Heeramandi Review: नेटफ्लिक्स ओटीटी की बहुप्रतीक्षित वेब सीरीज में शामिल संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) की वेब सीरीज हीरामंडी- द डायमंड बाजार (Heeramandi Review) 1 मई को रिलीज हो गई। इस सीरीज के साथ ही संजय लीला भंसाली ने ओटीटी पर डेब्यू कर लिया। ओटीटी के लिए संजय ने लाहौर की हीरामंडी में तवायफों की कहानी को चुना है। महज आठ एपिसोड्स में रिलीज हुई सीरीज में मनीषा कोइराला सोनाक्षी सिन्हा, अध्ययन सुमन, फरदीन खान समेत कई दमदार कलाकार अहम किरदारों में नजर आए हैं।
OTT : Heeramandi REVIEW
- नाम:हीरामंडी: द डायमंड बाजार (Hiramandi: The Diamond Bazaar)
- रेटिंग : ढाई स्टार
- कलाकार :सोनाक्षी सिन्हा, मनीषा कोइराला, अदिति राव हैदरी, शरमिन सहगल, संजीदा शेख, ताहा शाह, शेखर सुमन, फरदीन खान, अध्ययन सुमन, फरीदा जलाल
- निर्देशक :संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali)
- निर्माता :संजय लीला भंसाली
- लेखक :संजय लीला भंसाली
- रिलीज डेट :May 01, 2024
- प्लेटफॉर्म :नेटफ्लिक्स
- भाषा :हिंदी, उर्दू
सीरीज के पहले एपिसोड में के एक सीन में कुदसिया बेगम के किरदार में फरीदा जलाल लंदन से पढ़ाई करके लौटे अपने पोते ताजदार (ताहा शाह) से कहती हैं, हिंदी जुबां और रिवायतें यहां हम नहीं सिखा सकते, इसके लिए आपको हीरामंडी (लाहौर में तवायफों का इलाका) जाना होगा।
इस पर उनका पोता ताजदार कहता है, वहां तो अय्याशी सिखाते हैं। इस पर दादी खफा होते हुए कहती हैं, व्हाट नाॅनसेंस। वहां तो सभी नवाब जाते हैं… वहां अदब सिखाते हैं… नफासत सिखाते हैं…और इश्क भी।
अपने निर्देशन में कुछ अलग करने के लिए के लिए प्रसिद्ध निर्देशक संजय लीला भंसाली ने इसके सीरीज जरिए हीरामंडी में नवाबों की दुनिया और तवायफों के दबदबे के बारे में बताया है। कहानी आजादी से पहले की है। यह वह दुनिया है, जहां नवाबों की अय्याशी उनके परिवार की महिलाओं को एक्सेप्टेबल है।
तवायफ को महफिल सजाने के लिए बुलाना शान समझा जाता है, वहीं हीरामंडी में उन्हें मेहमान की तरह आमंत्रित भी किया जाता है साथ ही इज्जत भी बख्शी जाती है। इस पर समाज के किसी तबके को एतराज तक नहीं होता। यह रवैया और अदब भंसाली की हीरामंडी: द डायमंड बाजार की काल्पनिक दुनिया में ही साकार होता है।
क्या है हीरामंडी की कहानी?
कहानी भारत में आजादी से पहले के दौर में लाहौर की हीरामंडी के बैकग्राउंड पर बेस्ड है। यह तीन तवायफ बहनों को सेंटर में रखकर दिखाई गई है। बहनों के रिश्तों में किसी तरह का अपनापन नहीं झलकता है। सीरीज की शुरुआत में रेहाना (सोनाक्षी सिन्हा) अपनी छोटी बहन मल्लिका (आभा रांटा) के नवजात बेटे को बेच देती है।
रेहाना ऐसा करने के बाद अपनी बहन मल्लिका को भी बेच देने की बात करती है। इससे गुस्साई मल्लिका गला घोंट कर अपनी ही आपा का कत्ल कर देती है। इसमें युवा ‘साहब’ जुल्फिकार के किरदार में अध्ययन सुमन उसका बराबर साथ देता है। इस कत्ल की चश्मदीद गवाह मल्लिका की छोटी बहन वहीदा (संजीदा शेख) और रेहाना की नौ साल की बेटी फरीदन होती है।
इसके बाद मल्लिका, फरीदन को बेच देती है और कोठे की मालिकन बन जाती है, मल्लिका को अपनी बेटियों से अम्मी के बजाय हुजूर कहलवाना बेहद पसंद है। कहानी आगे बढ़ती जाती है। कठोर दिल की मल्लिका हीरामंडी की कद्दावर तवायफ है। इतनी कठोर की वह अपनी बेटियों की भी गलती माफ नहीं करती।
मल्लिका अपनी छोटी बेटी आलमजेब (शरमिन सहगल) को ही अपनी उत्ततराधिकारी बनाना चाहती है। उधर शायरी का शौक रखने वाली आलमजेब तवायफ नहीं बनना चाहती। नवाबों की एक बड़ी महफिल में उसकी मुलाकात ताजदार (ताहा शाह) से होती है। दोनों पहली ही नजर में एक-दूसरे को अपना दिल दे बैठते हैं।
