Delhi Assembly Election 2025: चुनाव आयोग ने मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। राजधानी में 5 फरवरी 2025 को सिंगल-फेज वोटिंग होगी, जबकि नतीजे 8 फरवरी को आएंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि 1.62 करोड़ वोटर्स के लिए 33,330 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं।
दिल्ली के वोटर आंकड़े:
- पुरुष वोटर: 83.49 लाख
- महिला वोटर: 79 लाख
- नए वोटर: 2.08 लाख
- 100 साल से अधिक उम्र के वोटर: 830
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने यह भी कहा कि वोटिंग प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाएगा।
चुनाव में गड़बड़ी के आरोपों पर आयोग का जवाब
राजीव कुमार ने चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोपों पर 30 मिनट तक विस्तार से सफाई दी। उन्होंने कहा, “वोटर्स की संख्या बढ़ाने और किसी खास वर्ग को टारगेट करने के आरोप निराधार हैं। चुनावी प्रक्रिया तय प्रोटोकॉल के तहत ही होती है।” इस पर शायराना अंदाज में राजीव कुमार ने तीन शयरी सुनाई।
राजीव कुमार की शायरियां:
“कर न सके इकरार तो कोई बात नहीं, मेरी वफा का इन्हें ऐतबार तो है। शिकायत भले ही हो, मगर सुनना, सहना और सुलझाना हमारी आदत है।”
“सब सवाल अहमियत रखते हैं, जवाब तो बनता है। आदतन कलमबंद जवाब देते रहे, सब्र जवाब बनता है। क्या पता कल हम हो न हों,आज जवाब तो बनता है।”
“आरोपों और इल्जामात का दौर चले, कोई गिला नहीं, झूठ के गुब्बारों को बुलंदी मिले शिकवा नहीं।” “हर परिणाम में प्रमाण देते हैं, शक का इलाज हकीम लुकमान के पास नहीं।”
दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल और 2020 का चुनाव परिणाम
दिल्ली विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को समाप्त हो रहा है। 2020 के चुनावों में:
- AAP: 53.57% वोट और 62 सीटें।
- BJP: 38.51% वोट और 8 सीटें।
- कांग्रेस: 4.26% वोट, लेकिन खाता भी नहीं खोल पाई।
दिल्ली विधानसभा चुनाव – अहम आंकड़े
- सीट्स: 70
- बहुमत: 36
- जनरल सीट्स: 58
- SC सीट्स: 12
- कुल वोटर: 1.55 करोड़
- पुरुष वोटर: 83.49 लाख
- महिला वोटर: 79 लाख
- ट्रांसजेंडर वोटर: 1261
- फर्स्ट टाइम वोटर्स: 2.08 लाख
- दिव्यांग वोटर: 79,436
- युवा वोटर: 25.89 लाख
- 85+ उम्र के वोटर: 1.09 लाख
- 100+ उम्र के वोटर: 830
- पोलिंग स्टेशन: 33,330
चुनाव आयोग की नई पहलें:
- सक्षम ऐप: दिव्यांग वोटर्स को सुविधाओं की जानकारी।
- फॉर्म 12D: 85 वर्ष से अधिक उम्र के वोटर्स के लिए घर से वोटिंग की सुविधा।
- सी-विजिल ऐप: किसी भी गड़बड़ी की शिकायत करने के लिए।
- सुविधा पोर्टल: कैंडिडेट्स को सभी चुनावी दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध।
दिल्ली चुनाव के दौरान नए नियम और सुविधाएं:
- पोलिंग बूथ को सुंदर और सुरक्षित बनाने पर जोर।
- वोटर्स को मोबाइल ऐप से अपनी जानकारी चेक करने की सुविधा।
- क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले उम्मीदवारों की जानकारी सार्वजनिक होगी।
2025 चुनाव की तैयारी:
चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और तेज़ बनाने के लिए कई तकनीकी उपाय किए हैं। इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी उम्मीदवारों और मतदाताओं को समय पर जानकारी और सुविधाएं मिलें।
चुनाव आयोग ने ईवीएम, काउंटिंग और वोटिंग से जुड़े आरोपों पर दिया जवाब
चुनाव आयोग ने ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन), काउंटिंग और वोटिंग प्रक्रिया से जुड़े सवालों और आरोपों पर विस्तार से जवाब दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ होती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए चुनाव आयोग के पास पुख्ता व्यवस्था है।
ईवीएम और वीवीपैट पर सफाई
चुनाव आयोग ने बताया कि यदि किसी ईवीएम मशीन में मॉक पोल का डेटा हटाना भूल गए हैं या किसी अन्य तकनीकी गड़बड़ी का संदेह हो, तो उस मशीन को अलग कर दिया जाता है। इस तरह की मशीनों को काउंटिंग में शामिल नहीं किया जाता।
वीवीपैट (वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल) के बारे में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 2019 से हर विधानसभा क्षेत्र में पांच वीवीपैट की पर्चियों की गिनती की जाती है। 2019 के आम चुनाव में 4.5 करोड़ वोट गिने गए थे, और 67 हजार वीवीपैट की गिनती की गई। इस दौरान कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई थी।
राजीव कुमार ने कहा, “हमने आपको हर जानकारी दे दी है। दुनिया के किसी भी चुनावी संस्थान में इतना डेटा नहीं होता जितना भारत में होता है। एक-एक विधानसभा का पोलिंग स्टेशन और कैंडिडेट का डेटा हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है।”
काउंटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता
चुनाव आयोग ने काउंटिंग और वोटिंग के समय सामने आने वाले आरोपों पर भी अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि भारत में चुनाव की गिनती एक ही दिन में पूरी हो जाती है, जबकि कई देशों में इसे महीनों लग जाते हैं।
राजीव कुमार ने बताया कि जैसे ही चुनाव खत्म होता है, अधिकारियों को गिनती के लिए हर चरण का पालन करना होता है। मतदान खत्म होने के बाद लाइन में खड़े सभी लोगों को वोट देने का मौका दिया जाता है। इसके बाद मशीनें सील की जाती हैं और एजेंट्स को फॉर्म 17-सी दिया जाता है।
उन्होंने कहा, “फॉर्म 17-सी हाथ से लिखा जाता है और एजेंट्स को तुरंत दिया जाता है। 40 लाख से ज्यादा फॉर्म दिए जाते हैं। यह एक व्यवस्थित प्रक्रिया है।”
5 बजे के बाद वोटिंग पर सवाल
चुनाव आयोग ने उन आरोपों को भी खारिज किया, जिसमें कहा गया कि 5 बजे के बाद वोटिंग प्रतिशत बढ़ा दिया गया। उन्होंने बताया कि वोटिंग खत्म होने के बाद भी प्रक्रिया जारी रहती है। एजेंट्स और पर्यवेक्षकों के सामने वोटिंग मशीनें सील की जाती हैं।
राजीव कुमार ने कहा, “6 बजे तक वोटिंग प्रतिशत बताने को कहना असंभव है। जब तक सभी प्रक्रिया पूरी नहीं होती, हम प्रतिशत साझा नहीं कर सकते। वोटिंग खत्म होने के बाद डेटा धीरे-धीरे अपडेट होता है। अगले दिन स्क्रूटनी के दौरान पर्यवेक्षकों और कैंडिडेट्स के साथ वोटिंग प्रतिशत रिवाइज किया जाता है।”
