Bilaspur Train Accident: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से कोरबा रूट पर मंगलवार की शाम को हुए ट्रेन हादसे ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। गेवरा रोड से बिलासपुर आ रही MEMU लोकल ट्रेन ने गतौरा स्टेशन के बीच लाल खदान के पास आगे चल रही मालगाड़ी को पीछे से टक्कर मार दी। हादसे में 7 यात्रियों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मृतकों की संख्या 10 से अधिक हो सकती है। करीब 25 से ज्यादा यात्री घायल हैं। प्रशासन और रेलवे की टीमें राहत-बचाव कार्य में जुटी हैं।
हादसा कैसे हुआ? दोनों ट्रेनें एक ही ट्रैक पर आ गईं
Bilaspur Train Accident की यह घटना मंगलवार अपरान्ह करीब 4 बजे की है। गेवरा रोड से बिलासपुर आ रही MEMU लोकल ट्रेन और मालगाड़ी एक ही ट्रैक पर आ गईं, जिससे यह भीषण टक्कर हुई। बताया जा रहा है कि मालगाड़ी के आखिरी डिब्बे में MEMU लोकल का इंजन जा घुसा, जिससे कई डिब्बे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। टक्कर इतनी जोरदार थी कि यात्रियों में अफरा-तफरी और चीख-पुकार मच गई।
हादसे का स्थान और समय
यह दुर्घटना लाल खदान के पास हुई, जो बिलासपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। घटना के बाद आसपास के ग्रामीण और रेलवे कर्मचारी मौके पर पहुंच गए और राहत कार्य में जुट गए। हादसे का समय शाम करीब 4 बजे का बताया जा रहा है।
रेलवे ट्रैक और सिग्नल सिस्टम को भी नुकसान
इस दुर्घटना के कारण ओवरहेड वायर और सिग्नल सिस्टम को भारी नुकसान हुआ है। इससे इस रूट पर ट्रेनों की आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई है। कई ट्रेनों को रद्द किया गया है, जबकि कुछ ट्रेनों का रूट डायवर्ट किया गया है। रेलवे अधिकारियों ने कहा है कि बहाली कार्य में समय लग सकता है, क्योंकि सिग्नल और ट्रैक दोनों को दोबारा दुरुस्त करना होगा।
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प्रशासन और रेलवे ने शुरू की जांच
रेलवे ने इस दुर्घटना की औपचारिक जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में सिग्नलिंग त्रुटि या कम्युनिकेशन गड़बड़ी को कारण माना जा रहा है। अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद हैं और दुर्घटना के कारणों की गहराई से जांच कर रहे हैं।
गैस कटर से की गई रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत
हादसे के बाद रेलवे और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। शाम 8 बजे तक कई फंसे हुए यात्रियों को बोगियों से गैस कटर की मदद से निकाला गया। बोगियों में महिलाएं और बच्चे भी फंसे हुए थे, जिन्हें सुरक्षित बाहर निकाला गया।
मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका
कलेक्टर संजय अग्रवाल ने हादसे में 7 लोगों की मौत की पुष्टि की है, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि मृतकों की संख्या इससे अधिक हो सकती है। कई यात्रियों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। घायलों को रेलवे अस्पताल, सिम्स अस्पताल और अपोलो हॉस्पिटल बिलासपुर में भर्ती कराया गया है।
घायल यात्रियों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल
हादसे में घायल यात्रियों में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। डॉक्टरों की टीम अस्पतालों में लगातार इलाज में जुटी है। प्रशासन ने सभी अस्पतालों में इमरजेंसी अलर्ट जारी कर दिया है।
राहत और बचाव में जुटी टीमें
रेलवे, जिला प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें लगातार राहत कार्य में लगी हुई हैं। हादसे के बाद ट्रैक से मलबा हटाने और बोगियों को काटकर यात्रियों को बाहर निकालने का कार्य रात तक जारी रहा। आसपास के गांवों के लोग भी राहत कार्य में मदद कर रहे हैं।
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क्या है प्रशासन की अगली कार्रवाई
कलेक्टर और डीआरएम ने घटनास्थल का दौरा किया और स्थिति की समीक्षा की। अधिकारियों ने बताया कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, ट्रेन परिचालन बंद रहेगा। रेलवे ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने और घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाने की घोषणा की है।
हादसे के बाद यात्रियों में भय और गुस्सा
इस दर्दनाक हादसे के बाद यात्रियों और उनके परिजनों में गहरा आक्रोश है। कई लोगों ने रेलवे पर लापरवाही का आरोप लगाया है। सोशल मीडिया पर #BilaspurTrainAccident ट्रेंड कर रहा है और लोग रेलवे से जवाब मांग रहे हैं।
रेलवे ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर
रेलवे ने राहत के तहत हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं ताकि लोग अपने परिजनों की जानकारी प्राप्त कर सकें। स्थानीय प्रशासन ने भी आपातकालीन सहायता केंद्र स्थापित किया है।
