Ae Malik Tere Bande Hum: “ऐ मलिक तेरे बंदे हम , ऐसे हो हमारे करम, नेकी पर चलें, और बदी से टलें, ताकि हंसते हुए निकले दम” आज देश भर के हजारों स्कूलों में एक प्रार्थना बन गई है तो वहीं देश की कई जेलों में कैदी जीवन की सही राह और सकारात्मकता के लिए इसे गाते हैं ।
ऐसा ही एक गाना है… आ लाैैट के आज मेरे मिलें, तुझे मेरे गीत है, मेरा सुना पड़ा रे संगीत तुझे मेरे गीत हैं। हिंदी फिल्म जगत को ऐसे दर्जनों गाने देने वाले भरत व्यास का आज ही के दिन 4 जुलाई 1982 को निधन हुआ था।
शांताराम ने कहा यह प्रार्थना अमर हो जाएगी…
दो आंखें बारह हाथ फिल्म बना रहे वी. शांताराम ने भरत व्यास से एक प्रार्थना लिखने को कहा शांताराम ने कहा कि यह प्रार्थना ऐसी हो कि हर धर्म का आदमी गा सके। भरत व्यास ने घर जाकर रात भर प्रार्थना लिखी और अगले दिन वी. शांताराम को दी। इस प्रार्थना की पहली पंक्ति को पढ़कर वी. शांताराम ने कहा कि यह प्रार्थना अमर होगी और हमेशा लोग इसे पसंद करेंगे। ये प्रार्थना थी “ऐ मलिक तेरे बंदे हम…। (Ae Malik Tere Bande Hum) ” यह प्रार्थना आज हजारों स्कूलों व देश की कई जेलों में बंद कैदी भी इसे सही राह के लिए गाते हैं।
उन्हें बीकानेर की बहुत याद आती थी…
हिंदी फिल्म जगत के इस सितारे ने पृथ्वीराज कपूर, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, वी. शांताराम, मुकेश, मोहम्मद रफी जैसी हस्तियों के साथ काम किया। भरत व्यास की भतीजी यामिनी जोशी बताती हैं कि जीवन के अंतिम दिन बहुत बीमार रहे थे। तब भी उन्हें बीकानेर की बहुत याद आती थी। यह दुख की बात है कि बीकानेर ने कभी भरत व्यास को याद नहीं किया। वह जब भी बीकानेर आते तो शहर रिश्तेदारों से मिलते थे। यामिनी बताती हैं कि बीकानेर ही नहीं पूरे राजस्थान का नाम रोशन करने वाले भरत व्यास को सरकार ने याद तक नहीं किया। कई बड़े कलाकारों के नाम पर पुरस्कार दिए जाते हैं, लेकिन भारत व्यास के नाम पर कभी कोई पुरस्कार शुरू नहीं किया गया। इस बात का भी ख्याल नहीं रखा गया कि आज उनका परिवार कहां और किस हालात में हैं। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
इस गीत Ae Malik Tere Bande Hum को सुने इस video में सुने
बीकानेर के झंवर के चौक में हुआ था जन्म
भरत व्यास का जन्म बीकानेर के झंवर के चौक में हुआ था। साले की होली के पास स्थित इस चौक में ही उनका ननिहाल हुआ करता था। वहीं उनका जन्म हुआ और अपने ननिहाल में ही उन्होंने काफी वक्त गुजारा। बचपन में अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद, वह अपने चाचा जनार्दन व्यास के साथ रहे। उन्होंने बीकानेर के डूंगर कॉलेज में पढ़ाई की। वे एक बेहतरीन फुटबॉल के खिलाड़ी भी थे।
बीकानेर में भाई के रेस्टोरेंट में काम किया
भरत व्यास का परिवार तब आर्थिक रूप से मजबूत नहीं था। उनके भाई जनार्दन व्यास ने यहां रतन बिहारी पार्क के पास एक रेस्टोरेंट खोला था। भरत व्यास इसी रेस्टोरेंट में काम करते थे। लंबे समय तक काम करने के बाद भरत व्यास परेशान हो गए। फिर वह एक किताब में गाने लिखा करते थे। उनका एक फैन उन्हें बीकानेर से मुंबई ले गया। वहां उनके गानों को फिल्मी हस्तियों ने खूब पसंद किया और यहीं से उनके फिल्मी गीतकार बनने का सफर शुरू हुआ।
आ लौट के आजा मेरे गीत उस वक्त के सुपरस्टार अभिनेता भारत भूषण पर फिल्माया गया था इस गीत को Video में सुने
बेटे के वियाेग में लिखा था गीत‚ लोगों ने सुपरहिट बना दिया
भरत व्यास के पुत्रों ने जब उनसे नाराज होकर घर छोड़ा तो भरत व्यास ने दो गीत लिखे। दिल से लिखे ये दोनों गाने आज भी फिल्मी दुनिया में अमर हैं। पहला गाना था “आ लौट के आज मेरे मीत, तुझे मेरे गीत बुलाते हैं, मेरा सुना पड़ा रे संगीत, तुझे मेरे गीत बुलाते हैं।” दूसरे गाने में लिखा था, “ज़रा सामने तो आओ छलिये छुप-छुप छलने में क्या राज है, यूं छुप ना सकेगा परमात्मा, मेरी आत्मा की ये आवाज है…”। बाद में उनके बेटे तो घर आ ही गए, लेकिन गाने फिल्मी दुनिया के रत्न बन गए।
lyricist bharat vyas | bharat vyas | v shantaram |
ये भी पढ़ें –
The Kerala Story Update: कन्वर्जन की शिकार 26 लड़कियाें ने सुनाई आपबीती
Like and Follow us on :
Google News |Telegram | Facebook | Instagram | Twitter | Pinterest | Linkedin