गलत खबरों पर भी दी सफाई
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि कई बार मीडिया में ग़लत आंकड़े या खबरें सामने आती हैं, जिनसे चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए जाते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “कुछ चैनल दावा करते हैं कि 5 लाख वोट बढ़ाकर गिन दिए गए। हालांकि बाद में वे अपनी खबरें वापस ले लेते हैं, लेकिन तब तक नुकसान हो चुका होता है।”
चुनाव आयोग ने कहा कि उनके पास चुनाव प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा करने के लिए 70 से अधिक प्रक्रियाएं हैं। इन सभी के बारे में विस्तृत जानकारी चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
ईवीएम पर गलतफहमियां
चुनाव आयोग ने बताया कि एक विदेशी विशेषज्ञ ने यह कहा था कि ईवीएम हैक हो सकती है। हालांकि, जिस देश का उदाहरण उन्होंने दिया, वहां ईवीएम का इस्तेमाल ही नहीं होता। उन्होंने कहा, “हमारे पास ईवीएम की गिनती पूरी प्रक्रिया के साथ होती है। यह पूरी तरह से सुरक्षित और हैकिंग प्रूफ है।”
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया: ईवीएम और वोटिंग प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और सुरक्षित
चुनाव आयोग ने ईवीएम और वोटिंग प्रक्रिया से जुड़े सवालों और आरोपों का सिलसिलेवार तरीके से जवाब देते हुए इसे पूरी तरह पारदर्शी और सुरक्षित बताया है। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने कहा कि ईवीएम को लेकर उठाए गए सवाल न केवल बेबुनियाद हैं, बल्कि देश की चुनाव प्रक्रिया को बदनाम करने की कोशिश हैं।
ईवीएम: सुरक्षा और पारदर्शिता की मिसाल
चुनाव आयोग ने बताया कि ईवीएम की पूरी प्रक्रिया को बेहद सख्त प्रोटोकॉल के तहत संचालित किया जाता है।
- प्रत्येक चरण पर निगरानी: चुनाव की तारीख से 7-8 दिन पहले प्रत्याशियों के एजेंट्स की मौजूदगी में ईवीएम में उम्मीदवारों के चुनाव चिह्न लगाए जाते हैं। इसके बाद मॉक पोल किया जाता है।
- सीलिंग की प्रक्रिया: ईवीएम को एजेंट्स की उपस्थिति में सील किया जाता है। मतदान के दिन, पोलिंग स्टेशन पर एजेंट्स सीरियल नंबर चेक करते हैं। मॉक पोल के बाद ही वोटिंग शुरू की जाती है।
- काउंटिंग के समय सुरक्षा: मतदान खत्म होने के बाद एजेंट्स को पोलिंग का डेटा दिया जाता है। ईवीएम को सुरक्षित तरीके से स्टोर रूम में रखा जाता है। काउंटिंग के दिन सील तोड़ी जाती है, और वोटों की गिनती की जाती है।
चुनाव आयोग ने बताया कि वीवीपैट की गिनती भी काउंटिंग प्रक्रिया का हिस्सा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, हर विधानसभा क्षेत्र में 5 वीवीपैट का मिलान किया जाता है।
ईवीएम पर आरोप बेबुनियाद
चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के उन फैसलों का जिक्र किया, जिसमें ईवीएम को पूरी तरह से सुरक्षित और हैकिंग प्रूफ बताया गया था। उन्होंने कहा, “ईवीएम एक फुलप्रूफ डिवाइस है, जिस पर वायरस या बग का असर नहीं पड़ सकता। चुनाव परिणाम पर इसका कोई असर नहीं डाला जा सकता।”
पेपर बैलेट की जगह ईवीएम क्यों बेहतर?
