Startup Idea in Hindi: ये 6 स्टार्टअप्‍स दिलाएंगे सक्‍सेस, समझें फिर बनाएं प्लान Read it later

startup idea in hindi: स्टार्टअप के जरिए एंटरप्रेन्योर नए प्रोडक्ट और नई सर्विस डिलीवर करते हैं। सभी एंटरप्रेन्योर का सपना होता है कि उनकी कंपनी ऊंचाइयों पर पहुंचे और नाम रोशन करे। इंवेस्टोपीडिया की रिपोर्ट कहती है, भारत में ९० फीसदी स्टार्टअप सफल नहीं हो पाते। इसकी वजह होती है, परफेक्ट प्लानिंग न करना। सही मार्केट न चुनना। फंडिंग की कमी और रणनीति में गड़बडिय़ां, प्री-लॉन्च पब्लिसिटी न होना। ऐसी तमाम चीजें स्टार्टअप के फेल होने की वजह बनती हैं। स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं तो पहले इनके बेसिक कॉन्सेप्ट को समझ लेना जरूरी है। सबसे जरूरी बात है कि आखिर ये कितने तरह होते हैं। यह ६ तरह के होते हैं, आइए जानते हैं…

लाइफस्टाइल स्टार्टअप

ये ऐसे स्टार्टअप्स हैं जो सीधे आम इंसान की लाइफ से जुड़े हैं। इन दिनों इंस्टाग्राम के जरिए ये काफी फेमस हो रहे हैं। जैसे-आप म्यूजिक से जुड़े हैं तो लोगों को इंस्ट्रूमेंट सिखा सकते हैं। ट्रैवल ब्लॉगर हैं तो लोगों को जानकारी दे सकते हैं। लोगों के लिए एक तय बजट के अंदर ट्रैवल प्लान बना सकते हैं। इस तरह के लाइफस्टाइल स्टार्टअप्स प्लान कर सकते हैं।

बेसिक कॉन्सेप्ट : कई बातें समझें और फिर काम करें

बायबल स्टार्टअप

ये ऐसे स्टार्टअप हैं, जो बड़ी कंपनियों को आकर्षित करने के लिए बनाए जाते हैं ताकि वो कंपनियां इन्हें खरीद लें। पिछले कुछ साल में यह काफी पॉपुलर हुआ है। जैसे- वेबसाइट और ऐप्स। इन्हें आइटी एक्सपट्र्स तैयार करते हैं और बेच देते हैं।

स्मॉल बिजनेस स्टार्टअप

ये स्टार्टअप काफी सिम्पल होते हैं। ये वो स्टार्टअप हैं जिसे लोग अपने लिए चलाते हैं न कि किसी कंपनी में काम करके। जैसे-हैंडीमैन, पर्सनल ट्रेनर या बुटीक ओनर। इस तरह के स्टार्टअप्स का मकसद बड़ी कंपनी न बनाकर ओनर को पर्याप्त फाइनेंशियल हेल्प उपलब्ध कराना होता है। यही बिजनेस ओनर की इनकम का सोर्स होता है, इसलिए इन्हें स्मॉल बिजनेस स्टार्टअप कहते हैं।

लार्ज कंपनी स्टार्टअप

ये स्टार्टअप ऐसे होते हैं जो शुरू तो छोटी कंपनी से होते हैं, लेकिन बाद में बड़ी कंपनी में तब्दील हो जाते हैं। ये समय-समय पर नए-नए तरह के प्रोडक्ट लॉन्च करते हैं और कंपनी का दायरा बढ़ाते जाते हैं। ये इनोवेशन को भी प्रमुखता देते हैं। जैसे ऐपल ने अपनी शुरुआत कम्प्यूटर बेचने से की थी, लेकिन अब आइपैड, आइफोन, ऐपल कार्ड समेत कितना कुछ बेच रही है।

सोशल स्टार्टअप

इनकी शुरुआत का मकसद समाज में बदलाव लाने के साथ बिजनेस करना होता है। इस तरह के स्टार्टअप का फोकस केवल और केवल बिजनेस करना नहीं होता। ये समाज के साथ पर्यावरण के लिए फायदेमंद साबित होते हैं। जैसे-टॉम्स शूज। ये कंपनी एक जोड़ी जूता बिकने पर एक जोड़ी जूता गरीब को डोनेट करती है।

स्केलेबल स्टार्टअप

इस तरह के स्टार्टअप की शुरुआत ही बड़ी कंपनी के रूप में होती है। जैसे-उबर, फेसबुक और गूगल। ये कुछ नया पेश करते हैं और लक्ष्य दूसरी बड़ी कंपनियों को पीछे छोडऩा होता है, इसलिए इनमें ज्यादा निवेश की जरूरत होती है।

 

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