Durva Ashtami: जानें क्‍यों इस दिन दूर्वा से करते हैं बप्‍पा की विशेष पूजा Read it later

Durva Ashtami: गणेश चतुर्थी के चौथे दिवस पर दुर्वाष्टमी का व्रत रखा जाता है। यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को होगा। इस बार यह 22 सितंबर को रखा जाने वाला है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा दूर्वा चढ़ाकर करनी चाहिए।

मान्यता है कि इस दिन दूर्वा से गणेश जी की पूजा करने से सभी तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। पुराणों में एक कथा है. जिसके अनुसार गणेशजी ने राक्षस अलनासुर का वध किया था और उसके बाद उन्हें दूर्वा अर्पित की गई थी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

 

दूर्वा चढ़ाने की परंपरा क्यों है?

भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने के पीछे (Durva Ashtami) अनलासुर नाम के राक्षस से जुड़ी एक कहानी है। कथा के अनुसार अनलासुर के आतंक से सभी देवता और पृथ्वी पर मौजूद सभी मनुष्य बहुत परेशान हो गये थे। देवराज इंद्र, अन्य देवता और प्रमुख ऋषि-मुनि महादेव के पास पहुंचे। शिवजी ने कहा कि यह कार्य केवल गणेश जी ही कर सकते हैं। इसके बाद सभी देवता और ऋषि-मुनि भगवान गणेश के पास पहुंचे।

देवताओं की प्रार्थना सुनकर गणपति अनलासुर से युद्ध करने आये। काफी समय तक अनलासुर पराजित नहीं हो रहा था, तब भगवान गणेश ने उसे पकड़ लिया और निगल लिया। इसके बाद गणेश जी के पेट में तेज जलन होने लगी। जब ऋषि कश्यप ने दूर्वा की 21 गांठें बनाईं और भगवान गणेश को खाने के लिए दीं। दूर्वा खाते ही उनके पेट की जलन शांत हो गई। (Durva Ashtami)  तभी से भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

 

दूर्वा के बिना अनुष्ठान और शुभ कार्य अधूरे  (Durva Ashtami)

इसका प्रयोग विशेष रूप से हिंदू संस्कारों और रीति-रिवाजों में किया जाता है। हिंदू मान्यताओं में प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को दूर्वा घास अत्यंत प्रिय है। इसलिए किसी भी पूजा-पाठ और सभी प्रकार के शुभ कार्यों में दूर्वा को सबसे पहले लिया जाता है।

इस पवित्र घास के बिना गृह प्रवेश, मुंडन और विवाह सहित अन्य शुभ कार्य अधूरे माने जाते हैं। भगवान गणेश की पूजा में दो, तीन या पांच दूर्वा चढ़ाने का विधान तंत्र शास्त्र में मिलता है।

दूर्वा अष्टमी की पूजा का शुभ समय (Durva Ashtami Pujan Time )

दूर्वा अष्टमी की तिथि 22 सितंबर 2023 को दोपहर 1:35 बजे से शुरू होगी और 23 सितंबर को दोपहर 12:17 बजे तक रहेगी।

जो जातक शुक्ल पक्ष की उदया तिथि के अनुसार पूजा करना चाहते हैं उनके लिए दूर्वा अष्टमी का त्योहार 23 सितंबर को है।

दूर्वा अष्टमी पर ऐसे करें प्रथम पुज्‍य का पूजन  (Durva Ashtami Ganesh Pujan)

– जो लोग इस दिन व्रत रखना चाहते हैं उन्हें ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए।

– नए कपड़े पहनकर भगवान गणेश की मूर्ति के सामने देसी घी का दीपक जलाएं।

– पूजा करते समय व्रत का संकल्प लें और भगवान गणेश को फल, फूल, माला, चावल, धूप और दीप अर्पित करें।

– इसके बाद भगवान को दूर्वा घास चढ़ाएं और मीठी रोटी का भोग भी लगाएं।

– भगवान गणेश की आरती करें और उसके बाद भगवान शिव की पूजा करना न भूलें।

दूर्वा अष्टमी पर गणेशजी को प्रसन्‍न करने का महाउपाय (Durva Ashtami aur Ganeshji )

अगर आप दूर्वा अष्टमी के दिन ये उपाय करते हैं तो न केवल आपकी आर्थिक तंगी दूर हो जाएगी बल्कि आपकी सभी समस्याएं भी दूर हो जाएंगी। भगवान गणेश को दूर्वा घास चढ़ाते समय गणेश गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए- ॐ एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो बुद्धि प्रचोदयात्। जप करें। जाप पूरा होने के बाद भगवान गणेशजी से अपनी मनोकामना कहकर आशीर्वाद लें। गणपति बप्पा की कृपा से आपके घर में चहुंं ओर से  खुशियां प्रवेश करने लगेंगी। ऐसी मान्‍यता है कि  एक बार यदि बप्पा आप पर मेहरबान हो गए तो आपके जीवन के सभी दुख-दर्द खत्म हो जाएंगे।

 

 

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