Chandrayaan-3 LIVE Telecast:भारत इतिहास रचने की अग्नि‍परीक्षा के करीब Read it later

Chandrayaan-3 LIVE Telecast:भारत का चंद्र मिशन यानी चंद्रयान-3 का लैंडर 23 अगस्त को अपने निर्धारित समय यानी शाम 6:04 बजे चंद्रमा पर उतरेगा। इसरो ने मंगलवार (22 अगस्त) को मिशन के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सभी प्रणालियों की समय-समय पर जांच की जा रही है। ये सभी ठीक से काम कर रहे हैं। (India’s third lunar mission)

आज शाम 6.04 बजे होने वाली ऐतिहासिक लैंडिंग से पहले, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने लैंडिंग प्रक्रिया का सीधा प्रसारण आयोजित करने का ऐलान किया। यह प्रसारण आज शाम 5.20 बजे शुरू होगा। लाइवस्ट्रीमिंग का लिंक भी साझा किया गया है और यह इसरो की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है।

 

Table of Contents

उत्तर प्रदेश के सभी मदरसों में चंद्रयान-3 की लैंडिंग का सीधा प्रसारण होगा (Chandrayaan-3 LIVE Telecast)

इधर साइंस अवरेयनेस और इंक्‍लूजिव को बढ़ावा देने की दिशा में, उत्तर प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले लड़के और लड़कियां भी बुधवार को चंद्रयान -3 को चंद्रमा पर उतरते देखेंगे। अल्पसंख्यक, मुस्लिम वक्फ और हज राज्य मंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने निदेशक को निर्देश दिया है अल्पसंख्यक कल्याण विभाग राज्य के सभी मदरसों में चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने के ऐतिहासिक क्षण का सीधा प्रसारण (Chandrayaan-3 LIVE Telecast) करेगा।

 

Chandrayaan-3 LIVE Telecast

 

चंद्रयान 3 चंद्रमा लैंडिंग लाइव अपडेट: चंद्रयान -3 कल शाम लगभग 6.04 बजे चंद्रमा पर उतरने के लिए तैयार है। (Indian space program) अंतरिक्ष यान अब अपने अंतिम गंतव्य, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से केवल एक दिन दूर है। इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने सफल सॉफ्ट-लैंडिंग का भरोसा जताया है। उन्होंने कहा कि यह आत्मविश्वास प्रक्षेपण से पहले की सभी तैयारियों और चंद्रमा की यात्रा में एकीकृत मॉड्यूल और लैंडिंग मॉड्यूल द्वारा की गई बाधा-मुक्त प्रगति से उपजा है।

इस बीच, (Indian space program) चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल – लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान (Pragyan Rover Vikram Lander) के साथ – चंद्रमा के चारों ओर सभी जरूरी परिक्रमा और डीबूस्टिंग प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद लैंडिंग के लिए ‘सही स्थान’ की तलाश कर रहा है।

इसरो के अनुसार, (Chandrayaan-3 LIVE Telecast) सोमवार को चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल और चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर (2019 में लॉन्च किए गए भारत के चंद्रमा मिशन का दूसरा संस्करण) के बीच दो-तरफा संचार स्थापित किया गया था। “’आपका स्वागत है दोस्त!’ Ch-2 ऑर्बिटर (Ch-2 Orbiter) ने औपचारिक रूप से Ch-3 LM का स्वागत किया। दोनों के बीच दोतरफा संवाद स्थापित करते हुए इसरो ने एक्‍स पर लिखा कि MOX के पास अब LM तक पहुंचने के लिए अधिक मार्ग हैं ”।

बहरहाल, इसरो ने चंद्रमा की नई तस्वीरें साझा की हैं। चंद्रयान ने 70 किमी की दूरी से लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (LPDC) की मदद से ये तस्वीरें खींची हैं। इस मौके पर भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) ने कहा कि वे चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं।

 

Chandrayaan-3 LIVE Telecast
चांद की ये तस्वीरें चंद्रयान-3 के द्वारा खींची गई है, इसे मंगलवार (22 अगस्त) को इसरो ने जारी किया।

 

लैंडिंग के आखिरी 15 मिनट सबसे कठिन होंगे

चंद्रयान-3 के लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग में 15 से 17 मिनट का समय लगेगा। (Chandrayaan-3 LIVE Telecast) इस अवधि को ‘आतंक के 15 मिनट’ कहा जा रहा है। अगर चंद्रयान-3 मिशन सफल रहा तो भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने वाला पहला देश बन जाएगा।

चंद्रमा पर उतरने से दो घंटे पहले लैंडर मॉड्यूल की स्थिति और चंद्रमा पर स्थितियों के आधार पर यह तय किया जाएगा कि उस समय उतरना उचित होगा या नहीं। अगर किसी भी तरह की दिक्‍कत आती है तो 27 अगस्त को लैंडिंग कराई जाएगी।