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि ऑन-पेपर बैलेट की तुलना में ईवीएम न केवल ज्यादा सुरक्षित है, बल्कि इससे चुनाव प्रक्रिया तेज और पारदर्शी भी बनती है। पेपर बैलेट से मतदान और मतगणना में देरी होती है, जिससे गड़बड़ियों की संभावना बढ़ जाती है।
वोटर टर्नआउट पर सवाल
CEC ने कहा कि अक्सर मतदान प्रतिशत बढ़ने को लेकर सवाल उठाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि मतदान खत्म होने के बाद कतार में खड़े लोगों को वोट देने का पूरा मौका दिया जाता है। कई बार, देर रात तक पोलिंग स्टेशन से डेटा अपडेट होता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी है और हर कदम पर एजेंट्स की मौजूदगी सुनिश्चित की जाती है।
CEC ने व्यक्त की नाराजगी
मुख्य चुनाव आयुक्त ने वोटर लिस्ट में गलत एंट्री और चुनाव आयोग पर लगाए गए अन्य आरोपों पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि 45-50 लाख पोलिंग अधिकारी चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं, और यह सभी अधिकारी उसी राज्य से होते हैं। किसी भी तरह के आरोप उनकी कड़ी मेहनत और ईमानदारी पर सवाल उठाते हैं।
वोटर्स की जागरूकता की तारीफ
राजीव कुमार ने कहा कि 2020 से अब तक 30 राज्यों में चुनाव हो चुके हैं, जिसमें अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों को जीत मिली है। यह दर्शाता है कि भारत का वोटर कितना जागरूक है। उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम के आधार पर चुनाव प्रक्रिया का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता।
शायरी के जरिए जवाब देने की कोशिश
CEC राजीव कुमार ने कहा कि लोकतंत्र में सवाल पूछने का अधिकार है, और चुनाव आयोग इसका सम्मान करता है। उन्होंने अपने जवाब को शायरी के माध्यम से व्यक्त किया:
“आदतन कलमबंद जवाब देते रहे,
रूबरू जवाब बनता है।
क्या पता कल हो न हो,
आज जवाब बनता है।”
चुनाव आयोग ने दी सफाई: चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष
चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल रोल में गड़बड़ी और वोटर जोड़ने के आरोपों पर अपनी सफाई दी है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनावी प्रक्रिया को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और सभी पक्षों के सहयोग से संचालित होती है। उन्होंने बताया कि चुनावी प्रक्रिया के 70 चरण हैं, जिनमें राजनीतिक दल और उम्मीदवार लगातार आयोग के साथ जुड़े रहते हैं।
इलेक्टोरल रोल में शामिल हर कदम पारदर्शी
मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया कि इलेक्टोरल रोल में नए वोटरों को जोड़ने और पुराने वोटरों को हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह से नियमानुसार होती है।
- डिलीशन का तरीका: किसी भी वोटर का नाम डिलीट करने के लिए फॉर्म-7 भरना अनिवार्य है। डिलीशन से पहले व्यक्तिगत सुनवाई होती है।
- पार्टी की भागीदारी: राजनीतिक पार्टियों को BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) अपॉइंट करने का अधिकार है। ड्राफ्ट रोल की दो-दो कॉपी राजनीतिक दलों को दी जाती है।
- सर्वे और निरीक्षण: हर साल 1 जनवरी को वोटर सर्वे शुरू होता है, जिसकी प्रक्रिया अक्टूबर से शुरू हो जाती है। ड्राफ्ट रोल को हर गांव और पोलिंग बूथ पर उपलब्ध कराया जाता है।
- पोलिंग बूथ चेकिंग: अगर 2% से ज्यादा पोलिंग बूथ पर गड़बड़ी की शिकायत मिलती है, तो अधिकारियों को मौके पर जाकर निरीक्षण करना पड़ता है।
इलेक्टोरल रोल में वोटरों की संख्या पर सफाई
