FTII: डिफरेंट जोनर के फेमस एक्टर आर माधवन को भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII), पुणे के नए अध्यक्ष होंगे। इसके अलावा, वे FTII की गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में भी आपनी सेवाएं देंगे। ।
बता दें कि माधवन का नामांकन उनकी फिल्म ‘रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट’ की हालिया सक्सेस के बाद हुआ है, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। इस फिल्म ने 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के दौरान प्रतिष्ठित सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार जीता है।
हर तरह से सराही गई फिल्म, ‘रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट’, पूर्व इसरो वैज्ञानिक एस नांबी नारायणन के जीवन और भारत की अंतरिक्ष एजेंसी में उनके उल्लेखनीय योगदान के बारे में बताती है। फिल्म में नांबी नारायणन के किरदार को माधवन ने बेहतरीन तरीके से निभाया है। इसमें राष्ट्रीय पुरस्कार के साथ इसकी मान्यता भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों को प्रदर्शित करने में इसकी शानदार कहानी और रेलेवेंसी को जस्टीफाइ करती है।
Thank you so very much for the honor and kind wishes @ianuragthakur Ji. I will do my very best to live up to all the expectations. 🙏🙏 https://t.co/OHCKDS9cqt
— Ranganathan Madhavan (@ActorMadhavan) September 1, 2023
चंद्रयान 3 की सफलता और रॉकेट्री को नेशनल अवॉर्ड संयोग
संयोग ही है कि इसरो की एक ऐतिहासिक उपलब्धि के ठीक एक दिन बाद 24 अगस्त को ‘रॉकेट्री’ को नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया। 23 अगस्त को इसरो ने चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को सफलता से उतारा था। ये दोनों सक्सेस सिनेमाई कहानी कहने और स्पेस एनालिसिस दोनों में भारत की ताकत को दिखाती हैं।
FTII दिए कई बेहतरीन कलाकार
एफटीआईआई ने भारतीय फिल्म और टेलीविजन उद्योग को निखारने में अहम भूमिका निभाई है। यह संस्थान कई प्रतिभाशाली फिल्म निर्माताओं, अभिनेताओं और तकनीशियनों के कॅरियर को ऊंचाई देने और उन कलाकारों के निर्माण में सहायक रहा है जिन्होंने ग्लोबल सिनेमाई दुनिया में अपना परचम लहराया है।
संस्थान के पास उन पूर्व छात्रों की एक लंबी फेहरिस्त है जिन्होंने सिनेमा में अहम योगदान दिया है। इसमें राजकुमार हिरानी, मणि कौल और श्याम बेनेगल जैसे प्रसिद्ध फिल्म निर्माताओं के साथ-साथ नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी, ओम पुरी और जैसे बेहतरीन कलाकार लंबी फेहरिस्त है।
एफटीआईआई की स्थापना साल 1960 में हुई थी और इसे पहले ‘फिल्म इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता था। यह भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का एक विभाग था।
1971 में, एफटीआईआई को ‘फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ के रूप में जाना जाने लगा और जल्द ही इसने भारत के पब्लिक ब्रॉडकास्ट दूरदर्शन के लिए सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए। टेलीविज़न प्रशिक्षण विंग, जो पहले नई दिल्ली में कार्यरत थी, 1974 में पुणे में स्थानांतरित हो गई। इसके बाद, संस्थान सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा पूरी तरह से सहायता प्राप्त हो गया।
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