Jack Dorsey: जूदा दौर में किसी एक कंपनी को चलाना भी मुश्किल काम है, लेकिन स्क्वायर और ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी दाे कंपनियों को एक साथ चला रहे हैं। ऐसा करने के लिए डॉर्सी एक निश्चित रूटीन को फॉलो करते हैं। उदाहरण के तौर पर वे मीटिंग्स को काफी अनुशासित रखते हैं जिनमें क्लियर एजेंडा और गोल्स पर ही बात होती है। इसके अलावा डॉर्सी हर दिन एक खास थीम पर काम करते हैं जैसे बिजनेस लीडरशिप या प्रॉडक्ट डेवलपमेंट। उदाहरण के तौर पर सोमवार को डॉर्सी एक लीडरशिप मीटिंग रखते हैं जहां उनकी टीम यह चर्चा करती है कि वे पूरे सप्ताह में क्या काम करने वाले हैं और पिछले सप्ताह के अपने काम से उन्होंने क्या सीखा। इसके अलावा बुधवार और शुक्रवार को वे 30 मिनट का समय अपने कर्मचारियों से अपडेट और फीडबैक लेने के लिए निकालते हैं। यह तरीका अपनाने की वजह बताते हुए डॉर्सी कहते हैं, ‘मैं अपने शेड्यूल में दोहराव पसंद करता हूं। इससे पता चलता है कि हम कैसे और कितना ग्रो कर रहे हैं। इस तरह से मैनेज्ड मीटिंग बिजनेस में काफी फायदेमंद होती हैं।
काम विशेष के लिए आप टाइम फिक्स करें
जब जरूरत हो प्रॉडक्टिव आउटपुट की हम में से अधिकतर लोगों के पास यह सुविधा नहीं होती कि हम हर दिन को एक खास थीम के अनुसार बिता सकें लेकिन स्मार्ट टाइम ब्लॉकिंग टेक्निक की मदद से आप सबसे महत्वपूर्ण कामों के लिए समय निकाल सकते हैं। इसका अर्थ है कि काम विशेष के लिए आप टाइम फिक्स करें और उस दौरान बाकी सारे कामों को ब्लॉक करें और सिर्फ तय किया गया काम ही करें। मसलन कोशिश करें कि हर सुबह आप एक घंटा एक्सरसाइज को देंगे या हर दोपहर 30 मिनट ईमेल्स व मैसेजेज का जवाब देने में लगाएंगे। जब आप अपने दिन और समय को थीम्ड टाइम स्लॉट्स में बांट लेंगे तो काम में अपनी पूरी एनर्जी भी लगा पाएंगे।
लिंक्डइन सीईओ जेफ वीनर और वर्जिन ग्रुप के फाउंडर रिचर्ड ब्रैनसन भी अपने शेड्यूल में ऐसा फ्री टाइम रखते हैं
ऐसा करना आपको अपने दिन को व्यवस्थित बनाने और प्रॉडक्टिविटी को बढ़ाने में मदद देगा । इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि अाप अपने शेड्यूल में ऐसा समय भी रखें जब आप कुछ नहीं कर रहे हों। लिंक्डइन सीईओ जेफ वीनर और वर्जिन ग्रुप के फाउंडर रिचर्ड ब्रैनसन भी अपने शेड्यूल में ऐसा फ्री टाइम रखते हैं जब वे कुछ नहीं कर रहे होते।
इन ब्रेक्स ने मुझे व्यवस्थित ढंग से काम करने में काफी मदद दी
वीनर का कहना है कि अपने शेड्यूल में 30 से 90 मिनट का फ्री टाइम रखने से वे खुद को अधिक एफिशिएंट महसूस कर पाते हैं और उस समय में वे सोच पाते हैं कि उनके आस पास क्या चल रहा है। शुरुआत में ये ब्रेक रुकावट की तरह महसूस होते थे क्योंकि ऐसा लगता था कि इस वक्त में कई महत्वपूर्ण मीटिंग्स निपटाई जा सकती थीं। लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया और ऐसे ब्रेक जारी रखें, आगे चलकर मैंने पाया कि इन ब्रेक्स ने मुझे व्यवस्थित ढंग से काम करने में काफी मदद दी थी।
ये भी पढ़ें –
Like and Follow us on :
Google News |Telegram | Facebook | Instagram | Twitter | Pinterest | Linkedin