कल्याण सिंह (प्यार से बाबू जी) नहीं रहे। उन्होंने 89 साल की उम्र में एसजीपीजीआई में आखिरी सांस ली। यूपी के पूर्व सीएम और राज्यपाल कल्याण सिंह 48 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहे। 7 दिनों से वेंटिलेटर पर थे।
21 जून को सांस लेने में तकलीफ के चलते उन्हें लखनऊ के लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद तबीयत में कोई सुधार नहीं होने पर 4 जुलाई को उन्हें पीजीआई शिफ्ट कर दिया गया था। कल्याण सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने शोक जताया है।
कल्याण सिंह यूपी में बीजेपी के पहले सीएम थे। पहली बार सीएम बनने के बाद उन्होंने कैबिनेट के साथ सीधे अयोध्या जाकर राम मंदिर निर्माण की शपथ ली थी।
कल्याण सिंह 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचे के विध्वंस के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री थे। जांच में सामने आया था कि उन्होंने कारसेवकों पर गोलीबारी की अनुमति नहीं दी थी।
जानिए कल्याण सिंह का राजनीतिक सफर कैसा रहा –
5 जनवरी 1932 को अलीगढ़ के गांव मधौली में हुआ था जन्म
उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की अतरौली तहसील के मधौली गांव में हुआ था। वे भाजपा के सबसे बड़े नेताओं में से एक थे, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राजस्थान के राज्यपाल भी रहे।
एक समय था जब पूर्व सीएम कल्याण राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरों में से एक थे। उन्हें एक हिंदुत्ववादी और एक प्रखर वक्ता के रूप में पहचाना जाता था।
यूपी में बीजेपी की सरकार बनी तो पार्टी की सत्ता में राज्य में पहले मुख्यमंत्री बने
- कल्याण सिंह 2 बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे। वह यूपी में बीजेपी के पहले सीएम भी थे। वह पहले कार्यकाल में 24 जून 1991 से 6 दिसंबर 1992 तक और दूसरी बार 21 सितंबर 1997 से 12 नवंबर 1999 तक मुख्यमंत्री के पद पर रहे।
- 30 अक्टूबर 1990 को जब मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री थे, उस दौरान मुलायम सिंह ने कारसेवकों पर गोलियां चलवा दी थीं, प्रशासन कारसेवकों के प्रति सख्त रवैया अपना रहा था।
- ऐसे में बीजेपी ने मुलायम का मुकाबला करने के लिए कल्याण सिंह को आगे रखा. अटल बिहारी वाजपेयी के बाद कल्याण सिंह भाजपा में दूसरे ऐसे प्रखर नेता थे, जिनके भाषणों को सुनने की उत्सुकता जनता में रहती थी।
यूपी का सीएम बनने के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनाने की शपथ ली
एक साल के भीतर ही कल्याण सिंह ने बीजेपी को उस लक्ष्य पर पहुंचा दिया कि पार्टी ने 1991 में यूपी में अपने बूते सरकार बनाई। इसके बाद कल्याण सिंह यूपी में बीजेपी के पहले सीएम बने।
सीबीआई में सबमिट चार्जशीट के मुताबिक, मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद कल्याण सिंह ने अपने साथियों के साथ अयोध्या का दौरा किया और राम मंदिर बनाने की शपथ ली थी।
कारसेवकों को गोली मारने का आदेश न देकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया
कल्याण सिंह 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचे के विध्वंस के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कारसेवकों पर गोलीबारी की अनुमति नहीं दी थी। कल्याण ने ढांचा गिराए जाने के बाद अपना इस्तीफा सौंप दिया।
हालांकि कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि यूपी का सीएम होने के नाते वह मस्जिद को कोई नुकसान नहीं होने देंगे।
राम मंदिर आंदोलन में कल्याण सिंह‚ बीजेपी नेता लाल कृष्ण अडवाणी के साथ |
कल्याण ने ली थी बाबरी मस्जिद विध्वंस की नैतिक जिम्मेदारी
कल्याण सिंह को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के लिए सार्वजनिक रूप से जिम्मेदार ठहराया गया था। इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए कल्याण सिंह ने 6 दिसंबर 1992 को ही सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन दूसरे दिन केंद्र सरकार ने यूपी की बीजेपी सरकार को बर्खास्त कर दिया।
कल्याण सिंह ने उस समय कहा था कि यह सरकार राम मंदिर के नाम पर बनी और इसका उद्देश्य पूरा हुआ। ऐसे में राम मंदिर के नाम पर सरकार का बलिदान दिया गया। कल्याण सिंह को अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराने और उसकी रक्षा न करने के लिए एक दिन की सजा सुनाई गई थी।
अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस की तस्वीर |
लिब्रहान आयोग ने किया था कल्याण को क्रिटिसाइज
बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच के लिए लिब्रहान आयोग का गठन किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को क्लीन चिट, लेकिन कल्याण और उनकी सरकार की जमकर आलोचना की गई थी।
सीबीआई ने कल्याण सिंह समेत कई नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया। लेकिन कुछ समय बाद बरी कर दिया।
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