट पर ध्‍यान

इस संबंध में भारत को दक्षिणी राज्यों की ओर ध्यान देने की जरूरत है, जहां आबादी तेजी से वृद्ध हो रही है। केरल में 17 फीसदी आबादी 60 या उससे अधिक उम्र की है। भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, फिर भी विकास दर थाईलैंड जितनी तेज नहीं रही। 2020 के दशक में भारत की औसत वार्षिक विकास दर 6.6 फीसदी ही रही है। एशियाई देशों की स्थिति बताती है कि कामकाजी आबादी वाले देशों को इससे कहीं अधिक विकास की आवश्यकता है। भारत के पास बड़ी युवा श्रमशक्ति है, ऐसे में देश के पास आर्थिक विकास का इससे बेहतर मौका हो नहीं सकता।

एशियाई देशों को करने होंगे ये उपाय

  • – वृद्धावस्था के लिए पहले से ही योजना बनानी चाहिए
  • – पेंशन प्रणाली में सुधार करना चाहिए, जिसमें रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाना भी शामिल हो
  • – श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए
  • – दीर्घकालिक बचत और स्वास्थ्य बीमा के विकल्प प्रदान करते हुए वित्तीय बाजारों को पोषित करना चाहिए
  • एशिया और प्रशांत क्षेत्र में वृद्ध आबादी
  • – 2020 में यहां वृद्धों की संख्या 63 करोड़ थी, इसके 2050 तक 1.3 अरब होने का अनुमान है
  • – 2050 तक वृद्धजनों की कुल संख्या में सबसे बुजुर्ग (80 वर्ष या उससे अधिक) आबादी का हिस्सा 20 फीसदी होगा
  • – 03 साल पहले बुजुर्गों की आबादी में महिलाओं का प्रतिशत अधिक था, यह दौर आगे भी जारी रहेगा

 

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