जयपुर के SMS अस्पताल में फिर आग, गंभीर मरीजों की जानें खतरे में Read it later

SMS Hospital fire: जयपुर स्थित सवाई मान सिंह अस्‍पताल ( SMS Hospital) में रविवार की रात एक भयानक आग ने अस्पताल को हिलाकर रख दिया। ICU में आग फैलने से 8 मरीजों की मौत हुई और करीब 10 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था की संवेदनशीलता पर एक ज़ोरदार चेतावनी है।

आग कैसे शुरू हुई और क्या हुआ

रात करीब ढाई बजे, ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल पर अचानक short circuit की रिपोर्ट मिली। उस जगह पर आग तेजी से फैल गई, और धुआँ अस्पताल के गलियारों में घुल गया। दमकल वाहन मौके पर जल्दी पहुँचे, लेकिन घनघोर धुएँ के बीच बचाव प्रयासों को भारी संघर्ष करना पड़ा।

मरीजों की हालत शिफ्टिंग के दौरान और बिगड़ी

अस्पताल प्रशासन ने बताया कि ICU में भर्ती मरीजों की हालत पहले से ही गंभीर थी और उनमें से अधिकांश coma में थे। ऐसे मरीजों को लगातार life support system की ज़रूरत होती है। आग लगने के बाद ICU में toxic gases फैल गईं, जिससे मरीजों की स्थिति और बिगड़ गई।

प्रशासन के अनुसार, मरीजों को सपोर्ट सिस्टम के साथ ही दूसरे फ्लोर के ICU में शिफ्ट करने की कोशिश की गई, लेकिन प्रक्रिया के दौरान उनकी हालत और नाज़ुक हो गई। कई मरीजों को समय रहते रेस्क्यू किया गया, मगर 6 लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी।

हादसे में जान गंवाने वाले मरीजों के नाम इस प्रकार हैं:
  • पिंटू, सीकर

  • दिलीप, जयपुर

  • श्रीनाथ, भरतपुर

  • रुक्मणी, भरतपुर

  • खुरमा, भरतपुर

  • बहादुर, जयपुर

SMS Hospital fire: कमजोर बिजली और सुरक्षा प्रणाली

जांच में यह बात सामने आई कि अस्पताल की वायरिंग पुरानी थी और उसमें नियमित मरम्मत नहीं की गई थी। ICU जैसे संवेदनशील विभागों में automatic sprinkler, backup power system, और fire alarms मौजूद नहीं थे। ये बुनियादी सुरक्षा उपाय यदि होते, तो जान बचने की संभावना बहुत अधिक थी।

शेरू की आंखों के सामने ICU में जलती रही मां, स्टाफ रहा लापरवाह

भरतपुर के रहने वाले शेरू के लिए वह रात किसी बुरे सपने से कम नहीं थी। उन्‍होंने बताया कि उनकी मां ICU में भर्ती थीं और आग की शुरुआत होते ही हालात बेकाबू होने लगे। शेरू की आंखों में आंसू छलकते हैं जब वे कहते हैं, “धुआं उठना करीब 20 मिनट पहले ही शुरू हो गया था। हमने कई बार स्टाफ को बताया लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।”

धीरे-धीरे ICU में लगी plastic tubes पिघलने लगीं और स्थिति और गंभीर हो गई। शेरू बताते हैं कि जैसे ही हालात बिगड़ने लगे, ward boys वहां से भाग गए। “हमें किसी ने मदद नहीं की, मैंने खुद अपनी मां को ICU से बाहर निकाला।

चौंकाने वाली बात यह है कि हादसे के लगभग दो घंटे बाद तक भी उनकी मां को सही इलाज या सुरक्षित जगह नहीं मिली। “उन्हें ग्राउंड फ्लोर पर शिफ्ट किया गया, लेकिन अब तक हमें यह नहीं बताया गया कि उनकी हालत कैसी है,” शेरू की आवाज भर आती है।

2025 में यह दूसरी आग

इस साल यह SMS Hospital में दूसरी आग की घटना है। जनवरी 2025 में आयुष्मान टاور में भी आग लगी थी, जिसमें नेटवर्क कचरे से धुआँ फैला था। उस वक्त किसी की जान नहीं गयी थी, लेकिन प्रशासन को गंभीर चेतावनी मिल गई थी।

अस्पताल की पिछली आगों की ताज़ी झलक

SMS Hospital का यह पहला अग्निकांड नहीं है। 2019 में मात्र एक महीने में चिकित्सा शॉप और प्रयोगशालाओं में तीन आगें लगी थीं। जनवरी 2024 में माइक्रोबायोलॉजी लैब में भी भारी नुकसान हुआ था। ये घटनाएँ यह बताती हैं कि सुधार बेहतर नीतियों के अभाव में सतही ही रहे हैं।

किसे दी जाए जिम्मेदारी?

मृतकों के परिजन तुरंत मुआवजा और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। अस्पताल प्रशासन ने जांच समिति बनाने का भरोसा दिया है। लेकिन सवाल यह है—पहले से आग लगने की घटनाओं के बाद किए गए आश्वासन क्यों जमीन पर लागू नहीं हुए?

सुधार की दिशा: अब क्या कदम उठाने चाहिए
  • अस्पताल भर में नियंत्रित अग्नि ऑडिट और अनियंत्रित बिजली जाँच

  • पूरी वायरिंग व्यवस्था का नवीनीकरण

  • ICU और संवेदनशील विभागों में automatic sprinkler, fire alarms, smoke sensors

  • Backup generator और emergency lighting

  • कर्मचारियों के लिए नियमित fire drills और प्रशिक्षण

  • बाहरी तृतीय पक्ष निरीक्षण और जवाबदेही व्यवस्था

सीएम भजनलाल शर्मा ने अस्पताल पहुंच लिया जायजा

एसएमएस अस्पताल में आग की घटना के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा खुद मौके पर पहुंचे। उनके साथ डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा समेत कई मंत्री और विधायक भी अस्पताल पहुंचे। घटना के बाद पूरे अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ था। मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा, “Short circuit के कारण ICU में आग लगने की सूचना मिलने के बाद मुख्यमंत्री यहां आए हैं। यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। कुछ लोगों की जान चली गई है, लेकिन 24 में से अधिकांश मरीजों को बचा लिया गया है। उनका इलाज हमारी प्राथमिकता है।”

पुलिस और FSL की टीम जांच में जुटी

जयपुर पुलिस आयुक्त बिजू जॉर्ज जोसेफ ने बताया कि आग के कारणों की जांच के लिए Forensic Science Lab (FSL) की टीम मौके पर पहुंच चुकी है। शुरुआती जांच में short circuit की संभावना जताई जा रही है, लेकिन अंतिम रिपोर्ट FSL से आने के बाद ही स्पष्ट होगी।

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