Amit Shah Interview: गुजरात दंगों पर गृहमंत्री अमित शाह बोले-सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने सिद्ध कर दिया कि आरोप पॉलिटिकली मोटिवेटिड थे, पढ़िए पूरा इंटरव्‍यू Read it later

Amit Shah Interview: बीस साल के लंबे अंतराल के बाद आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 2002 के गुजरात दंगों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खुल कर बात की। गृह मंत्री शाह ने एएनआई को दिए खास इंटरव्यू में बतया कि इन दंगों के दौरान क्या हुआ था। शाह ने कहा कि गुजरात दंगों को लेकर पीएम और भाजपा सरकार पर लगे सभी आरोप राजनीति से प्रेरित थे। उन्होंने इसे बीजेपी और पीएम मोदी को बदनाम करने की सुनियोजित साजिश बताया। शाह का बयान सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के एक दिन बाद आया है जिसमें अदालत ने गुजरात दंगों को लेकर पीएम मोदी के खिलाफ याचिका खारिज कर दी थी।

 

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पढ़िए इंटरव्यू के मुख्य हिस्से: (Amit Shah Interview)

Amit Shah Interview

सवालः कोर्ट ने पीएम मोदीजी और सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी है.. आपको कैसा लग रहा है? आप तो तब MLA थे?

जवाब: सबसे पहले क्लीन चिट की बात करना चाहता हूं…।  (Amit Shah Interview) सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों को खारिज किया है…। और आरोप क्यों गढ़े गए इस पर भी उच्चतम न्यायालय के जजमेंट ने सिद्ध कर दिया है कि ये सभी आरोप पॉलिटिकली मोटिवेटिड थे…। 18- 19 साल की लड़ाई में देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बिना बोले सभी दुखों को भगवान शंकर के विष पान की तरह गले में रख कर सहन करता रहा। मैंने मोदीजी को करीब से इस दर्द को झेलते देखा है। कोई मजबूत मन का आदमी ही ऐसा कर सकता है।

 

सवाल: कहा जाता है कि पॉलिटिकल व्यू के कारण गुजरात दंगों के दौरान एडमिनिस्ट्रेशन और  ब्यूरोक्रेसी ज्यादा कुछ नहीं कर सकी?

जवाब: भाजपा विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ आइडियोलॉजी लिए राजनीति में आए हुए पत्रकार और कुछ NGOs ने मिलकर इन आरोपों को इतना प्रचारित किया कि सब सच माना जानें लगा, उस पिछली सरकार सालों सत्ता में रही है तो इनका इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि धीरे धीरे झूठ को ही सब सच माना जाने लगा।

 

सवाल: दंगों के दौरान आपकी सरकार दिल्ली और गुजरात दोनों जगहों पर काबिज थी, तो फिर विपक्षियों का नेटवर्क इतना मजबूत कैसे था?

जवाब: हमारी सरकार का पहले कभी भी मीडिया के काम में दखल देने का ऐटीट्यूड रहा ही नहीं है। (Amit Shah Interview) उस वक्त की परिस्थितियों में जो इकोसिस्टम बना था, उसने एक झूठ को इतना बड़ा बनाकर जनता के सामने पेश किया गया कि सब झूठ को ही सच मानने लगे थे। अब कांग्रेस बीते 7 साल से यही लाइन दोहरा रही है कि झूठ को इतनी बार बोलो की वो सच लगने लगे… क्योंकि कांग्रेस को खुद को इसमें महारत हासिल है।

 

सवाल: यदि गुजरात की तात्कालीन सरकार सही थी तो SIT की क्यों जरूरत पड़ी थी?

जवाब: SIT का ऑर्डर कोर्ट के संज्ञान पर नहीं था,  (Amit Shah Interview) एक NGO ने SIT गठित करने की मांग की थी। हमारी सरकार ने तो कहा कि हमें SIT से किसी भी तरह की परेशानी नहीं हैं। आज जब फैसला आया है तो यह साफ हो गया है कि एक पुलिस अधिकारी, एक NGO और एक राजनीतिक दल ने सनसनी के लिए झूठी बातों को प्रसारित करने का काम किया था। झूठे ही सबूत तैयार किए गए, वहीं SIT के सामने झूठे जवाब दिए गए। कोर्ट के निर्णय ने यह सिद्ध कर दिया कि दंगे रोकने के लिए सरकार ने कई प्रयास किए। उस दौरान गुजरात CM ने भी दंगा रोकने की अपील की थी।

 

