Kharmas:ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति धनु और मीन राशि का स्वामी है। इनमें राज सूर्य ग्रह के आते ही खरमास दोष उत्पन्न हो जाता है। इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस बार 16 दिसंबर गुरुवार को सुबह सूर्योदय के साथ खरमास शुरू होगा। इसलिए 16 दिसंबर से 14 जनवरी 2022 तक धनु संक्रांति के कारण खरमास दोष रहेगा।
इस (Kharmas) एक महीने में भगवान की पूजा करने का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस महीने में सुबह सूर्योदय से पहले उठकर उगते सूरज को जल चढ़ाएं और भगवान का स्मरण करें। इससे भगवान की कृपा बनी रहती है।
खरमास (Kharmas) में भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा
इस महीने में तीर्थ, स्नान, दान के साथ-साथ घरों और मंदिरों में भगवान की कथा कराने का विधान है। खरमास के दौरान भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। पुराणों में बताया गया है कि खरमास के दौरान गाय और ब्राह्मण भोजन कराने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।
खरमास में सूर्य की पूजा करने की भी परंपरा है। इस मास में जब सूर्य धनु राशि में होता है तो अर्घ्य देकर और सूर्य को नमस्कार करने से रोग दूर होते हैं और आयु भी बढ़ती है। भगवान कृष्ण को भी खरमास में प्रतिष्ठित किया जाता है।
खर मास में मंत्र जप का विधान
धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि खरमास के दौरान भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और सूर्य देव के मंत्रों का जाप करने का भी विधान है। इस महीने भगवान विष्णु के लिए ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। श्री कृष्ण के लिए ओम क्लें कृष्णाय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।
इन दोनों मंत्रों के लिए तुलसी या कमल गट्टे की माला का प्रयोग करना चाहिए। उगते सूर्य को भगवान सूर्य को प्रणाम करते समय ओम घृणि सूर्याय नमः मंत्र का जाप करना चाहिए।
खरमास में दान का महत्व
जब सूर्य धनु राशि में हो तो ऊनी वस्त्र दान करने का विधान है। जब सूर्य धनु राशि में होता है तब हेमंत और शिशिर ऋतु होती है। इस समय गर्म कपड़ों के साथ-साथ अनाज, जूते-चप्पल, गुड़, तिल और बाजरा दान करने की परंपरा है। इस महीने अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान करना चाहिए। गाय, भूमि, सोना, घी, वस्त्र, अनाज, गुड़, चांदी, नमक या शहद का दान करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं।
Disclaimer: खबर में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। थम्सअप भारत किसी भी तरह की मान्यता की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी धार्मिक कर्मकांड को करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।
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