चार साल की उम्र में हुए लाइलाज बीमारी ड्यूशिन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के शिकार, लेकिन नहीं मानी थी जीवन से हार
जयपुर. महज 17 साल की आयु में राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार जीतने वाले जयपुर निवासी ह्रदयेश्वर सिंह भाटी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
आपको यह जाना चाहिए कि भाटी शतरंज के खेल में बेहद कम उम्र में वे कई राष्ट्री और अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके थे।
भाटी जब 4 वर्ष के थे तो चलते-चलते अचानक गिर पड़े और मांसपेशियों की लाइलाज बीमारी ड्यूशिन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के शिकार हो गए थे। इस बीमारी ने उनके 80 प्रतिशत शरीर को लकवा ग्रस्त कर दिया था।
लेकिन उसके बाद भी भाटी ने हार नहीं मानी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम लहरा चुके ह्रदयेश्वर भाटी को गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया।
वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर ह्रदयेश्वर सिंह भाटी |
तीन गोलाकार चैस का निर्माण किया
आपको बता दें कि ह्रदयेश्वर भाटी ने तीन गोलाकार चैस यानि शतरंज बनाई थी, जिनका पेटेंट उनके पास था। इसी आविष्कार ने उन्हें देश के सबसे छोटे पेटेंट धारक बना दिया था।
क्योंकि सिर्फ 9 साल की उम्र में उन्होंने छह खिलाड़ियों के खेलने वाला गोलाकार शतरंज बना डाला था और उसके बाद उन्होंने 12 और 60 खिलाड़ियों के साथ खेलने वाला गोलाकार शतरंज भी बनाया था।
देश और दुनिया मे बढ़ाया देश का मान
अपनी इस उपलब्धि के तहत भाटी ने भारत का मान विश्व भर में बढ़ाया दिया था इसी के चलते 7 आविष्कार और 3 पेटेंट उनके नाम दर्ज हैं हाल ही में उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड और इंडिया रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया था।
केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने हृदयेश्वर भाटी को बाल श्रेणी के अंतर्गत- उत्कृष्ट रचनात्मक बाल (पुरुष) -2019 सशक्त दिव्यांगता के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था। वहीं ‘प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति’ पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका था।