हादसे के बाद रद्द और डायवर्ट ट्रेनें
दुर्घटना के चलते बिलासपुर-कोरबा रूट पर कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। कुछ ट्रेनों को वैकल्पिक रूट से डायवर्ट किया गया है। रेलवे ने यात्रियों से यात्रा स्थगित करने की अपील की है।
यात्रियों की मदद में जुटे स्थानीय लोग
लाल खदान और आसपास के ग्रामीणों ने हादसे के बाद रेस्क्यू टीम की मदद की। उन्होंने घायलों को पानी, प्राथमिक इलाज और अन्य सहायता दी। यह मानवीय सहयोग राहत कार्य में बेहद अहम साबित हुआ।
दुर्घटना ने उठाए सुरक्षा पर सवाल
Bilaspur Train Accident ने एक बार फिर रेलवे सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी मॉनिटरिंग और सिग्नल सिस्टम में सुधार की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
Bilaspur Train Accident ने न केवल कई जिंदगियां छीन लीं, बल्कि यह भी साबित किया कि रेलवे सिस्टम में अभी भी तकनीकी और मानवीय त्रुटियों को लेकर सुधार की बड़ी आवश्यकता है। प्रशासनिक तत्परता और राहत कार्य सराहनीय रहे, लेकिन जांच के बाद यह स्पष्ट होगा कि आखिर ऐसी लापरवाही कैसे हुई।
गैस कटर से काटकर फंसे यात्रियों को निकाला गया
Bilaspur Train Accident के बाद रेलवे और जिला प्रशासन की rescue team ने रातभर राहत कार्य चलाया। कई यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। रात 8 बजे तक पैसेंजर ट्रेन की बोगी को गैस कटर (gas cutter) की मदद से काटकर अलग किया जा रहा था ताकि अंदर फंसे यात्रियों को बाहर निकाला जा सके।
महिलाओं और बच्चों की भी फंसे होने की जानकारी
बोगियों में कई महिलाएं और बच्चे फंसे हुए थे, जिन्हें निकालने में बचाव दल को काफी मशक्कत करनी पड़ी। मौके पर डॉक्टरों और एंबुलेंस की टीम मौजूद रही। प्रशासन का कहना है कि मृतकों की संख्या (death toll) बढ़ सकती है क्योंकि कई यात्रियों की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
कलेक्टर ने पुष्टि की, कई अस्पतालों में चल रहा इलाज
कलेक्टर संजय अग्रवाल ने 5 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि की है। वहीं, करीब 12 से अधिक घायलों का इलाज रेलवे अस्पताल, सिम्स (SIMS) और अपोलो अस्पताल बिलासपुर (Apollo Hospital Bilaspur) में चल रहा है। घायलों में बच्चे भी शामिल हैं, जिन्हें तत्काल चिकित्सा सुविधा दी जा रही है।
Q&A
ट्रेन दुर्घटना में कितने मरे?
बिलासपुर ट्रेन दुर्घटना में अब तक 7 यात्रियों की मौत की आधिकारिक पुष्टि की गई है। हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मृतकों की संख्या 10 से अधिक हो सकती है।एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन क्या है?
एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन (Accident Relief Train – ART) रेलवे द्वारा विशेष रूप से तैयार की गई एक इमरजेंसी ट्रेन होती है, जो रेल दुर्घटनाओं के समय तुरंत मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य करती है। इसमें मेडिकल टीम, उपकरण, गैस कटर, क्रेन और जरूरी संसाधन मौजूद होते हैं।भारत का सबसे बड़ा रेल हादसा कौन सा है?
भारत का अब तक का सबसे बड़ा रेल हादसा 1981 में बिहार के बघा गांव के पास हुआ था, जब एक पैसेंजर ट्रेन पुल से नीचे गिर गई थी। इसमें 750 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।भारत में सबसे बड़ी रेल दुर्घटना कौन सी है?
सबसे बड़ी रेल दुर्घटनाओं में से एक है 1995 का फिरोजाबाद रेल हादसा, जिसमें एक एक्सप्रेस ट्रेन ने खड़ी हुई ट्रेन को टक्कर मार दी थी। इस दुर्घटना में 300 से अधिक लोग मारे गए थे।एक्सीडेंट केस में कितना मुआवजा मिलता है?
रेलवे द्वारा किसी यात्री की दुर्घटना में मृत्यु होने पर वर्तमान नियमों के अनुसार ₹5 लाख तक का मुआवजा दिया जाता है। घायल यात्रियों को ₹50 हजार से ₹2 लाख तक की राशि चोट की गंभीरता के अनुसार दी जाती है।एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन की स्पीड कितनी है?
Accident Relief Train की अधिकतम गति सामान्यतः 100 से 110 किमी प्रति घंटा होती है, ताकि वह तेज़ी से घटनास्थल तक पहुंच सके। कई बार विशेष परिस्थितियों में इसे और तेज गति से भी भेजा जाता है।रेलवे का मुआवजा कितना मिलता है?
दुर्घटना में मृत्यु होने पर रेलवे द्वारा ₹5 लाख तक, गंभीर रूप से घायल होने पर ₹2 लाख तक, और सामान्य चोटों पर ₹50 हजार तक का मुआवजा प्रदान किया जाता है। यह राशि रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल के माध्यम से तय होती है।स्रोत: Railway Claims Tribunal – Ministry of Railways, Government of India (claims.indianrail.gov.in)
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