Rahul and Raebareli:बीते चुनाव में अमेठी सीट पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को हराने के बाद अब भाजपा उन्हें उनके नए निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली में घेरने की पुरजोर कोशिश में जुठ गई है। बहरहाल भाजपा ने यहां से स्थानीय नेता और कांग्रेस के पूर्व मंत्री दिनेश प्रताप सिंह को मैदान में उतार दिया है। अब तक तो यहां जातिगत समीकरण देखें तो यह कुछ ज्यादा कारगर नहीं रहे हैं, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी को घेरने के लिए बड़ी तैयारी में जुट गई है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि यह सीट कांग्रेस और खासकत गांधी परिवार का गढ़ मानी जाती है। यहां अब रायबरेली में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की जगह राहुल गांधी चुनाव मैदान में उतरे हैं।
राहुल गांधी पहले की तरह केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। ताकि दोनों में से कहीं न कहीं से तो जीत ही जाएं। भाजपा ने राहुल के खिलाफ स्थानीय उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह को उतारा है। बीते चुनाव में भी भाजपा ने सोनिया गांधी से हारे दिनेश प्रताप सिंह को ही मैदान में उतारा था, लेकिन खास बात यह है कि उन्होंने सोनिया गांधी की 2014 की जीत के अंतर को लगभग आधा कर दिया था। इसके बाद भाजपा ने उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री बना दिया।
मौजूदा समय की बात करें तो कांग्रेस के कई बड़े नेता अब भाजपा के साथ हैं। इधर दिनेश प्रताप सिंह एमएलसी चुने जाने के कारण ग्राम प्रधानों के बीच अच्छी पकड़ रखते हैं। वहीं रायबरेली के कई बड़े कांग्रेस नेता अब भाजपा का दामन थाम चुके हैं।
इस सीट के प्रमुख कांग्रेस नेता अखिलेश कुमार सिंह की बेटी अदिति सिंह अब रायबरेली से भाजपा विधायक हैं। रायबरेली में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं- बछरावां, हरचंदपुर, रायबरेली, सरेनी और ऊंचाहार। इनमें से रायबरेली को छोड़कर चार में सपा विधायक काबिज हैं। इनमें से एक ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय ने राज्यसभा चुनाव में सजावादी पाटी के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया था। अब वह भी भाजपा के करीबी हैं। वहीं उनके भाई और बेटे भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
ओबीसी कम्यूनिटी से सपोर्ट की आस
अब तक तो लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार को सामाजिक व जतिगत समीकरणों से इतर वोट मिलते रहे हैं, लेकिन इस बार भाजपा ने राहुल गांधी को घेरने के लिए इन समीकरणों पर काफी समय पहले से काम शुरू कर दिया था। दरअसल भाजपा का मानना है कि अन्य कम्यूनिटी के साथ ओबीसी कम्यूनिटी का बड़ा तबका भी भाजपा को वोट करेगा।
भाजपा रायबरेली में इसलिए भी राहुल को पुरजोर हराने का चक्रव्यूह बना रही है क्योंकि यह सीट गांधी परिवार की पारंपरिक सीट है। राहुल अमेठी से पहले ही नकारे जा चुके हैं। यदि रायबरेली से भी वे हार जाते हैं तो भारतीय राजनीति में सीधा ये मैसेज जाएगा कि राहुल को अब राजनीति छोड़ देनी चाहिए। क्योंकि वे अपनाा पारंपरिक गढ़ भी नहीं बचा पाए और एक स्थानीय नेता से हार गए।
अपने चुनाव प्रचार के मैदान भाजपा राहुल गांधी पर अमेठी हारने और उसे छोड़ने का आरोप भी लगा रही है। इसके अलावा वायनाड और रायबरेली में से राहुल गांधी किसे छोड़ेंगे और किसे अपने साथ रखेंगे, इसे भी मुद्दा बनाया जा रहा है।
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रायबरेली में लगातार बढ़ रहा बीजेपी का वोट प्रतिशत
मौजूूदा समीकरणों की बात करें तो चुनाव दर चुनाव बीजेपी सोनिया गांधी के खिलाफ हर चुनाव में यहां अपनी ताकत बढ़ाती गई है। 2009 में उसे 3% वोट मिले थे, जो 2014 में बढ़कर 21% हो गए। 2019 में यह आंकड़ा 38% पर पहुंच गया। ऐसे में बीजेपी अपने वोट शेयर को 12% और बढ़ाने की कोशिश में है। बीजेपी का विश्लेषण है कि सोनिया गांधी की जीत का अंतर लगातार कम होता जा रहा था और लोग गांधी परिवार से दूरी बना रहे हैं, क्योंकि रायबरेली की जनता भी समझ गई है कि जीत के बाद अमेठी को कभी पलट कर नहीं देखा इसलिए अमेठी से हारे और वहां हार मिलने के बाद रायबरेली चुनाव लड़ने पहुंच गए।
रायबरेली में जातियों के आधार पर वोट प्रतिशत
ब्राह्मण —-11
राजपूत —- 09
यादव —-07
मुस्लिम —-06
लोध —-06
कुर्मी —-04
दलित —-34
अन्य —-23
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