Malmas 2023: 16 दिसंबर से मलमास शुरू हो जाएगा। इस दौरान एक माह तक विवाह, यज्ञोपवीत, गृह वास्तु आदि कार्य वर्जित रहेंगे। वाराणसी के ज्योतिषाचार्य पंडित श्याम शर्मा के मुताबिक पंचांग की गणना के अनुसार 16 दिसंबर को शाम 4.05 बजे सूर्य वृश्चिक राशि को छोड़कर धनु राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य का धनु राशि में प्रवेश धनुर्मास कहलाता है।
आम भाषा में हम इसे खरमास या मलमास के नाम से जानते हैं। धनुर्मास 16 दिसंबर से 15 जनवरी तक एक महीने तक रहेगा। एक माह में विवाह आदि मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। धनुर्मास के दौरान भागवत भजन, तीर्थयात्रा और विशेष नवग्रह दोष निवारण जप, भागवत श्रवण का विशेष महत्व है। 16 दिसंबर से 16 जनवरी तक विवाह, यज्ञोपवीत, गृहवास्तु आदि वर्जित रहेंगे। मकर संक्रांति से विवाह, यज्ञोपवीत आदि के शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएंगे।
आज 16 दिसंबर से नवग्रहों के राजा सूर्य वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं। (Malmas 2023 festival) सूर्य के इस राशि परिवर्तन को धनु संक्रांति कहा जाता है। धनु राशि बृहस्पति ग्रह के स्वामित्व वाली राशि है। बृहस्पति ग्रह का एक नाम बृहस्पति भी है। वह देवताओं के गुरु हैं। सूर्य के धनु राशि में होने के संबंध में यह माना जाता है कि सूर्य बृहस्पति की सेवा में रहेगा। सूर्य धनु राशि में लगभग एक माह तक रहेंगे, इस समय को खरमास कहा जाता है।
पुरी के ज्योतिषी पं. पुरूषोत्तम शर्मा के अनुसार खरमास में सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं। पुरानी मान्यता के अनुसार, खरमास में कोई भी नई दुकान या नया व्यवसाय शुरू नहीं किया जाता है। यहां तक कि विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश आदि शुभ कार्य भी नहीं किए जाते हैं। इसे मलमास भी कहा जाता है। 15 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा, इसे मकर संक्रांति कहा जाता है, इस दिन के बाद शुभ कार्य फिर से शुरू हो जायेंगे।
शनिवार को तीन बड़े व्रत और त्योहार
आज (शनिवार, 16 दिसंबर) तीन बड़े व्रत और त्योहार हैं, पहला धनु संक्रांति, दूसरा खरमास की शुरुआत और तीसरा विनायकी चतुर्थी। इस दिन शनिवार होने से इन त्योहारों का महत्व और भी बढ़ गया है।
जानिए आज से खरमास में कौन से शुभ कार्य किए जा सकते हैं…
- धनु संक्रांति दान, नदी स्नान और सूर्य पूजा के लिए बहुत खास है। दिन की शुरुआत सूर्य को जल चढ़ाकर करनी चाहिए। आज से जरूरतमंद लोगों को गुड़ का दान करें।
- 16 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर चुका है, इसलिए शनिवार से खरमास शुरू हो गया है, जो मकर संक्रांति (15 जनवरी) तक रहेगा। खरमास में पूजा-पाठ के साथ-साथ दान-पुण्य करने की भी परंपरा है। इस माह में रामायण, विष्णु पुराण, श्रीमद्भागवत कथा, शिव पुराण आदि धर्मग्रंथों का पाठ करें। मंत्र का जाप करें। रोज सुबह जल्दी उठकर कुछ देर ध्यान करें। ऐसा करने से मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर हो जाते हैं।
- चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश प्रकट हुए थे। इसी वजह से साल की सभी 24 चतुर्थी पर भगवान गणेश के लिए व्रत रखा जाता है। भगवान गणेश का एक नाम विनायक भी है। उन्हीं के नाम पर इस चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश के लिए व्रत रखने की परंपरा है। सुबह उठकर भगवान गणेश की पूजा करें और भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें।
- ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को न्यायाधीश माना गया है। यह ग्रह शनिवार का कारक है। प्रत्येक शनिवार को तेल का दान करना चाहिए। शनिदेव का तेल से अभिषेक करें। शनि को नीले फूल, काले वस्त्र और काले तिल चढ़ाने चाहिए।
खरमास क्या करें और क्या नहीं
- खरमास या मलमास को शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए अशुभ माना जाता है। वहीं इस माह में पूजा करने से सूर्य देव, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं खरमास में क्या करें और क्या नहीं।
- खरमास में कोई भी शुभ कार्य जैसे सगाई, विवाह आदि नहीं करना चाहिए। मलमास में किया गया विवाह न तो दांपत्य जीवन में शुभ फल देता है और न ही दंपत्ति को सुख प्रदान करता है।
- चूंकि धनु राशि में सूर्य की उपस्थिति अग्नि तत्व को बढ़ाती है इसलिए खरमास में गृह प्रवेश, मुंडन और छेदन जैसे कार्य नहीं करने चाहिए।
- खरमास में घर का निर्माण कार्य शुरू नहीं करना चाहिए. यदि निर्माण कार्य पहले से चल रहा है तो उसे जारी रखा जा सकता है।
- खरमास में नया घर खरीदना, घर बुक करना, वाहन खरीदना भी अशुभ फल देता है।
- खरमास को पूजा-पाठ के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दौरान ध्यान रखें कि तामसिक भोजन और नशीले पदार्थों से दूर रहें।
- खरमास में भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने या पढ़ने से बहुत शुभ फल मिलता है।
- खरमास में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें। ऐसा करने से कुंडली में बृहस्पति मजबूत होगा और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ेगी। गुरुवार के दिन पूजा के बाद पीली वस्तुओं का दान करें।
- खरमास भर प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य दें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल, अक्षत, लाल फूल और सिन्दूर मिलाएं। इससे कुंडली में सूर्य मजबूत होगा और नौकरी और बिजनेस में तरक्की देगा।
Disclaimer: खबर में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। थम्सअप भारत किसी भी तरह की मान्यता की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी धार्मिक कर्मकांड को करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।
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