North East States peace agreement: केंद्र सरकार व असम की सरकार ने नॉर्थ-ईस्ट के आठ उग्रवादी आदिवासी ग्रुप्स के साथ पीस एग्रीमेंट यानीकि शांति समझाैता किया है। इसके तहत पूर्वोत्तर उग्रवादी आदिवासी समूहों ने समझौते पर साइन किए और स्थायी शांति में भागीदार बनने में सरकार की मदद को आश्वासन दिया। वहीं सरकार ने भी उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया है। गृह मंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की उपस्थिति में इस डील पर हस्ताक्षर हुए।
जानिए किन उग्रवादी संगठनों ने किए इस समझाैते पर हस्ताक्षर किए
केंद्र सरकार और असम के 8 आदिवासी उग्रवादी संगठनों ने असम के कुछ क्षेत्रों में स्थायी शांति के लिए एक समझौते (North East States peace agreement) पर हस्ताक्षर किए। ये हस्ताक्षर गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में किए गए। इस दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी मौजूद रहे।
ऑल आदिवासी नेशनल लिबरेशन आर्मी, असम के आदिवासी कोबरा मिलिटेंट, बिरसा कमांडो फोर्स, संथाल टाइगर फोर्स और ट्राइबल पीपुल्स आर्मी सहित आठ आतंकवादी संगठनों ने शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। (North East States peace agreement) इस त्रिपक्षीय समझौते में केंद्र सरकार और राज्य सरकार भी शामिल हुईं। ये समूह 2012 से संघर्ष विराम पर हैं और अपने शिविरों में निवास कर रहे हैं।
This is very significant for Assam. Under the leadership of PM Modi, work is underway to make the northeast, the AshtaLakshmi of the country. In this connection, today 8 tribal militant outfits signed a peace pact with Govt of India and Govt of Assam: CM Himanta Biswa Sarma https://t.co/ERMFr9Axmf pic.twitter.com/75JU8flkHq
— ANI (@ANI) September 15, 2022
दो उग्रवादी संगठनों नहीं किया समझाैता
परेश बरुआ और कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन के नेतृत्व में प्रतिबंधित उल्फा का कट्टरपंथी गुट शांति समझौते में शामिल नहीं हुआ। (North East States peace agreement) राज्य सरकार ने दावा किया है कि अन्य सभी सक्रिय विद्रोही समूहों ने सरकार के साथ शांति समझौता किया है।
इस साल कई गुटों ने किया आत्मसमरपण
राज्य सरकार की मानें तो जनवरी में तिवा लिबरेशन आर्मी और यूनाइटेड गोरखा पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन के सभी कैडरों ने सरेंडर किया। (North East States peace agreement) इन लोगों ने भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद भी सरकार को सौंपा। वहीं अगस्त में कुकी आदिवासी संघ के उग्रवादियों ने अपने हथियार डाले। दूसरी ओर दिसंबर 2020 में बोडो उग्रवादियों सहित एनडीएफबी के विभिन्न गुटों के 4100 से अधिक कैडरों ने हथियार डाले।
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