सवाल: लेकिन केवल दंगें के आरोप ही नहीं थे? दंगे हुए भी तो थे न…

जवाब: आरोप था कि दंगे प्रेरित थे…, राज्य सरकार दंगों में शामिल थी…। दंगों में सीएम का हाथ होने के भी आरोप लगे…। दंगों को कौन नकार रहा है…? देश में कई जगहों पर दंगे हुए…। जहां तक ​​दंगों का सवाल है…, किन्हीं 5 वर्षों के कांग्रेस शासन और किन्हीं 5 वर्षों के भाजपा शासन की तुलना कीजिए। कितने घंटे का कर्फ्यू था…, कितने लोग मारे गए…, कितने दिन बंद रहे और कितने दिन दंगे हुए…, यह पता चलेगा कि दंगे किसके शासनकाल में हुए थे।

दंगे का मूल कारण गुजरात में एक ट्रेन का जलना था…। मैंने 60 लोगों और एक 16 दिन की बच्ची को अपनी मां की गोद में जिंदा जलते हुए देखा है… और मैंने अपने हाथों से अंतिम संस्कार किया है…। इस वजह से दंगे हुए… और बाद के जो दंगे थे वे राजनीति से प्रेरित थे। सरकार के खिलाफ किया गया स्टिंग ऑपरेशन भी राजनीति से प्रेरित था, जिसे कोर्ट ने भी खारिज कर दिया था।

 

सवाल: 3 दिन तक सेना नहीं बुलाई गई, यदि आप उस समय गृह मंत्री होते तो क्या आप सेना को जल्दी नहीं बुलाते?

जवाब: जिस दिन गुजरात बंद की घोषणा हुई थी, (Amit Shah Interview) उसी दिन दोपहर को हमने सेना बुला ली थी। सेना को पहुंचने में कुछ समय लगता है। जहां तक गुजरात सरकार की बात है तो एक दिन की भी देरी नहीं हुई। इस बिंदु को भी अदालत ने स्वीकारा और मूल्यांकन किया है।

(Amit Shah Interview) हम सभी जानते हैं कि सेना का मुख्यालय दिल्ली में है…। जब इतने सारे सिख भाई मारे गए, 3 दिन तक कुछ नहीं किया गया…। कितनी एसआईटी बनाई गईं…? हमारी सरकार आने के बाद SIT का गठन किया गया था…। इतने सालों तक विपक्षी सरकारों के तहत सिखों के जनसंहार में कभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई… और ये लोग हम पर आरोप लगा रहे हैं?… हम पर आरोप लगाने से पहले इनको अपने अंदर झांकना चाहिए।

 

सवाल: आप और पीएम मोदी जी का मानना है कि गुजरात पर दंगाई राज्य का तमगा लगाने का झूठा प्रयास किया गया? (Amit Shah Interview)

जवाब: ये बात केवल मैं और मोदीजी ही नहीं कह रहे.. अब तो सुप्रीम कोर्ट भी यही कह रहा है कि गुजरात को एक दंगाई राज्य का घोषित करने का झूठा प्रयास किया गया। (Amit Shah Interview) क्या आप लोकतंत्र में संविधान और सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं मानेंगे…, विपक्ष की पॉलिटिकल बयानबाजी सच्ची हैं या सुप्रीम कोर्ट का फैसला… यह तो देश की जनता ही तय करती है। अब आरोप लगाने वालों से मीडिया को पूछना चाहिए कि ये आरोप उन्होंने किस आधार पर लगाए थे। यदि आधार था तो वे लोग सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं पहुंचे।

 

सवाल: आपने जिस NGOs की बात की, ये कौन से NGOs हैं? इन्होंने क्या किया था?

जवाब: मैंने सरसरी नजर से सुप्रीम कोर्ट के वर्डिटक्ट को पढ़ा है, लेकिन इसमें तीस्ता सीतलवाड़ का नाम बहुत साफ तौर पर दिया गया है। (Amit Shah Interview) तीस्ता सीतलवाड़ के NGO ने हर थाने में भाजपा के कार्यकर्ताओं को केस में शामिल करने वाली अर्जी दी थी। अर्जी देना कोई गलत बात नहीं है… लेकिन हर थाने में अर्जी देना ऐसा लगता है कि एनजीओ ने जानबूझ कर ऐसा किया… या उन्हें किसी ने या कहें कि राजनीतिक शक्ति ने ऐसा करने के लिए कहा। मीडिया का प्रेशर भी इतना था कि ऐसी ऐप्लिकेशन को ही सच मान लिया गया। लेकिन जनता ने कभी इन आरोपों को स्वीकारा नहीं, उधर मीडिया, NGO और हमारी विरोधी पॉलिटिकल पार्टी झूठे आरोपों को सच साबित करने में जुटी रहीं।

 

सवाल: कई लोगों का आरोप हे कि भाजपा ने SIT को प्रभावित करने की कोशिश की…

जवाब: SIT और इंन्वेस्टिेशन अफसर की नियुक्ति देश की सुप्रीम कोर्ट ने NGO की अर्जी के बाद की थी। (Amit Shah Interview) इन अफसरों को सेंट्रल गवर्नमेंट की तरफ से भेजा गया था। उस समय केंद्र में UPA की सरकार बन चुकी थी। तो बीजेपी  SIT को कैसे प्रभावित कर सकती है। ये सभी आरोप बे​बुनियाद हैं। इतनी सारी झूठी बातें देशभर में फैलाई गईं कि फायरिंग में केवल मुसलमान मारे गए। ऐसा नहीं हुआ था। झूठी बातें फैलाकर मोदीजी को आरोपियों ने खलनायक की तरह पेश करने का काम किया, लेकिन देश की जनता ने मोदी जी का साथ दिया।

 

प्रश्न: मुसलमान गोली से नहीं मारे गए थे, लेकिन क्या वे दंगों में तो मारे गए थे?

