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पृथ्वी के गर्म होने का विश्व रिकॉर्ड टूट सकता है। जी हां! ये हम नहीं बल्कि वैज्ञानिकों की चेतावनी है। दरअसल वैज्ञानिकों ने यह खतरा जताते हुए कहा है कि 2021 से 2025 के बीच एक साल सबसे ज्यादा रिकॉर्ड गर्मी वाला साल होगा। तापमान में 1.5 डिग्री 40 फीसदी की बढ़ोतरी का खतरा है। अगले पांच साल में आने वाला यह साल बीते 2016 पड़ी गर्मी के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ देगा।
बढ़ते तापमान से लू, अत्यधिक बारिश और पानी की कमी हो सकती है। यह दावा अमेरिका, चीन सहित दुनियाभर के 10 देशों के वैज्ञानिकों ने वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएमओ) की रिपोर्ट में किया है।
पिछले दशक में 20 फीसदी बढ़ा तापमान, अब 40 फीसदी बढ़ोतरी का खतरा
पिछले दशक में तापमान में 1.5 डिग्री की वृद्धि की संभावना केवल 20 प्रतिशत थी, लेकिन नई रिपोर्ट में यह खतरा अब 40 प्रतिशत बताया गया है। अगर ऐसा होता है तो 2015 में पेरिस जलवायु समझौता निर्धारित तापमान से यह प्रतिशत ऊपर उठ जाएगा। मौसम विज्ञानी लियोन हरमेंसन के अनुसार दुनिया में 1.5 डिग्री तापमान बढ़ने वाला है। ऐसे में समय बीतने के साथ इसे रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है।
बर्फ पिघलेगी, इससे समुद्र जलस्तर में बढ़ोत्तरी होगी
विश्व मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन के महासचिव प्रो. पेटेरी तालास ने कहते हैं, बढ़ते तापमान से बर्फ पिघलेगी और समुद्र का जल स्तर भी बढ़ेगा। इससे मौसम खराब होगा। नतीजतन, भोजन, स्वास्थ्य, पर्यावरण और विकास भी प्रभावित होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अब सतर्क रहने का समय है। दुनिया भर में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए तेजी से काम करने का वक्त आ गया है।
दक्षिण एशिया के लिए बढ़ेगा खतरा
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की करीब एक चौथाई आबादी दक्षिण एशिया में रहती है। यह इलाका पहले से ही सबसे ज्यादा गर्मी झेल रहा है। ऐसे में यहां बढ़ता तापमान एक बड़ा खतरा है। इस क्षेत्र में लगभग 60 प्रतिशत लोग खेती से गुजर बसर करते हैं। उन्हें खुले मैदान में खेती का कार्य करना पड़ता है, ऐसे में उन पर गर्मी का खतरा और भी बढ़ जाएगा।
पेरिस जलवायु समझौता क्या है
2015 में, 195 देशों की सरकारें 30 नवंबर से 11 दिसंबर तक पेरिस, फ्रांस में एकत्रित हुईं। दुनियाभर की सरकारों ने तापमान को 2 डिग्री तक कम करने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का लक्ष्य रखा है।