Grandparent Scam: ये कदम उठाकर घर के बुजुर्गों को बचाएं Read it later

Grandparent Scam: दादाजी मैं मुसीबत में हूं… पोते या पोती की इतनी सी बात सुनते ही दादाजी कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। न वजह जानने की कोशिश करते हैं। न कुछ सोचने-समझने को तैयार होते हैं। ग्रैंडपैरेंट स्कैम (Grandparent Scam) बुजुर्गों का अपनों के प्रति इसी लगाव और प्यार के कारण फल-फूल रहा है। बुजुर्ग साइबर जालसाजों का शिकार हो रहे हैं। दूसरा कड़वा सच यह भी है कि जीवन की ढलती सांझ में वृद्धजन कितने उपेक्षित हैं, यह भी एक बड़ा कारण है।

ग्रैंडपैरेंट स्कैम (Grandparent Scam) को समझें

ठगी के नए-नए तरीके ठग निकाल लेते हैं। इसी का एक हिस्सा है

ग्रैंडपैरेंट स्कैम (Grandparent Scam), जो कि चर्चा में रहा। इसके बारे में बहुत से लोगों को जानकारी ही नहीं है। दरअसल इसमें स्कैमर्स बुजुर्गों के अकेलेपन और भावनात्मक रूप से कमजोर होने का फायदा उठाते हैं। वे पोता-पोती या फिर कोई रिश्तेदार बनकर उनसे पैसे मांगते हैं। स्कैमर्स ऐसा नाटक करते हैं कि वे उनके अपने हैं और कहीं फंसे हुए हैं। उन्हें मदद की जरूरत है।

बुजुर्ग इन बातों पर करें गौर
  • कॉल करने वाला आपको कोई भी काम जल्दी करने का दबाव डालता है, तो सोच-विचारकर कदम उठाएं। भावुक होकर कोई निर्णय न लें। किसी से राय लें।
  • कोई चैरिटी की बात हो, तो उसके बारे में प्रशासन से जानकारी लें। यह पता लगाएं कि कोई संगठन वैध है या स्कैम। फिर कुछ करें।
  • किसी को भी फोन पर व्यक्तिगत जानकारी न दें। क्रेडिट कार्ड व बैंक खाता नंबर और पासवर्ड न बताएं।
इसलिए होते काल्पनिक कहानी के शिकार
  • यहां एक बड़ा सवाल यह है कि आािर क्यों बुजुर्ग किसी की भी काल्पनिक कहानी को सुनते हैं और उसके प्रभाव में आ जाते हैं। इसकी गहराई में जाएं, तो बड़ी वजह है बुजुर्गों का अपने घर में अलग-थलग होना। भावनात्मक समर्थन की कमी महसूस करना और उनका अकेलापन।
  • यहां ग्रैंडपैरेंट स्कैम (Grandparent Scam) की बात करें, तो एक और कारण यह सामने आता है कि नई पीढ़ी का नई तकनीक से उन्हें यह कहकर अवगत न कराना कि आपको समझ में नहीं आएगा। आप रहने दो। ऐसे में उनका किसी के छलावे में आना बड़ा सरल होता है।
  • ज्यादातर वृद्ध सामाजिक रूप से अलग-थलग होते हैं। उनके जीवनसाथी, मित्र या परिजन साथ नहीं होते। वे मन की बात साझा नहीं कर पाते। इसी का फायदा ठग उठाते हैं।
घर के सदस्‍य ये उठाएं कदम
  • हम घर के बुजुर्गों के लिए भावनात्मक रूप से कम उपलब्ध हैं। ऐसे में घर का हर सदस्य उनके साथ समय बिताने की कोशिश करें। उन्हें यह महसूस कराएं कि वे आपके लिए कितने अहम हैं।
  • जहां एक ओर एकल परिवार बढ़ने से बुजुर्गों का कटाव सा बढ़ गया है। अधिकांशसंयुक्त परिवारों में भी उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। वे अपनी कई बातें कहना चाहते हैं। ऐसे में उनसे संवाद करते रहें। समसामयिक विषयों पर चर्चा करें, जिससे उनकी सिचुएशन अवेयरनेस बेहतर होगी।
  • उन्हें नई चीजों से अपडेट कराते रहें। उन्हें किसी ग्रुप से जोड़ें, जहां वे चर्चा करें।

विशेषज्ञ- डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी मनोचिकित्सक

 

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