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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बुधवार को अपने बयान में कहा कि अब (Credit card Linked to UPI) क्रेडिट कार्ड भी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानि यूपीआई से लिंक किये जा सकेंगे। इससे लोगों को इस पॉपुलर पेमेंट प्लेटफॉर्म का यूज करने में ज्यादा आसानी हो सकेगी। बता दें कि अभी तक यह सुविधा केवल डेबिट कार्ड तक ही सीमित थी। सेविंग या करेंट अकाउंट होल्डर ही अपने डेबिट कार्ड को यूपीआई से लिंक कर पाते थे लेकिन अब यह सुविधा क्रेडिट कार्ड होल्डर्स को भी मिलेगी।
RBI ने कहा: रुपे क्रेडिट कार्ड को सबसे पहले लिंक किया जाएगा
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बाई मंथली पॉलिसी रिव्यू के दौरान कहा कि क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से लिंक करने योजना है और सिस्टम डेवलपमेंट पूरा होने के बाद यह फेसिलिटी शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि आरबीआई द्वारा प्रमोटेड नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा जारी रुपे क्रेडिट कार्ड को सबसे पहले लिंक किया जाएगा। दास ने कहा कि यह सुविधा शुरू होने से यूपीआई प्लेटफॉर्म से पेमेंट करने वाले उपभोक्ताओं को ज्यादा आसानी होगी।
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UPI है सबसे पॉपुलर पेमेंट गेटवे
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने UPI की उपयोगिता की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि UPI प्लेटफार्म पर करीब 26 करोड़ यूजर्स जुड़ चुके हैं। साथ ही करीब 5 करोड़ व्यापारी भी इस प्लेटफॉर्म से जुड़े हुए हैं। देश में यूपीआई यूजर्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दास ने कहा कि मई में यूपीआई के माध्यम से 10.40 लाख करोड़ रूपये के 594.36 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए हैं। दास ने यह भी कहा कि प्रीपेड पेमेंट इंट्रूमेंट को भी यूपीआई के साथ जोड़ा जा रहा है।
वहीं महंगाई से चिंतित भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 0.50% इजाफा किया है। इससे रेपो रेट 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गई है। यानी होम लोन से लेकर ऑटो और पर्सनल लोन सब कुछ महंगा होने वाला है और आपको ज्यादा EMI चुकानी होगी। ब्याज दरों पर फैसले के लिए 6 जून से मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग चल रही थी। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्याज दरों पर लिए फैसलों की जानकारी दी है।
रेपो रेट वो दर होती है जिस पर RBI से बैंकों को कर्ज मिलता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को RBI पैसा रखने पर ब्याज देती है। जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी ज्यादातर समय ब्याज दरों को कम करते हैं।
यानी ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें कम होती हैं, साथ ही EMI भी घटती है। इसी तरह जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहक के लिए कर्ज महंगा हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कॉमर्शियल बैंक को केंद्रीय बैंक से उच्च कीमतों पर पैसा मिलता है, जो उन्हें दरों को बढ़ाने के लिए मजबूर करता है।
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