चुनाव आयोग पर आरोप लगे कि कुछ विधानसभा क्षेत्रों में वोटरों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है। इस पर CEC ने कहा, “यह आरोप गलत हैं। दिल्ली और महाराष्ट्र में कहा गया कि ग्रुप को टारगेट करके 50 हजार नए वोटर जोड़े गए। इन आरोपों का कोई आधार नहीं है।”
ईवीएम और वोटिंग पर सवाल
CEC राजीव कुमार ने ईवीएम और वोटिंग प्रक्रिया पर उठाए गए सवालों को भी खारिज किया। उन्होंने कहा कि ईवीएम हैकिंग की संभावना पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहले ही अपनी राय दे चुके हैं।
- ट्रांसपेरेंसी के उपाय: चुनाव प्रक्रिया में सभी चरणों की निगरानी की जाती है। मॉक पोल से लेकर वोटिंग खत्म होने तक, हर कदम पर एजेंट्स और पर्यवेक्षकों की मौजूदगी सुनिश्चित की जाती है।
- डेटा का मिलान: काउंटिंग के दौरान EVM और VVPAT के डेटा का मिलान किया जाता है। हर विधानसभा क्षेत्र में 5 वीवीपैट का काउंटिंग के लिए रैंडम सिलेक्शन किया जाता है।
99 करोड़ से ज्यादा वोटर्स का आंकड़ा पार
चुनाव आयोग ने बताया कि देश में वोटरों की संख्या पहली बार 99 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई है।
- महिला वोटर बढ़ोतरी: महिला वोटरों की संख्या 48 करोड़ से ज्यादा हो गई है।
- दिल्ली की खास भूमिका: दिल्ली में कुल 1.55 करोड़ वोटर हैं, जिनमें 83.49 लाख पुरुष और 79 लाख महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा 2.08 लाख नए वोटर जुड़े हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव: कड़ी टक्कर की तैयारी
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के अरविंद केजरीवाल का मुकाबला दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों से होगा।
- प्रवेश वर्मा (भाजपा): प्रवेश वर्मा, भाजपा उम्मीदवार, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं।
- संदीप दीक्षित (कांग्रेस): कांग्रेस ने शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को टिकट दिया है।
केजरीवाल, जो नई दिल्ली सीट से उम्मीदवार हैं, का मुकाबला अब एक दिलचस्प त्रिकोणीय संघर्ष में बदल गया है।
CEC ने जताई दिल्ली के मतदाताओं से उम्मीद
मुख्य चुनाव आयुक्त ने दिल्ली के मतदाताओं से जिम्मेदारी से वोट करने की अपील की। उन्होंने कहा, “दिल्ली दिल से वोट करेगी। इसकी सांस्कृतिक विविधता और जागरूकता हमें हमेशा से प्रेरित करती है।”
देश के चुनाव हिस्ट्री में चौथी सबसे बड़ी जीत AAP के नाम दर्ज है
पार्टियों का सक्सेस रेट:
चुनाव वर्ष | राज्य | पार्टी | जीती/कुल सीटें | सक्सेस रेट |
---|---|---|---|---|
1989 | सिक्किम | सिक्किम संग्राम पार्टी | 32/32 | 100% |
2009 | सिक्किम | सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट | 32/32 | 100% |
1991 | सिक्किम | सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट | 31/32 | 97% |
2015 | दिल्ली | आम आदमी पार्टी | 67/70 | 96% |
2020 | दिल्ली | आम आदमी पार्टी | 62/70 | 88% |
नोट: आंकड़े 2020 तक के हैं।
आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक चुनावी सफलता: 2015 और 2020 के आंकड़े
आम आदमी पार्टी (AAP) ने भारत के चुनावी इतिहास में अपनी जगह पुख्ता कर ली है। 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP ने 96% सक्सेस रेट के साथ 67 सीटें जीतकर चौथी सबसे बड़ी चुनावी जीत दर्ज की थी। उस समय पार्टी को 54.34% वोट मिले थे। 2020 में हुए दिल्ली चुनाव में भी AAP ने 88% सक्सेस रेट के साथ 62 सीटों पर जीत हासिल की, जो कि देश की पांचवीं सबसे बड़ी चुनावी जीत मानी जाती है।
100% सक्सेस रेट का रिकॉर्ड सिक्किम के नाम
