रणजीत सिंह हत्याकांड में कोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम समेत 5 अन्य दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है. इस मामले में राम रहीम के अलावा अन्य चार दोषियों के नाम जसबीर, अवतार, कृष्ण लाल और सबदिल हैं. पंचकूला में सीबीआई जज सुशील गर्ग ने राम रहीम पर 31 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. बाकी चारों दोषियों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड में राम रहीम को उम्रकैद की सजा भी सुनाई गई है। इसके अलावा दो साध्वियों के यौन शोषण के मामले में भी राम रहीम को 10 साल की सजा सुनाई गई है।
मरते दम तक जेल में ही रहेगा राम रहीम
कोर्ट का फैसला आने के बाद सीबीआई के वकील एचपीएस वर्मा ने साफ किया कि राम रहीम अंतिम सांस तक भी जेल में ही रहेगा। उन्होंने बताया कि रणजीत सिंह हत्याकांड में दी गई सजा पहले दी गई सजा के साथ चलेगी. उधर, फैसला आने के बाद कोर्ट में मौजूद रंजीत सिंह के बेटे जगसीर ने कोर्ट के फैसले पर संतोष जताया.
इससे पहले सोमवार सुबह दोषी राम रहीम को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया। वहीं, अन्य 4 दोषियों को पंचकूला कोर्ट लाया गया। उधर, पंचकूला जिला प्रशासन ने सोमवार को फैसले के चलते सुबह से ही पूरे शहर में धारा 144 लागू कर दी. पूरे पंचकूला में आईटीबीपी के जवानों के साथ पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था। शहर में आने वाले लोगों को गहन तलाशी के बाद ही आगे बढ़ने दिया गया।
रणजीत सिंह हत्याकांड में कब क्या हुआ
- साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा प्रबंधन को शक था कि रणजीत सिंह ने ही बहन से गुमनाम चिट्ठी लिखवाई।
- 10 जुलाई को डेरा मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य रहे कुरुक्षेत्र के निवासी रणजीत सिंह की गोली मार हत्या कर दी गई।
- जनवरी 2003 में पुलिस की जांच से असंतुष्ट रणजीत के पिता हाइकोर्ट गए और सीबीआई जांच की मांग की।
- पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंपी, जांच एजेंसी का डेरा प्रमुख समेत पांच लोगों पर केस दर्ज किया गया।
- 2007 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने चार्ज फ्रेम किए। 8 अक्टूबर 2021 को पांचों को दोषी करार दिया गया।
राम रहीम और चारों दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की थी
सीबीआई के वकील एचपीएस वर्मा ने राम रहीम और चारों दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की थी, लेकिन अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इससे पहले राम रहीम ने कोर्ट से कहा था कि वह इस देश के नागरिक हैं और उन्हें कोर्ट पर पूरा भरोसा है। उन्होंने अपनी बीमारी और डेरा द्वारा चलाए जा रहे सामाजिक कार्यों का हवाला देकर सजा में रियायत की मांग की।
रंजीत सिंह हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट ने 12 अक्टूबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. दोषियों के वकीलों द्वारा सीबीआई द्वारा दी गई दलीलों को पढ़ने के लिए समय मांगे जाने के बाद सीबीआई न्यायाधीश सुशील गर्ग ने 18 अक्टूबर की तारीख दी थी।
क्या है रंजीत सिंह हत्याकांड?
10 जुलाई 2002 को डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधन समिति के सदस्य कुरुक्षेत्र के रणजीत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. डेरा प्रबंधन को शक था कि साध्वी यौन शोषण मामले में रणजीत सिंह ने ही अपनी बहन को एक गुमनाम पत्र लिखा था।
पुलिस जांच से असंतुष्ट रणजीत सिंह के पिता ने जनवरी 2003 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर अपने बेटे की हत्या की सीबीआई जांच की मांग की, जिसे उच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया। सीबीआई ने इस मामले में डेरामुखी राम रहीम समेत 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था। 2007 में सीबीआई की विशेष अदालत ने आरोपियों पर आरोप तय किए और 8 अक्टूबर 2021 को उन्हें दोषी करार दिया.
3 लोगों की गवाही थी अहम
रणजीत सिंह हत्याकांड में 3 लोगों की गवाही अहम थी. इनमें से दो चश्मदीद गवाह सुखदेव सिंह और जोगिंदर सिंह ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने आरोपी को रणजीत सिंह पर फायरिंग करते देखा. तीसरा गवाह डेरामुखी का ड्राइवर खट्टा सिंह था। खट्टा सिंह के अनुसार, रणजीत सिंह को उसके सामने ही मारने की साजिश रची गई थी।
खट्टा सिंह ने अपने बयान में कहा कि डेरामुखी राम रहीम ने अपने सामने रणजीत सिंह को मारने के लिए कहा। मामले की शुरुआती सुनवाई के दौरान खट्टा सिंह ने कोर्ट में इस बयान को वापस ले लिया था, लेकिन कई सालों के बाद वह फिर से कोर्ट में पेश हुआ और गवाही दी. उनकी गवाही के आधार पर पांचों को दोषी करार दिया गया।
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