इस बीच युवा फरीदन (सोनाक्षी सिन्हा) अपनी मां की मौत का बदला लेने पहुंच जाती है। वह पहले मल्लिका की बेटी बिब्बोजान (अदिति राव हैदरी) के साहब वली मुहम्मद के किरदार में फरदीन खान को उससे छीनती है। उधर बिब्बो जान आजादी की लड़ाई में भी चोरी छुपे शामिल है।
इस बात से उसकी अम्मीजान अनजान हैं। उधर, फरीदन इस लड़ाई में बड़ी चालाकी से आलमजेब और ताजदार को अपना मोहरा बनाती है। इसमें नथ उतराई से ठीक पहले फरीदन साजिश करके आलम को फरार करवा देती है। हीरामंडी की सत्ता की लड़ाई में मल्लिकाजान (मनीषा कोइराला) और बदले की आग में जल रही फरीदन में कौन किसे शिकस्त देगा यही हीरामंडी में गया है।
भंसाली ओटीटी डेब्यू में ही सफल हो गए
‘गोलियों की रासलीला: रामलीला’ के बाद से भंसाली अपनी पीरियड और कास्ट्यूम ड्रामा में लगातार नए एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। आपने देखा ही होगा कि बाजीराव मस्तानी, पद्मावत, गंगूबाई काठियावाड़ी में भी पीरियड स्टोरी की झलक नजर आती है। अब भंसाली ने बहुप्रतीक्षित ‘हीरामंडी’ के साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कदम रख दिया है।
यहां पर भी हकीकत से कोसों दूर स्वप्निल नवाबों की दुनिया गढ़ने में भंसाली कामयाब रहे हैं। हीरामंडी नवाबों और तवायफों की एक अलग दुनिया दिखाने का प्रयास है। ये वो दुनिया है, जहां तवायफों के किरदार सशक्त हैं। हर तवायफ का एक साहब (शोहर नहीं) होता है। जो केवल उनके साथ ही संबंध रखता है।
हालांकि, स्क्रीनप्ले में कई कमियां नजर आ रही हैं। जैसे कि लाहौर व आजादी का दौर उर्दू का था, जहां बात-बात में शायरी और जुबां पर चाशनी होती थी। वह मीठी जुबांं सीरीज में खटकती है। कहानी कब फ्लैशबैक से वर्तमान में आ जाती है कुछ पता नहीं चलता
यहां पर सभी पात्रों के साथ शिद्दत से न्याय नहीं लगता। जैसे कि लज्जो (रिचा चड्ढा) कहां से आई हैं,इस बारे में कुछ पता नहीं चल रहा है। मल्लिका लगातार वहीदा को जलील करती हैं। जलालत से तिलमिलाई वहीदा बदले की फिराक रहती है, लेकिन कोई बड़ा धमाका करने में कमजोर कड़ी नजर आ रही है।
वहीदा की बेटी का ट्रैक भी अधूरा सा है। अध्ययन सुमन के रोल से जुड़ा सस्पेंस कोई ट्विस्ट कहानी में नहीं लाता दिख रहा है। हीरामंडी का अखबार कहे जाने वाला उस्ताद (इंद्रेश मलिक) फरीदन के लिए कई युवतियां आसानी से कोठे पर ले आता है।
ऐसे कई सीन हैं, जिसमें लगता है कि शानो-शौकत से रहने वाली तवायफों की स्याहभरी जिंदगी में भंसाली पूरी तरह नहीं उतर पाए हैं। एक ताजदार को छोड़कर बाकी सभी नवाबों के किरदार कमजोर नजर आए हैं। विशेष तौर पर फरदीन खान का अभिनय नवाबी में हल्का सा लगता है।
मनीषा और सोनाक्षी ‘हीरामंडी’ के अहम किरदार
बहरहाल, आगे बात करें तो इस पूरी सीरीज का बेशकीमती हीरा मनीषा कोइराला और सोनाक्षी सिन्हा ही नजर आ रही हैं। मनीषा ने मल्लिकाजान के किरदार में खुद को शिद्दत से ढाला है और अपने लहजे पर भी काम किया है। उन्हें अपनी अदाकारी के कई पहलुओं को दिखाने का शानदार मौका मिला है।
सोनाक्षी ग्रे किरदार बेहतरीन नजर आईं हैं। इस तरह के किरदार में वे कमाल लग रही हैं। दोनों के बीच आपसी तकरार के सीन रोचकता पैदा करते हैं। मारक और चुटीले डायलॉग्सस उन्हें जानदार बनाने में कामयाब होते हैं। आलमजेब के किरदार में शरमिन सहगल उस मासूमियत को नहीं छू पाईं हैं जो उनके किरदार की मांग है।
ताहा शाह ने अपने किरदार को शिद्दत से जीया है। अदिति, संजीदा शेख और सहायक भूमिकाओं में अन्य कलाकार भी अपने किरदार में शानदार दिख रहे हैं। लव, पावर, फ्रॉड, स्ट्रगल और आखिर में फ्रीडम की गाथा में गूंथी गई हीरामंडी के म्यूजिक के मामले में संजय अपनी पिछले म्यूजिक की तुलना में हल्के पढ़ गए हैं।
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