अपने वक्त के पॉपुलर अभिनेता भारत भूषण (Bharat Bhushan biography) ने अपने करियर में कालिदास, तानसेन, कबीर, बैजू बावरा और मिर्जा गालिब जैसे एक से बढ़कर एक किरदार फिल्मों में निभाए। हालांकि जीवन के अंतिम समय में उनकी हालत काफी खराब हो गई थी और 27 जनवरी 1992 को बेहद गरीबी से जूझते हुए उनका निधन हो गया।
14 जून 1920 को मेरठ में जन्मे भारत भूषण (Bharat Bhushan biography) के पिता राय बहादुर मोतीलाल एक वकील थे। भारत भूषण के पिता चाहते थे कि उनका बेटा उनकी तरह वकील बने। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि भारत भूषण अभिनेता बनना चाहते थे।
भारत भूषण पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंबई आ गए
भारत भूषण ने अलीगढ़ से स्नातक की पढ़ाई की और उसके बाद मुंबई चले गए। मुंबई आते ही उनका संघर्ष शुरू हो गया। भारत भूषण जब मुंबई आए तो उनके पास मशहूर निर्देशक महबूब खान के लिए सिफारिश का एक पत्र था। महबूब खान उन दिनों ‘अलीबाबा चालीस चोर’ की शूटिंग में व्यस्त थे। भारत भूषण ने उन्हें वह पत्र दिखाया लेकिन तब तक उनके लिए कोई भूमिका नहीं बची थी। वह बहुत निराश हुए लेकिन किसी ने उनसे कहा कि निर्देशक रामेश्वर शर्मा फिल्म ‘भक्त कबीर’ बना रहे हैं। इसके बाद रामेश्वर ने उन्हें फिल्म में काशी नरेश का रोल और 60 रुपये महीने की नौकरी दी। उनकी पहली फिल्म 1942 में रिलीज हुई ‘भक्त कबीर’ थी।
पहली फिल्म के बाद खुली किस्मत भारत भूषण के लिए ज्यादा वक्त साथ नहीं दे पाई
फिल्म ‘भक्त कबीर’ के बाद भारत भूषण की किस्मत (Bharat Bhushan biography) खुल गई। इसके बाद उन्होंने भाईचारा, सावन, जन्माष्टमी, बैजू बावरा, रानी रूपमति मिर्जा गालिब जैसी कई फिल्में कीं। ये वो दौर था जब किस्मत भारत भूषण पर मेहरबान थी।
देखते ही देखते उन्होंने मुंबई में न सिर्फ कई बंगले खरीदे बल्कि महंगी कारें भी खरीदीं। (Bharat Bhushan biography) इसी बीच भारत भूषण के बड़े भाई रमेश ने उन्हें प्रोड्यूसर बनने की सलाह दी। इस पर भारत ने बड़े भाई की बात मानी और कई फिल्में बनाईं। इनमें से दो फिल्में ‘बसंत बहार’ और ‘बरसात की रात’ सुपरहिट रहीं और भारत भूषण ने सफलता की बुलंदियां छू ली। उनके पास अच्छा खास पैसा आ गया। लेकिन भाई के मन में लालच आ गया।
भाई के उकसाने पर कर्ज में डूबते चले गए भारत भूषण (Bharat Bhushan biography)
इसके बाद भारत भूषण के भाई रमेश ने उन्हें और फिल्में बनाने के लिए उकसाया और कहा कि मेरे बेटे को फिल्म में हीरो बना दो। भारत भूषण ने अपने भाई की बात मानी और वही किया जो उसने कहा। लेकिन अफसोस कि बाद में उनकी सभी फिल्में एक के बाद एक फ्लॉप होत चली गईं। ऐसे में भारत भूषण कर्ज में डूबते गए और पाई पाई के लिए मोहताज हो गए।
कभी सपुर लग्जरी कारों में घूमते थे, कर्ज बाद लगते थे बस की लाइनों में
भारत भूषण (Bharat Bhushan biography) ने जो कुछ कमाया वह सब खो दिया। उनके बंगले बिक गए, कारें बिक गईं, फिर भी वह कहते रहे कि मुझे कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन एक दिन जब उन्हें अपनी लाइब्रेरी किताबें रद्दी के भाव बेचनी पड़ी तो उनका दर्द छलक पड़ा। अपने जीवन के अंतिम दिनों में भारत भूषण बहुत परेशान हो गए थे। प्रतिष्ठा, धन और यश सब नष्ट हो गया था। महंगी गाडिय़ों में घूमने वाला टॉप मोस्ट हीरो अब बस की लाइनों में खड़ा नजर आने लगा था।
अंतिम समय में न कोई इलाज करने वाला था और न ही कोई अर्थी को कंधा देने वाला
भारत भूषण कहते थे, मुझे सबसे ज्यादा दुख तब हुआ जब एक निर्माता ने मुझसे कहा कि मेरी फिल्म में एक जूनियर आर्टिस्ट का रोल है तुम करना चाहते हो तो बोलो…। मजबूरी में मैंने वो रोल सिर्फ एक वक्त की रोटी के लिए किया। भारत भूषण अंतिम दिनों में बहुत बीमार हो गए थे। लेकिन अफसोस न कोई इलाज कराने वाला था और न ही उनकी देखभाल करने वाला। फिल्म इंडस्ट्री में एक बार फिर यह साबित हो गया है कि यहां सिर्फ उगते सूरज को ही सलाम किया जाता है।
भारत भूषण (Bharat Bhushan biography) ने अपने अंतिम क्षण में कहा था- ”मृत्यु तो सबको आती है, लेकिन जीना सभी को नहीं आता।” और मुझे तो बिल्कुल नहीं आया। आखिरकार 10 अक्टूबर 1992 को 72 साल की उम्र में भारत भूषण गरीबी से जूझते हुए दुनिया काे अलविदा कह गए।
Bharat Bhushan biography | Bharat Bhushan | Bollywood actor Bharat Bhushan | Bharat Bhushan struggle |
Google News |Telegram | Facebook | Instagram | Twitter | Pinterest | Linkedin | Bloglovin