Mahashivratri 2025 Date and Significance: महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। Shiv Puran के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे। उस समय Brahma और Vishnu के बीच विवाद हो रहा था, जिसे शांत करने के लिए भगवान शिव प्रकट हुए। इस साल 26 फरवरी 2025 बुधवार को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।
📌 महाशिवरात्रि की रात में शिवलिंग की पूजा करने से भक्तों को शिवधाम की प्राप्ति होती है।
🛕 महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व
📖 Shri Markandeya Purana के अनुसार, हिंदू धर्म में तीन विशेष रात्रियों का उल्लेख किया गया है:
- कालरात्रि (Holi)
- मोहरात्रि (Diwali, Sharad Purnima)
- महारात्रि (Mahashivratri 2025)
📌 Mahashivratri को महारात्रि कहा जाता है, क्योंकि यह रात्रि भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की रात मानी जाती है।
📌 मान्यता है कि इस रात भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वी पर भ्रमण करते हैं। जो भक्त पूरी रात जागकर शिवलिंग का पूजन करते हैं, उन्हें शिव कृपा प्राप्त होती है।
🌟 149 साल बाद बन रहा दुर्लभ ग्रह योग
📌 Mahashivratri 2025 पर शुभ संयोग बन रहा है। 149 साल बाद ऐसा होगा जब:
- Shukra (Venus) उच्च राशि मीन में रहेगा और साथ में Rahu भी होगा।
- Surya और Shani कुंभ राशि में रहेंगे, जिससे पिता-पुत्र का अद्भुत योग बनेगा।
- Kumbh Rashi में सूर्य और शनि का संयोग और Meen Rashi में गुरु-शिष्य का योग शिव पूजा को और भी विशेष बना देगा।
- 1873 में भी यही ग्रह स्थिति बनी थी और तब भी महाशिवरात्रि बुधवार को थी।
📌 इस दुर्लभ योग में शिव पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होगा और मनोकामनाएं पूरी होंगी।
🔱 महाशिवरात्रि पूजन विधि और शुभ मुहूर्त
📅 महाशिवरात्रि 2025 पूजा का शुभ मुहूर्त:
- प्रथम प्रहर पूजा: रात 06:30 PM – 09:30 PM
- द्वितीय प्रहर पूजा: रात 09:30 PM – 12:30 AM
- तृतीय प्रहर पूजा: रात 12:30 AM – 03:30 AM
- चतुर्थ प्रहर पूजा: सुबह 03:30 AM – 06:30 AM
📌 पूजा में करें ये उपाय:
- शिवलिंग का अभिषेक: जल, दूध, शहद, बेलपत्र और भस्म से करें।
- मंत्र जाप: “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करें।
- रात्रि जागरण: पूरी रात जागकर शिव भक्ति करें।
- दान और सेवा: गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र दान करें।
📌 इन उपायों से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
🕉️ महाशिवरात्रि पर इन 5 चीजों का रखें विशेष ध्यान
✅ सात्विक भोजन करें: इस दिन व्रत रखकर फलाहार या सिर्फ दूध और पानी का सेवन करें।
✅ शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं: इससे पापों का नाश होता है।
✅ बेलपत्र, धतूरा और भस्म अर्पित करें: यह भगवान शिव को प्रिय हैं।
✅ किसी को अपशब्द न कहें और क्रोध से बचें: शिवरात्रि के दिन शांति बनाए रखें।
✅ शिव तांडव स्तोत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें: इससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
ये भी पढ़ें –
शिवाराधना से जुड़ी जरूरी बात: जानिए कैसे प्रसन्न होंगे महादेव, ऐसे करें पूजा
📜 महाशिवरात्रि से जुड़े पौराणिक तथ्य
📌 Shiv Puran के अनुसार, शिवजी इस रात अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
📌 Ratri Jagran करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
📌 भगवान शिव को भस्म, बेलपत्र, धतूरा और जल अर्पित करना विशेष लाभकारी माना जाता है।
🔔 यह रात्रि मोक्ष देने वाली
Mahashivratri 2025 इस बार 149 साल बाद बन रहे दुर्लभ ग्रह योग में मनाई जाएगी। शिव पुराण के अनुसार, इस रात शिवलिंग का पूजन करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। शुभ संयोग में Shiv Puja और Ratri Jagran करने से विशेष फल मिलेगा।
महाशिवरात्रि 2025: राशि अनुसार करें शिव पूजा, मिलेगा शुभ फल और ग्रह दोष होंगे शांत
Mahashivratri 2025 पर Shiv Puja का विशेष महत्व है। इस दिन Lord Shiva, Goddess Parvati, Lord Ganesha और Kartikeya Swami का विशेष अभिषेक किया जाता है।
📌 मान्यता है कि Mahashivratri पर की गई पूजा से जीवन में सुख-शांति आती है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
📌 जिन लोगों की कुंडली में ग्रह दोष (Dosha) होते हैं, वे यदि राशि अनुसार शिव पूजा करें, तो ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव कम हो सकते हैं।
👉 आइए जानते हैं Mahashivratri 2025 पर राशि अनुसार शिव पूजन विधि।
🔱 महाशिवरात्रि पर राशि अनुसार शिव पूजा कैसे करें?