चंद्रयान का दूसरा और अंतिम डीबूस्टिंग ऑपरेशन रविवार रात 1.50 बजे पूरा हुआ। इसके बाद चंद्रमा से लैंडर की न्यूनतम दूरी 25 किमी और अधिकतम दूरी 134 किमी है। डीबूस्टिंग में अंतरिक्ष यान की गति धीमी कर दी जाती है।

 

 

लैंडिंग के चार चरण होंगे: (Chandrayaan-3 LIVE Telecast)

1. रफ ब्रेकिंग की फेज (Rough Breaking Phase)

इस समय लैंडर लैंडिंग साइट से 750 किमी दूर होगा और गति 1.6 किमी/सेकंड होगी।
यह चरण 690 सेकंड तक रहेगा। इस दौरान विक्रम के सभी सेंसर को कैलिब्रेट किया जाएगा।
690 सेकंड में क्षैतिज गति 358 मीटर/सेकंड होगी और नीचे की ओर गति 61 मीटर/सेकंड होगी।

 

2. एल्‍टीट्यूड होल्‍ड फेज (Altitude Hold Phase)

विक्रम चंद्रमा की सतह की तस्वीरें लेगा और उनकी तुलना पहले से मौजूद तस्वीरों से करेगा।
चंद्रयान-2 के समय यह चरण 38 सेकेंड का था, अब इसे घटाकर 10 सेकेंड कर दिया गया है।
इस दौरान क्षैतिज वेग 336 मीटर/सेकेंड और ऊर्ध्वाधर वेग 59 मीटर/सेकेंड होगा।

 

3. फाइन ब्रेकिंग फेज (Fine Breaking Phase)

यह चरण 175 सेकंड तक चलेगा, जिसमें गति 0 पर आ जाएगी।
लैंडर की स्थिति पूरी तरह लंबवत होगी.
सतह से ऊंचाई 800 मीटर से 1300 मीटर के बीच होगी.
विक्रम के सेंसर सक्रिय हो जाएंगे और ऊंचाई मापी जाएगी।
तस्वीरें फिर से ली जाएंगी और उनका मिलान किया जाएगा।

 

4. टर्मिनल डिसेंट फेज (Terminal Descent phase)

अगले 131 सेकेंड में लैंडर सतह से 150 मीटर ऊपर आ जाएगा.
लैंडर पर लगा खतरा जांच कैमरा सतह की तस्वीरें लेगा।
विक्रम में लगा खतरा पता लगाने वाला कैमरा गो-नो-गो टेस्ट रन करेगा।
अगर सब कुछ सही रहा तो विक्रम 73 सेकेंड में चांद पर उतर जाएगा.
यदि जाने की स्थिति नहीं है (Chandrayaan-3 LIVE Telecast) तो यह 150 मीटर आगे जाकर रुकेगा।
दोबारा सतह की जांच करेंगे और सब कुछ सही रहा तो लैंडिंग करेंगे।

 

5. लैंडिंग के बाद क्या हो सकता है?

धूल छंटने के बाद विक्रम चालू होगा और कम्‍युनिकेशन साधेगा ।
फिर रैंप खुलेगा और प्रज्ञान रोवर रैंप से चंद्रमा की सतह पर आएगा।
विक्रम लैंडर प्रज्ञान की और प्रज्ञान विक्रम की तस्वीर लेगा।
ये तस्वीरें धरती पर भेजी जाएंगी। (Chandrayaan-3 LIVE Telecast)

 

चंद्रयान-2 ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 लैंडर के बीच हुआ कॉन्‍टेक्‍ट (Chandrayaan-3 LIVE Telecast)

इसरो यानीकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने सोमवार को कहा कि उसने चंद्रयान-2 मिशन के ऑर्बिटर और चंद्रयान-3 के लैंडर के बीच संपर्क स्थापित कर लिया है। दोतरफा संवाद स्थापित होने के बाद ऑर्बिटर ने लैंडर से कहा- ‘आपका स्वागत है दोस्त!’

 

इसरो ने चंद्रमा के सुदूर हिस्से की तस्वीरें साझा कीं

इसरो ने चंद्रमा के सुदूर हिस्से यानी एक ऐसे क्षेत्र की तस्वीरें साझा की हैं जो पृथ्वी से कभी दिखाई नहीं देता है। इसे 19 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 LIVE Telecast) में लगे लैंडर हैज़र्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा (LHDAC) से कैप्चर किया गया है। यह कैमरा लैंडर को सुरक्षित लैंडिंग क्षेत्र का पता लगाने में मदद करेगा। यानीकि एक ऐसा इलाका जहां बड़े-बड़े पत्थर और गड्ढे न हों।

 

प्रज्ञान रोवर चांद पर अशोक स्तंभ की छाप को यादगार बनाएगा

चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे एम. अन्नादुराई (M. Annadurai) ने कहा कि शाम को चंद्रयान-3 के लैंडर को 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रमा की सतह तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट का समय लगेगा। (Chandrayaan-3 LIVE Telecast) 23 अगस्त ये समय सबसे नाजुक रहने वाला है।

