Ganesh Chaturthi 19 से 28 सितंबर तक:इन उपायों से बदलेगी किस्‍मत Read it later

Ganesh Chaturthi: गणेश उत्सव 19 सितंबर मंगलवार से शुरू हो रहा है. इस वर्ष पंचांग भेद के कारण भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी दो दिन रहेगी। गणेश चतुर्थी का व्रत 18 सितंबर को भी रखा जाएगा, लेकिन गणेश उत्सव 19 सितंबर से शुरू होगा। दस दिवसीय गणेश उत्सव 28 सितंबर तक चलेगा।

वाराणसी के ज्योतिषाचार्य पं. पुरुषोत्‍तम शर्मा के अनुसार इस साल गणेश उत्सव मंगलवार से शुरू हो रहा है। (Ganesh Chaturthi Shubh Muhurat And Celebrations) भगवान गणेश को मंगलमूर्ति कहा जाता है इसलिए मंगलवार और गणेश चतुर्थी का संयोग बहुत शुभ रहेगा। इस दिन रवि योग, स्वाति और विशाखा नक्षत्र भी रहेगा। पूजा-पाठ की दृष्टि से यह उत्तम योग रहेगा।

ऋषि पंचमी व्रत भी 19 सितंबर को ही रखा जाएगा  (Vinayaka Chaturthi and Ganeshotsav)

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी 19 सितंबर को सुबह 10.28 बजे तक रहेगी, उसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी, जो अगले दिन यानी 20 सितंबर को सुबह 10.22 बजे तक रहेगी। पं. शर्मा के अनुसार ऋषि पंचमी का व्रत 19 सितंबर को ही करना श्रेष्ठ रहेगा, क्योंकि यह तिथि 19 को पूरे दिन रहेगी, जबकि 20 की सुबह 10.22 बजे यह तिथि समाप्त होगी।

मिट्टी के गणपति को पूजें (Ganesh Chaturthi Celebration with mitti ganesh)

शास्त्रों में मिट्टी से बनी मूर्ति की पूजा को सर्वोत्तम बताया गया है। मिट्टी से बनी मूर्ति में पांच तत्व होते हैं। मूर्ति इन पांच तत्वों यानी पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश से बनी है और हमारा शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से बना है। इसलिए गणेश उत्सव के दौरान पंचतत्व से बनी गणेश प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। ये मूर्तियाँ पानी में आसानी से घुल जाती हैं, जबकि प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियाँ लंबे समय तक पानी में नहीं घुलती हैं, जिससे पानी प्रदूषित होता है। मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा पर्यावरण के लिए भी अच्छी होती है।

गणेश प्रतिमा बनाने के लिए नदी या तालाब या किसी साफ जगह की मिट्टी का उपयोग करना चाहिए। ध्यान रखें कि मिट्टी में कंकड़, पत्थर, पेड़ की जड़ें या घास नहीं होनी चाहिए।

इस तरह आप भगवान गणेश की सरल पूजा कर सकते हैं (Ganesh Chaturthi pujan)

  • यदि किसी व्यक्ति को गणेश पूजा की विधि नहीं पता है तो वह यहां दिए गए आसान चरणों में पूजा कर सकता है।
  • भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने के बाद भगवान को जल अर्पित करें। पंचामृत अर्पित करें. हार और फूलों से सजाएं। दूर्वा अर्पित करें। कलश को आम के पत्तों और नारियल से सजाएं. कुमकुम और चंदन से तिलक लगाएं। मोदक, लड्डू और मौसमी फलों का भोग लगाएं।
  • अगरबत्ती जलाकर आरती करें। पूजा के दौरान श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करें। अंत में भगवान से अपनी ज्ञात-अज्ञात गलतियों के लिए क्षमा मांगें। इस प्रकार ईश्वर की आराधना आसानी से की जा सकती है। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।

 

आक के पेड़ की जड़ से बनी गणपति की मूर्ति

आक का पौधा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसे आकड़ा भी कहा जाता है। आकड़े पौधे के सफेद फूल चढ़ाने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं। भगवान गणेश की आकृति आक के पौधे की जड़ से बनाई जाती है, जिसे श्वेतार्क गणेश के नाम से जाना जाता है। इस जड़ को साफ करके घर के मंदिर में स्थापित किया जाता है और इसकी विधिवत पूजा करने का विधान है।

 

जीवन में उन्‍नति  के उपाय

जीवन में उन्नति के लिए गणेश चतुर्थी के दिन कुम्हार के चाक से थोड़ी मिट्टी लें और उस मिट्टी से भगवान गणेश की अंगूठे के आकार की मूर्ति बनाएं। फिर उस मूर्ति को चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर ब्रह्म स्थान, पूर्व दिशा या ईशान कोण में स्थापित करें। इसके बाद भगवान गणेश की पूजा करें और ‘ओम ह्रीं ग्रीं ह्रीं’ मंत्र का 108 बार जाप करें। अनंत चतुर्दशी तक 10 दिनों तक इस मूर्ति की पूजा करें। ऐसा करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी और सुख-समृद्धि में वृद्धि होगी।

 

 

 

Disclaimer: खबर में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। थम्सअप भारत किसी भी तरह की मान्यता की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी धार्मिक कर्मकांड को करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।

 

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