♈ मेष राशि (Aries)
🛕 Shivling Abhishek: कच्चा दूध और दही चढ़ाएं।
🔥 विशेष उपाय: कर्पूर जलाकर आरती करें और दूध-दही का दान करें।♉ वृषभ राशि (Taurus)
🛕 Shivling Abhishek: गन्ने के रस से अभिषेक करें।
🌸 विशेष उपाय: पूजा में इत्र चढ़ाएं और गन्ने के रस का दान करें।♊ मिथुन राशि (Gemini)
🛕 Shivling Abhishek: स्फटिक के शिवलिंग की पूजा करें।
🌺 विशेष उपाय: गुलाल, कुमकुम, चंदन और इत्र अर्पित करें।♋ कर्क राशि (Cancer)
🛕 Shivling Abhishek: जल चढ़ाकर शिवलिंग पर चंदन का लेप करें।
🍬 विशेष उपाय: फूलों से श्रृंगार करें और मिठाई का भोग लगाएं। मंदिर में चंदन का दान करें।♌ सिंह राशि (Leo)
🛕 Shivling Abhishek: विभिन्न फलों के रस से अभिषेक करें।
🍊 विशेष उपाय: आंकड़े के फूल चढ़ाएं और मीठा भोग लगाएं। जरूरतमंद रोगियों को फलों का रस दान करें।♍ कन्या राशि (Virgo)
🛕 Shivling Abhishek: जल में कर्पूर मिलाकर भगवान का अभिषेक करें।
🌿 विशेष उपाय: धतूरा और आंकड़े के फूल से श्रृंगार करें। बिल्व पत्र पर मिठाई रखकर भोग लगाएं।♎ तुला राशि (Libra)
🛕 Shivling Abhishek: पानी में गंगाजल और गुलाब जल मिलाकर अभिषेक करें।
💐 विशेष उपाय: पूजा के बाद गुलाब का इत्र दान करें।♏ वृश्चिक राशि (Scorpio)
🛕 Shivling Abhishek: पानी में शहद और घी मिलाकर अभिषेक करें।
🍯 विशेष उपाय: पूजा के बाद शहद का दान करें।♐ धनु राशि (Sagittarius)
🛕 Shivling Abhishek: शिव जी की विशेष पूजा करें और मिठाई व काजू-बादाम का भोग लगाएं।
🌿 विशेष उपाय: बिल्व पत्र चढ़ाएं और चावल की खीर का दान करें।♑ मकर राशि (Capricorn)
🛕 Shivling Abhishek: शिवलिंग की विधिवत पूजा करें।
🌾 विशेष उपाय: पूजा में गेहूं रखें और बाद में दान करें।♒ कुंभ राशि (Aquarius)
🛕 Shivling Abhishek: शिवलिंग पर काले तिल चढ़ाएं।
🌾 विशेष उपाय: जरूरतमंद लोगों को तिल का दान करें।♓ मीन राशि (Pisces)
🛕 Shivling Abhishek: पीपल के नीचे बैठकर शिव पूजा करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करें।
🍬 विशेष उपाय: पूजा में बेसन के लड्डू का भोग लगाएं और चने की दाल का दान करें।
📌 Mahashivratri 2025 पर राशि अनुसार शिव पूजा करने से ग्रह दोष शांत होते हैं और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
📌 इस दिन रात्रि जागरण कर शिवलिंग का अभिषेक करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
अब जानिए शिव पूजा में बिल्व पत्र का महत्व: समझिए आखिर क्यों चढ़ाया जाता है Bilva Patra?