इसके बाद छह पहियों वाला Pragyan Rover Vikram Lander (प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर)  (Vikram Lander scheduled) से रैंप के जरिए बाहर निकलेगा और इसरो से कमांड मिलते ही चंद्रमा की सतह पर दौड़ेगा। (Chandrayaan-3 LIVE Telecast) इस दौरान इसके पहिये चंद्रमा की धरती पर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे।

9 अगस्‍त को चयरमैन ने कहा था कि सब कुछ विफल हुआ तो भी विक्रम उतरेगा

इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ ने 9 अगस्त को विक्रम की लैंडिंग के बारे में कहा था- ‘अगर सब कुछ विफल हो जाता है, अगर सभी तरह के सेंसर विफल हो जाते हैं, कुछ भी काम नहीं करता है, फिर भी यह (विक्रम) उतरेगा, (Chandrayaan-3 LIVE Telecast) बशर्ते कम्‍युनिकेशन एल्गोरिदम ठीक से काम करें। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि अगर इस बार विक्रम के दो इंजन भी फेल हो जाएं तो भी यह लैंडिंग करने में सक्षम रहेगा।

अब समझ लीजिए कि 15 मिनट का टेरर क्‍या है

किसी भी अंतरिक्ष मिशन के आखिरी क्षणों को टेरर के अंतिम मिनट ही कहा जाता है। (Chandrayaan-3 LIVE Telecast) ऐसा इसलिए क्योंकि ये आखिरी पल ही तय करते हैं कि मिशन (isro moon mission) सफल होगा या नहीं। चंद्रयान-3 के मामले में लैंडर को चंद्रमा की कक्षा से उतारने में 15-17 मिनट का समय लगेगा।

इसलिए इसे 15 मिनट्स ऑफ टेरर कहा जा रहा है। इन 15 मिनटों में ऑनबोर्ड सॉफ्टवेयर सारे फैसले लेगा। (Chandrayaan-3 LIVE Telecast) ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि धरती से दी जाने वाली कमांड को लैंडर तक पहुंचने में ज्यादा समय लगता है।

 

1. पृथ्वी से चंद्रयान-3 की चंद्रमा की कक्षा तक की यात्रा

  • 14 जुलाई को चंद्रयान को 170 किमी x 36,500 किमी की पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च किया गया था।
  • 15 जुलाई को पहली बार कक्षा को बढ़ाकर 41,762 किमी x 173 किमी कर दिया गया।
  • 17 जुलाई को कक्षा को दूसरी बार बढ़ाकर 41,603 किमी x 226 किमी कर दिया गया।
  • 18 जुलाई को कक्षा को तीसरी बार बढ़ाकर 51,400 किमी x 228 किमी कर दिया गया।
  • 20 जुलाई को कक्षा को चौथी बार बढ़ाकर 71,351 x 233 किमी कर दिया गया।
  • 25 जुलाई को कक्षा को 5वीं बार बढ़ाकर 1,27,603 किमी x 236 किमी कर दिया गया।

 

2. पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा तक की यात्रा ऐसी रही

  • 31 जुलाई और 1 अगस्त की रात को चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की ओर चला गया।
  • 5 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की 164 किमी x 18074 किमी की कक्षा में प्रवेश किया।

 

3. चंद्रमा की कक्षा से लैंडिंग तक का सफर ऐसा रहा

  • 6 अगस्त को पहली बार चंद्रयान की कक्षा घटाकर 170 किलोमीटर x 4313 किलोमीटर कर दी गई।
  • 9 अगस्त को चंद्रयान की कक्षा दूसरी बार घटाकर 174 किमी x 1437 किमी कर दी गई।
  • 14 अगस्त को चंद्रयान की कक्षा तीसरी बार घटाकर 150 किमी x 177 किमी कर दी गई।
  • 16 अगस्त को, चंद्रयान ने 153 किमी X 163 किमी की निकट-गोलाकार कक्षा में प्रवेश किया।
  • 17 अगस्त को चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल लैंडर-रोवर से अलग हो गया था। (Chandrayaan-3 LIVE Telecast)
  • 18 अगस्त को विक्रम लैंडर डीबूस्टिंग प्रक्रिया से 113 x 157 किमी की कक्षा में आया।
  • 20 अगस्त को विक्रम लैंडर डीबूस्टिंग प्रक्रिया से 25 x 134 किमी की कक्षा में आया।

 

ये भी पढ़ें –

रूस का Luna-25 स्पेसक्राफ्ट चांद पर क्रैश, अंतरिक्ष प्रोग्राम को झटका

Chandrayaan 3 Launch: चंद्रयान-3 से भारत को क्‍या मिलेगा? पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने कहा, देश बनेगा सुपरपावर

Like and Follow us on :

Google News |Telegram | Facebook | Instagram | Twitter | Pinterest | Linkedin

Was This Article Helpful?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *