Mizoram: सड़क निर्माण की खुदाई के दौरान मिले 12 खोपड़ी, हड्डियां और आभूषण Read it later

Mizoram Human Skulls Bones Found: मिजोरम राज्य व त्रिपुरा राज्य की सीमा के पास सड़क निर्माण कार्य के दौरान लोग उस वक्त हैरत में रह गए, जब भूस्खलन ( Landslide ) का कचरा साफ करते समय पुरातन समय की 12 इंसानी खोपड़ियां व कई हड्डियां, आभूषण ( Ornaments ) सहित कई मिट्टी के बर्तन भी मिले।

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12 इंसानी खोपड़ी, हड्डियां, आभूषण ( Ornaments ) समेत मिट्टी के बर्तन मिले

Mizoram Human Skulls Bones Found: मिजोरम व त्रिपुरा बॉर्डर के समीप सड़क मार्ग के निर्माण के समय स्थानीय लोग उस वक्त हैरत में रह गए, जब भूस्खलन का मलबा हटाते वक्त 12 इंसानी खोपड़ी, हड्डियां, आभूषण ( Ornaments ) समेत मिट्टी के बर्तन मिले। घटना के बाद एकबारगी तो हड़कंप मच गया। सूचना पर पुलिस ( Police ) मौके पर पहुंची और मामले की जांच पड़ताल शुरू की।

आपको बता दें कि मिजोरम के ममित जिले के उपायुक्त लालरोजामा के अनुसार जिले में त्रिपुरा सीमा ( Tripura ) के नजदीक तुइदाम-कव्रटे की सड़क का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा था। इसके लिए पहाड़ी को
 मशीन द्वारा काटने का कार्य जोरो पर है। लेकिन, बारिश के कारण अचानक भूस्खलन हो गया। इसी दौरान जब मजदूर भूस्खलकन के मलबे को साफ करने में जुटे थे, तभी 12 खोपड़ियां, मानव अंगों की कई तरह की हड्डियां व गहने मिले। इसके अलावा एक धूम्रपान का पुराना शिगार व बिट्स के साथ मिट्टी के कुछ बर्तनों के टुकड़े भी मिले।

फोरेंसिक टीम तफ्तीश में जुटी , गहन जांच के बाद ही साफ हो पाएगी स्थिति

लालरोजमा के अनुसार इस मामले पर फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। मलबे में मिली खोपड़ी और हड्डियों को जांचा व परखा जाएगा, इसके लिए शनिवार को बकायदा फोरेंसिक दल को बुलाया गया है। तथ्यपरख जांच के बाद ही स्थिति साफ हो पाएगी कि इंसानी खोपड़ी और हड्डियां कितनी पुरानी हैं। आपको बता दें कि स्थानीय जनता ने शुक्रवार को सुबह 10 बजे इस पूरे मामले की सूचना दी थी, जिसके बाद पुलिस दल  के साथ घटना स्थल पर पहुंची।
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 पुरातत्व सर्वेक्षण के उप- अधीक्षण पुरातत्वविद सुजीत नयन ने कहा, “हमें त्रिपुरा में स्थित जम्पुई पहाड़ियों में ऐसी जगह मिली, जो कुछ महीने पहले मिजोरम सीमा के करीब थी

8वीं से लेकर 14वीं ईस्वी तक के हो सकते हैं कंकाल

पुरातत्व विभाग सर्वेक्षण के उप- अधीक्षक पुरातत्वविद् सुजीत नयन बताते हैं, त्रिपुरा में जम्पुई की पहाड़ियों में यह जगह नश्चित रूप से मिली है जोकि कुछ माह पहले ही मिजोरम बॉर्डर के नजदीक थी और साथ ही बीते वर्ष आइजोल से करीबन 20 किलोमीटर दूर दो स्थानों पर यह थी। सुजीत नयन ने कंकाल की पुरातन​ स्थिति को निर्धारित करने के लिए युपी की राजधानी लखनऊ में बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पलायोबोटनी के एक्सपर्ट्स के साथ काम किया था। उन्होंने बताया कि कंकाल 8वीं से लेकर 14वीं  ईस्वी तक के हो सकते हैं। नयन ने बताया कि मैं अभी सही तौर पर नहीं कह सकता, हां, लेकिन यह जरूर हो सकता है कि ये कंकाल प्राचीनकाल के ही हों। 

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