क्‍या है दीपक जलाने का वैज्ञानिक आधार, समझिए Read it later

Deepak ka Mahatva: पीएम मोदी ने देश की जनता से 5 अप्रैल 2020 को अपने घर के बाहर या बालकनी में दीपक, मोमबत्ती या मोबाइल की फ्लेश लाइट जलाने की अपील की थी। ऐतिहासिक नजरिये से देखा जाए तो दीपक का इतिहास करीब 5000 साल पुराना है। वहीं ऋग्वेदकाल से कलयुग तक हिंदू धर्म में दीपक का बहुत महत्व बताया गया है।

 वैदिककाल से है दीपक जलाने की परंपरा, पंच तत्वों का प्रतीक है मिट्टी का दीपक

घी के अंदर एक सुगंध होती है जो जलने वाले स्थान पर काफी देर तक रहती है जिसकी वजह वह स्थान शुद्ध रहता है और इससे कई तरह की बीमारियों से भी बचाव होता है। (Deepak ka Mahatva) इसके अलावा आध्यात्म के अनुसार हमारे शरीर में 7 ऊर्जा चक्र होते हैं, घी का दिया जलाने से यह चक्र जागृत हो जाते है। इससे शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है। वहीं अगर घी में लौंग डाल दिया जाए तो इससे निकलने वाला धुंआ घर के लिए एयर प्यूरीफायर का काम करता है। जो चर्म रोग से निजात दिलाने में मदद करता है।

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मुश्किल समय में मेहनत और हिम्मत का संदेश

वैदिककाल में होने वाले सोमयज्ञ में तमसो मा ज्योतिर्गमय मंत्र पढ़ा जाता था।  जो कि  बृहदारण्यकोपनिषद् का मंत्र है। इस प्रार्थना का अर्थ है कि मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। (Deepak ka Mahatva) इसलिए दीपक की रोशनी को ज्ञान का प्रतीक माना गया है। पुराणों में दीपक को सकारात्मकता का प्रतीक व दरिद्रता को दूर करने वाला भी कहा गया है।
दरअसल ज्योतिषशास्त्र में मंगल को साहस, आत्‍मविश्‍वास और मानसिक दृढ़ता का प्रतीक कहने के साथ ही रक्तपात, युद्ध और विनाश का कारक भी कहा गया है। इसे शनि, राहु और केतु की तरह क्रूर ग्रह की श्रेणी में रखा गया है। ऐसे में 9 नंबर और मंगल का कनेक्शन मंगलकारी कहना पूरी तरह सही नहीं है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इसका प्रभाव नहीं है।

ज्योतिषशास्त्र में मंगल का संबंध चिकित्सा से भी (Deepak ka Mahatva)

मंगल को सभी 9 ग्रहों का सेनापति भी माना गया है जिसके स्वामी कुमार कार्तिकेय हैं। कोरोनाकाल में पूरी दुनिया एक तरह से अघोषित विश्व युद्ध लड़ रहा था,  जिसमें सामने कोरोना दुश्मन था। इस युद्ध में मानवता की जीत के लिए यह जरूरी था कि ग्रहों की अनुकूलता भी प्राप्त हो। इसलिए कोरोना से युद्ध में ग्रहों के सेनापति को मजबूत करना जरूरी था। आपको बता दें ज्योतिषशास्त्र में मंगल का संबंध चिकित्सा से भी है।
जिन लोगों का मंगल प्रबल होता है वह अच्छे शल्य चिकित्सक भी होते हैं। (Deepak ka Mahatva) कोरानाकाल में जिस महायुद्ध में पूरी दुनिया उलझी थी उसमें चिकित्सक भी सैनिक की तरह संघर्ष कर रहे थे। इनके आत्मविश्वास और जोश को बढ़ाने के लिए 9 अंकों का यह संयोग प्रभावी हो सका था।

मंगल को प्रबल किया जाए तो शनि का प्रकोप कम हो सकता है

कोरोनाकाल में ग्रहों के बीच एक अजब संयोग बना हुआ था। शनि अपनी राशि मकर में चल रहे थे। (Deepak ka Mahatva) शनि जब भी अपनी राशि मकर या कुंभ में आते हैं तो दुनिया के लिए विचित्र स्थिति निर्मित होती है, युद्ध और आपदा में लोग जान गंवाते रहे हैं। कोरोना के दिनों में भी शनि के साथ मंगल भी मकर राशि में चल रहे थे। इस राशि में मंगल उच्च के माने जाते हैं। मंगल को प्रबल किया जाए तो शनि का प्रकोप कुछ कम हो सकता है। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि  साल 2020 में पीएम मोदी ने रात 9 बजे सभी लोगों से दीप जलाने का जो आग्रह किया था वह इस दिशा में एक पहल थी।

दीप प्रज्जवलित करने से गुरु का शुभ प्रभाव बढ़ता है

30 मार्च 2020 को गुरु भी मकर राशि में आ गए थे, जहां शनि और मंगल पहले से मौजूद थे। गुरु को देवताओं के गुरु का स्थान प्राप्त है तो शनि और मंगल दोनों ही इनका सम्मान करते हैं। ऐसे में दीप प्रज्जवलित करने से गुरु का शुभ प्रभाव बढ़ता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इससे कोरोना वायरस समाप्त हो सकता है। संभव है कि इससे लोगों के अंदर उन दिनों जो भय व्याप्त था उससे लड़ने का बल प्राप्त हुआ हो। यानी एक सकारात्‍मक सोच उत्‍पन्‍न हुई हो।

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