📌 Bilva Patra का Shiv Puja में विशेष महत्व बताया गया है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, यदि कोई भक्त Shivling पर सिर्फ Bilva Patra चढ़ा देता है, तो भी उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
📌 “ॐ नम: शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
👉 अब जानते हैं Shiv Puja में Bilva Patra क्यों चढ़ाया जाता है?
🔱 शिव पूजा में बिल्व पत्र चढ़ाने की पौराणिक कथा
📖 समुद्र मंथन (Samudra Manthan) की कथा से जुड़ा है बिल्व पत्र का महत्व।
- जब देवता और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तो सबसे पहले हलाहल विष निकला।
- इस विष से पूरी सृष्टि संकट में आ गई, तब Lord Shiva ने उसे अपने गले में धारण कर लिया।
- विष का प्रभाव कम करने और शिव जी के शरीर की गर्मी शांत करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने Shivling पर शीतल जल चढ़ाया और Bilva Patra अर्पित किए।
- तभी से Bilva Patra अर्पण करने की परंपरा शुरू हुई।
📌 Bilva Patra से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और इससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
🌿 बिल्व वृक्ष से जुड़ी खास बातें
📖 Shiv Puran के अनुसार, Bilva Tree साक्षात भगवान शिव का स्वरूप है। इसे Shri Vriksha भी कहा जाता है।
📌 Bilva Patra से जुड़े धार्मिक और ज्योतिषीय तथ्य:
- Bilva Patra के बिना Shiv Puja अधूरी मानी जाती है।
- Bilva Tree की जड़ों में देवी गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षायनी, पत्तों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में देवी कात्यायनी का वास माना जाता है।
- Bilva Tree को “Shivadrum” भी कहा जाता है।
- Bilva Patra को सोमवार, अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी, संक्रांति और अन्य वर्जित तिथियों पर नहीं तोड़ना चाहिए।
- सुबह के समय Bilva Patra तोड़ना सबसे शुभ माना जाता है, दोपहर के बाद इसे नहीं तोड़ना चाहिए।
📌 यदि वर्जित तिथियों पर Bilva Patra की आवश्यकता हो, तो एक दिन पहले ही तोड़ लेना चाहिए या बाजार से खरीद सकते हैं।
🔱 शिवलिंग पर चढ़ाए गए बिल्व पत्र को दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं
📌 Shivling पर चढ़ाया गया Bilva Patra कभी बासी नहीं माना जाता है।
📌 इसे धोकर कई दिनों तक दोबारा पूजा में उपयोग किया जा सकता है।
👉 यदि Bilva Patra बाजार में उपलब्ध न हो, तो शिवलिंग पर चढ़ाए गए पुराने पत्तों को धोकर फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।
📿 बिल्व पत्र चढ़ाते समय इस मंत्र का जाप करें
📖 त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्।
📖 त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।।
📌 इस मंत्र का अर्थ:
👉 तीन गुणों वाले, तीन नेत्रों वाले और त्रिशूल धारण करने वाले भगवान शिव, जो तीन जन्मों के पापों का संहार करते हैं, मैं आपको त्रिदल बिल्व पत्र अर्पित करता या करती हूं।
📌 Mahashivratri 2025 और अन्य शुभ अवसरों पर शिव पूजा में Bilva Patra अर्पित करने से सभी दोष शांत होते हैं और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
Shiv Ji ने अर्जुन का घमंड तोड़ने के लिए लिया था विशेष अवतार, नीचे कथा में समझिए कैसे?