जवाब : जिस तरह से 60 लोगों को जिंदा जलाया गया, (Amit Shah Interview) उससे समाज में कोहराम मच गया। और जब तक दंगे नहीं हुए तब तक बीजेपी के अलावा किसी पार्टी ने ट्रेन जलाने की घटना की निंदा तक नहीं की। उस दौरन संसद चल रही थी। 60 लोगों को जिंदा जलाने की घटना पर किसी ने दुख तक व्यक्त नहीं किया और न ही किसी ने निंदा की।

उच्चतम न्यायालय ने भी कहा कि जकिया जाफरी किसी और के निर्देशों को फॉलो करती थीं। NGO ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर दस्तखत किए और पीड़ितों को पता भी नहीं चल पाया है। सभी जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ का तथा​कथित गैर सरकारी संगठन ये सब कर रहा था।  उस दौरान की UPA की सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए तीस्ता सीतलवाड़ और उनके NGO की खबू मदद की है। केवल मोदी जी की इमेज धूमिल करने के लिए ये सब किया गया।

 

सवाल: लेकिन उन लोगों को दंगाइयों के रूप में ठप्पा नहीं दिया गया था?

जवाब: ठप्पा , लेबल या बेबुनियादी आरोप शायद ही कभी तथ्य पर आधारित होते हैं।  (Amit Shah Interview) दंगों का राजनीतिक इस्तेमाल कभी नहीं होना चाहिए। जब भी गुजरात में इन्वेस्टमेंट समिट होती थी तो हर अखबार में दंगों से भरे आर्टिकल छपा करते थे। यह काम 10-12 साल तक किया गया। मोदी जी जब भी विदेश जाते तो उन्हें अपमानित करने के लिए कई पॉलिटिकल लीडर विदेशी अखबारों में उनके खिलाफ आर्टिकल जानबूझ कर छपवाते थे।

 

सवाल: सुप्रीम कोर्ट का फैसला बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदीजी के लिए इतना अहम क्यों है? क्या आपको कोई दुख सता रहा है?

जवाब: 18-19 साल की यह लंबी जंग मोदीजी और सत्य चाहने वालों ने लड़ी है। (Amit Shah Interview) किसी भी झूठ का का खुलासा होना सबसे जरूरी है, इतिहास खुद बनाता है।  मेरा मानना है कि यह फैसला हर भाजपा कार्यकर्ता के लिए गौरवान्वित होने की बात है।

 

सवाल: बीजेपी मुसलमानों के वोट के बिना सरकार बना सकती है, ऐसे आरोप राजनीतिक दलों की ओर से लगाए जाते रहे हैं, इसके लिए गुजरात लैबोरेटरी शब्द का इस्तेमाल किया जाता है, इस पर क्या कहेंगे आप?

जवाब: यह आपका देखने का तरीका है। गुजरात मॉडल जरूर बना है। हमने ही देश में सबसे पहले 24 घंटे बिजली देना शुरू किया। 12 वर्षों में शून्य ड्रॉपआउट रेशो और देश के भीतर प्राइमरी एजुकेशन में 99% से अधिक बच्चों का नामांकन सुनिश्चित किया। लगातार 12 सालों तक, हमने 10% कृषि विकास दर हासिल की है। यह भी एक मॉडल ही है। आरोप लगाने वाली राजनीतिक पार्टियां इस पर गौर क्यों नहीं करती।

देखें यहां पूरा इंटरव्यू

 

HM Shri @AmitShah‘s interview to ANI. https://t.co/ZHWAYpkuij

— BJP (@BJP4India) June 25, 2022

 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पीएम मोदी के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। 2002 के गुजरात दंगों में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी रिपोर्ट के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जकिया की याचिका में कोई दम नहीं है। यह याचिका जकिया जाफरी ने दायर की थी।

दरअसल 2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी। (Amit Shah Interview) उपद्रवियों ने पूर्वी अहमदाबाद में अल्पसंख्यक समुदाय की बस्ती ‘गुलबर्ग सोसाइटी’ को निशाना बनाया था। इसमें जकिया जाफरी के पति कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोग मारे गए थे। इनमें से 38 लोगों के शव बरामद कर लिए गए, जबकि जाफरी समेत 31 लोग लापता बताए गए।

 

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