लव जिहाद के आरोप से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए कानपुर जिला अदालत ने आरोपी को 10 साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की राशि में से 20 हजार रुपये पीड़ित को मुआवजे के तौर पर दिए जाएंगे। डीजीसी (जिला सरकारी वकील) क्राइम दिलीप कुमार अवस्थी का दावा है कि लव जिहाद के मामले में सजा का यह पहला मामला है।
डीजीसी ने कहा कि पीड़िता को उसकी धार्मिक पहचान छिपाकर धोखा दिया गया। पीड़िता का आरोप है कि जावेद उर्फ मुन्ना ने उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश पवन श्रीवास्तव ने आरोपी के खिलाफ फैसला सुनाया है।
खुद को हिंदू बताकर दिया था झांसा
मामला 15 मई 2017 का है। एक किशोरी जूही थाना क्षेत्र की कच्ची बस्ती इलाके में रहती है। जावेद नाम के एक युवक ने खुद को हिंदू बताते हुए उसे अपना नाम मुन्ना बताया। बाद में दोनों की नजदीकियां बढ़ने लगीं। धीरे-धीरे दोनों में प्यार हो गया। फिर आरोपित लड़की को शादी का झांसा देकर ले गया।
बच्ची की मां ने दर्ज कराई थी रिपोर्ट
बेटी के लापता होने के बाद पीड़ित परिवार ने जूही थाने पहुंचकर शिकायत दी। पुलिस ने अगले ही दिन आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और लड़की को बरामद कर लिया। पीड़िता की मां की शिकायत पर आरोपी को पोक्सो एक्ट समेत दुष्कर्म की धाराओं में मामला दर्ज कर जेल भेज दिया गया है।
पीड़िता ने बताया कि जावेद ने खुद को हिंदू बनाकर उससे दोस्ती की थी। इसके बाद वह शादी का झांसा देकर साथ ले गया। जब वह उसके घर पहुंची, तो उसे अपना असली धर्म बताकर निकाह करने के लिए मजबूर किया गया। इस पर युवती ने मना कर दिया।
कानून का सपा, बसपा और कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया था
यूपी में 24 फरवरी, 2021 को अवैध धर्मांतरण के खिलाफ ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021’ नाम का कानून लागू किया गया था। इसमें जबरदस्ती, छल, लालच या शादी के जरिए एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण को अवैध माना गया है।
ऐसा करने पर अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है। साथ ही 25 हजार रुपये जुर्माना भी लगेगा। इस कानून का सपा, बसपा और कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया था। यूपी से पहले मध्य प्रदेश में इसके खिलाफ कानून बना था। इसके अलावा यह कानून कर्नाटक, हरियाणा और गुजरात में भी लागू है।
कानून बनने के 4 दिन बाद बरेली में दर्ज हुआ था पहला मामला
लव जिहाद का पहला मामला बरेली में दर्ज किया गया था। यह मामला कानून बनने के 4 दिन बाद ही उत्तर प्रदेश में दर्ज किया गया था। डीजीसी अवस्थी के मुताबिक, जुलाई 2021 तक पूरे राज्य में कुल 162 मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन किसी भी मामले में पहली बार कानपुर के जिला जज ने सजा दी गई है।
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