📌 Shiv Puja के साथ-साथ Shiva Katha सुनने और पढ़ने की परंपरा भी है। भगवान शिव की कहानियों से हमें कई जीवन मंत्र मिलते हैं, जो हमारी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।
📌 Bhagwan Vishnu की तरह, Lord Shiva ने भी कई अवतार लिए। Dwapar Yuga में भगवान शिव ने अर्जुन का अहंकार तोड़ने के लिए Kirat Avatar लिया था।
👉 आइए जानते हैं शिव जी के इस अवतार की पूरी कथा।
🔱 अर्जुन को दिव्यास्त्र प्राप्त करने के लिए करना पड़ा महादेव का तप
📌 Mahabharat युद्ध से पहले Kauravas और Pandavas दोनों युद्ध की तैयारी कर रहे थे।
📌 Lord Krishna ने अर्जुन से कहा कि Devaraj Indra से दिव्यास्त्र प्राप्त करने के लिए तपस्या करें।
👉 अर्जुन एक पर्वत पर जाकर Indra को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या करने लगे।
👉 जब Indra प्रसन्न हुए, उन्होंने अर्जुन से कहा – “मुझसे दिव्यास्त्र प्राप्त करने से पहले तुम्हें Lord Shiva को प्रसन्न करना होगा।”
📌 Indra के कहने पर अर्जुन ने भगवान शिव की तपस्या शुरू कर दी।
🏹 शिव जी ने वनवासी का रूप धारण कर अर्जुन की परीक्षा ली
📌 अर्जुन जिस स्थान पर तप कर रहे थे, वहां एक जंगली सूअर आया।
📌 वह सूअर एक मायावी दानव था, जो अर्जुन को मारने के लिए आया था।
👉 अर्जुन ने तुरंत धनुष पर बाण चढ़ाया और सूअर पर निशाना साधा।
👉 उसी समय, Kirat वनवासी (जो असल में Lord Shiva थे) वहां पहुंचे और कहा – “यह मेरा शिकार है।”
📌 अर्जुन इस बात से अनजान थे कि यह वनवासी स्वयं भगवान शिव हैं।
📌 दोनों ने एक साथ बाण चलाया, जिससे सूअर मर गया।
👉 इसके बाद अर्जुन और वनवासी के बीच विवाद हुआ कि शिकार किसका है।
⚔️ अर्जुन और महादेव के बीच युद्ध
📌 अर्जुन ने स्वयं को सर्वश्रेष्ठ योद्धा मानते हुए वनवासी को चुनौती दी।
📌 दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ, लेकिन अर्जुन Shiva Ji को पराजित नहीं कर सके।
👉 युद्ध के दौरान, Shiva Ji ने अर्जुन पर एक बाण चलाया, जिससे अर्जुन को अहसास हुआ कि यह कोई साधारण योद्धा नहीं हैं।
📌 अर्जुन ने कुछ देर के लिए युद्ध रोका और मिट्टी से शिवलिंग बनाकर भगवान शिव की पूजा की।
📌 अर्जुन द्वारा शिवलिंग पर चढ़ाई गई माला, अचानक वनवासी (Lord Shiva) के गले में दिखाई देने लगी।
👉 अर्जुन ने समझ लिया कि यह स्वयं महादेव हैं।
👉 उन्होंने शिव जी को पहचान कर उनकी पूजा की और क्षमा याचना की।
🕉️ शिव जी ने दिया अर्जुन को ज्ञान और पाशुपतास्त्र
📌 Lord Shiva ने अर्जुन को सिखाया कि शक्ति का अहंकार नहीं करना चाहिए और कभी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए।
📌 अपनी गलती का एहसास होने पर अर्जुन ने शिव जी से क्षमा मांगी और अहंकार त्यागने का संकल्प लिया।
👉 शिव जी ने अर्जुन को दिव्य पाशुपतास्त्र प्रदान किया, जिससे अर्जुन अजेय योद्धा बन गए।
📌 Shiva Katha हमें सिखाती है कि हमें अपनी शक्तियों पर घमंड नहीं करना चाहिए और सच्ची भक्ति के साथ भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए।
👉 क्या आप इस कथा से कुछ नया सीख पाए? हमें कमेंट में बताएं! 🔱🙏
👉 क्या आप इस महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा करने वाले हैं? ये भी हमें कमेंट में बताएं! 🛕🙏
ये भी पढ़ें –
महाशिवरत्रि पर मिलेगी विशेष कृपा, जानिए क्या करें उपाय और क्यों शिवरात्रि पर रात में करनी चाहिए विशेष पूजा?
Like and Follow us on :
Google News |Telegram | Facebook | Instagram | Twitter | Pinterest | Linkedin