हालांकि, भारत में चुनावी इतिहास में 100% सक्सेस रेट का भी रिकॉर्ड दर्ज है। 1989 में सिक्किम संग्राम परिषद और 2009 में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट ने राज्य की सभी 32 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इन उपलब्धियों ने सिक्किम के चुनावी प्रदर्शन को एक मिसाल बना दिया।
AAP ने 70 सीटों पर घोषित किए प्रत्याशी
AAP ने दिल्ली विधानसभा की सभी 70 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। पार्टी ने 5 अलग-अलग सूची में उम्मीदवारों के नाम जारी किए।
- पहली सूची: 21 नवंबर को जारी की गई, जिसमें 11 नाम शामिल थे।
- पांचवीं और अंतिम सूची: 20 दिसंबर को आई, जिसमें महरौली सीट पर प्रत्याशी बदला गया।
- टिकटों में बदलाव: पार्टी ने कुल 26 मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए हैं, जबकि 4 विधायकों की सीटें बदली गई हैं।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस बार भी नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की पटपड़गंज सीट बदलकर उन्हें जंगपुरा से टिकट दिया गया है। पटपड़गंज से अब अवध ओझा चुनाव लड़ेंगे।
प्रमुख उम्मीदवार:
- मुख्यमंत्री आतिशी: कालकाजी सीट
- मंत्री सौरभ भारद्वाज: ग्रेटर कैलाश
- गोपाल राय: बाबरपुर
- सत्येंद्र जैन: शकूर बस्ती
भाजपा ने 29 उम्मीदवारों की सूची जारी की
भाजपा ने अपनी पहली सूची में 29 उम्मीदवारों के नाम जारी किए हैं। इनमें से 13 मौजूदा प्रत्याशियों को दोबारा टिकट दिया गया है, जबकि 16 नए चेहरे शामिल किए गए हैं।
- AAP और कांग्रेस छोड़कर आए नेताओं को प्राथमिकता: भाजपा ने 7 ऐसे नेताओं को टिकट दिया है जो हाल ही में AAP या कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं।
- मुख्यमंत्री केजरीवाल के खिलाफ मुकाबला: नई दिल्ली से भाजपा ने पूर्व सांसद प्रवेश वर्मा को मैदान में उतारा है।
- प्रमुख मुकाबले:
- कालकाजी सीट: AAP की मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ भाजपा के रमेश बिधूड़ी।
- जंगपुरा सीट: मनीष सिसोदिया के खिलाफ भाजपा के तरविंदर सिंह मारवाह।
राष्ट्रीय पार्टी के रूप में AAP का पहला विधानसभा चुनाव
2020 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों के समय AAP एक क्षेत्रीय पार्टी थी, लेकिन अब उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल चुका है।
- राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा: 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में 13% वोट और 5 सीटें जीतने के बाद AAP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला।
- वर्तमान स्थिति:
- दिल्ली में 62 विधायक
- पंजाब में 92 विधायक
- गुजरात में 5 विधायक
- गोवा में 2 विधायक
- जम्मू-कश्मीर में 1 विधायक
- कुल: 162 विधायक
- 13 सांसद: 3 लोकसभा और 10 राज्यसभा
2020 के चुनावी प्रदर्शन की झलक
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP को 53.57% वोट मिले थे। भाजपा ने 38.51% वोट के साथ 8 सीटें जीती थीं। कांग्रेस को केवल 4.26% वोट मिले और वह खाता खोलने में विफल रही।
AAP का भविष्य और चुनौतियां
राष्ट्रीय स्तर पर AAP की बढ़ती पहचान इसे दिल्ली में एक बार फिर सशक्त स्थिति में ला सकती है। हालांकि भाजपा और कांग्रेस ने भी अपने रणनीतिक उम्मीदवारों के साथ चुनावी मैदान में उतरने की पूरी तैयारी कर ली है।
कांग्रेस ने 48 उम्मीदवार घोषित किए, CM आतिशी के खिलाफ अलका लांबा को मैदान में उतारा
कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अब तक तीन सूचियां जारी कर दी हैं, जिनमें कुल 48 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। पार्टी ने मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ कालकाजी सीट से अलका लांबा को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नई दिल्ली सीट से संदीप दीक्षित को टिकट दिया गया है।
प्रमुख मुकाबले:
- कालकाजी सीट: CM आतिशी बनाम अलका लांबा।
- नई दिल्ली सीट: अरविंद केजरीवाल बनाम संदीप दीक्षित।
- बाबरपुर सीट: AAP के गोपाल राय के खिलाफ कांग्रेस के इशराक खान।
- जंगपुरा सीट: मनीष सिसोदिया बनाम कांग्रेस के फरहाद सूरी।
दिल्ली की राजनीति में पिछले एक साल की तीन बड़ी घटनाएं
केजरीवाल जेल गए, 176 दिन बाद बाहर आए
शराब नीति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 21 मार्च को अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। उन्हें तिहाड़ जेल में 176 दिन बिताने पड़े। उनके खिलाफ ED और CBI दोनों ने मामले दर्ज किए।
- जमानत प्रक्रिया:
- सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को ED मामले में और 13 सितंबर को CBI मामले में केजरीवाल को जमानत दी।
- जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल ने भाजपा पर राजनीतिक साजिश का आरोप लगाया।
PM मोदी के जन्मदिन पर केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया
जेल से रिहा होने के तीन दिन बाद, 15 सितंबर को केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे मुख्यमंत्री पद छोड़ देंगे। उन्होंने कहा, “मुझ पर लगाए गए बेईमानी और भ्रष्टाचार के आरोपों का फैसला अब जनता की अदालत करेगी।”
- 17 सितंबर: प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
- इस्तीफे के तुरंत बाद आतिशी ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया।
आतिशी बनीं दिल्ली की 9वीं मुख्यमंत्री
21 सितंबर को आतिशी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
- सबसे युवा CM: आतिशी ने 43 साल की उम्र में मुख्यमंत्री बनकर इतिहास रच दिया।
- महिला मुख्यमंत्री: आतिशी, सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं।
- शपथ ग्रहण के बाद आतिशी ने अरविंद केजरीवाल के पैर छूकर आशीर्वाद लिया।
CM आतिशी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में आंसू
6 जनवरी को मुख्यमंत्री आतिशी प्रेस कॉन्फ्रेंस में रो पड़ीं। उन्होंने भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “बिधूड़ी मेरे 80 वर्षीय पिता को गाली दे रहे हैं। क्या आप चुनाव जीतने के लिए इतनी गिरावट पर उतर आएंगे?”
- बिधूड़ी का विवादित बयान: भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी ने कहा था, “आतिशी ने अपना बाप बदल लिया।” इस बयान के बाद दिल्ली की राजनीति में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं।
कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी चुनौती
कांग्रेस ने इस बार मजबूत उम्मीदवार उतारने की रणनीति अपनाई है। वहीं, भाजपा ने आतिशी और केजरीवाल के खिलाफ अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारा है।
- भाजपा की रणनीति:
- कालकाजी सीट से रमेश बिधूड़ी को उतारा।
- नई दिल्ली सीट पर केजरीवाल के खिलाफ प्रवेश वर्मा को टिकट दिया।
- कांग्रेस का दांव:
- अलका लांबा और संदीप दीक्षित जैसे दिग्गज नेताओं पर भरोसा जताया।
दिल्ली की राजनीति का नया अध्याय
दिल्ली की राजनीति इस बार बेहद दिलचस्प हो गई है। AAP जहां अपने प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश करेगी, वहीं कांग्रेस और भाजपा भी सत्ता के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं।
चुनाव प्रचार के केंद्र बिंदु:
- AAP: विकास कार्य और केजरीवाल का नेतृत्व।
- भाजपा: AAP सरकार की नीतियों पर सवाल और केंद्र सरकार की योजनाएं।
- कांग्रेस: भ्रष्टाचार और जनता से जुड़ाव का मुद्दा।
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