Light Speed: हमारा चंद्रयान 3 यानी भारत का मून मिशन इतहास के सुनेहरे अक्षरों में दर्ज हो चुका है, दुनियाभर में हमारे मून मिशन की चर्चा है, विश्व विकसित देशो के वैज्ञानिक हमारे मिशन की सराहना कर रहे हैं तो वहीं दुनियाभर में रहस्यमय अंतरिक्ष को लेकर कई तरह की उत्सुकताएं उठ रही हैं। ऐसे में हमने ब्रह्माण के रहस्य, पृथ्वी से किसी भी ग्रह की दूरी या समय का चक्र (spacetime) यानी एक प्रकाश वर्ष की दूरी कम से कम समय में तय करने के लिए कितनी गति की जरूरत हो सकती है? ऐसे ही सवालों के जवाब खोजने की कोशिश की तो हमें कुछ रोचक तथ्य मिले।
ब्रह्मांड बहुत बड़ा है। यह इतना बड़ा है कि हम मनुष्य अभी तक उसके किनारे तक नहीं पहुंच पाए हैं। खगोलविदों का मानना है कि ब्रह्मांड की उम्र लगभग 13.8 अरब वर्ष है। इस अवधि में, प्रकाश (Light Speed) लगभग 13.8 अरब प्रकाश वर्ष की दूरी तय कर सकता है।
प्रकाश वर्ष आखिर क्या है? (light year definition in hindi)
प्रकाश वर्ष एक खगोलीय माप है जिसका इस्तेमाल अंतरिक्ष में तारों और ग्रहों के बीच की दूरी को मापने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, पृथ्वी का सबसे निकटतम तारा, प्रॉक्सिमा सेंटॉरी, हमसे यानी पृथ्वी से 4.25 प्रकाश वर्ष दूर है। प्रकाश वर्ष कोई समय सूचक नहीं है, जैसा कि इसके नाम से पता चलता है। (light year is unit of in hindi) दरअसल प्रकाश वर्ष दूरी की एक इकाई है। एक प्रकाश वर्ष उस दूरी के बराबर होता है जो प्रकाश एक वर्ष में तय करता है।
प्रकाश वर्ष का महत्ता (Importance of Light year in hindi)
अब चूंकि अंतरिक्ष में हर चीज़ इतनी दूर है कि उसे किलोमीटर या मील का मापा जाना संभव नहीं है। उदाहरण के तौर पर पृथ्वी का निकटतम तारा, प्रॉक्सिमा सेंटॉरी, हमसे 24,000,000,000,000 मील दूर है। ऐसे में किमी. में ये संख्या इतनी बड़ी हो जाती है कि इस संख्या पर काम करना मुश्किल हो जाता है। इस बड़ी संख्या को केवल 4.25 प्रकाश वर्ष (Light Speed) के रूप में लिखा जा सकता है, जिसका उपयोग करना खगोलीय विशेषज्ञों के लिए आसान हो जाता है।
इस माप के लिए प्रकाश को मानक माना गया, क्योंकि प्रकाश की गति हर माध्यम में समान होती है – 3,00,000 किलोमीटर प्रति सेकंड। तदनुसार, एक प्रकाश वर्ष में 3,00,000 * 365 दिन * 24 घंटे * 60 मिनट * 60 सेकंड = 9460.8 अरब किलोमीटर होते हैं।
हम हर दिन मिलियन वर्ष पुराना तक भूतकाल को देखते हैं
प्रकाश को एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने में कुछ समय तो लगता ही है, लेकिन प्रकश की रफ्तार (Light Speed) इतनी तेज होती है कि, जब तक हम इसक अंदाजा लगाएंं तक प्रकाश अपनी रफ्तार पूरी कर चुका होता है। यह वही सिद्धांत है जिस पर प्रकाश वर्ष की डेफिनेशन डिपेंड करती है, लेकिन प्रकाश की गति इतनी तेज़ होती है कि स्विच ऑन करते ही लाइट जल उठती है और हमें लगता है कि प्रकाश टेम्प्रेरी है।
प्रकाश के इसी गुण के कारण हम एक रोमांचक घटना जैसे अतीत को भी देख पाते हैं, आप सोच रहे होंगे कि ये कैसे संभव है, लेकिन आप और हम हर दिन मिलियन पुराना अतीत देखते हैं और ये कोई नई बात नहीं है ऐसा ब्रह्माण के अस्तित्व के समय से हो रहा है। हम इसे रोज अनुभव करते हैं, बस इसे ठीक से पहचान नहीं पाते हैं।
इसे ऐसे समझें कि सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने में लगभग 8 मिनट का समय लगता है। मतलब यह है कि जो सूरज हम देखते हैं वह 8 मिनट पुराना है और वो हमें लेटेस्ट नहीं नजर आता है। यानी जो सूरज हम देख रहे होते हैं वो वैसा 8 मिनट पुराना होता है।
दूसरा उदाहरण आपको हैरान कर देगा, दरअसल “एंड्रोमेडा गैलेक्सी” पृथ्वी से 2 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है। इसका मतलब सीधा-सीधा यह है कि जिस आकाशगंगा को हम देख रहे हैं वह 2 मिलियन वर्ष पहले ऐसे दिखती थी, क्योंकि वहां से प्रकाश को हम तक पहुंचने में 2 मिलियन साल लग गए होते हैं। तो क्यों! है ना हैरान करने वाली घटना।
100 किमी की रफ्तार में एक प्रकाश वर्ष तय करने में कितना वक्त लगेगा?
एक प्रकाश वर्ष (Light Speed) लगभग 9.46 ट्रिलियन किलोमीटर के बराबर होता है। यह एक बहुत बड़ी दूरी है। यदि कोई वाहन 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी लगातार चलाया जाए तो उसे एक प्रकाश वर्ष तय करने में लगभग 100,000,000,000 घंटे या 31,688,888 वर्ष लगेंगे।
यदि एक प्रकाश वर्ष (Light Speed) की दूरी को एक दिन में तय करना हो तो वाहन की रफ्तार कितनी रखनी होगी ?
अगर हमें एक प्रकाश वर्ष की दूरी को एक दिन में तय करना हो, तो हमें समानांतर गति के फॉर्मूले का यूज करना होगा, जो है:
d=v×t
जहाँ d = distance, v = velocity, t = time
हमें v की वेल्यू पता करनी है, इसलिए हम फॉर्मूले को v के लिए हल करके देखेंगे:
v=td
हमें d की वेल्यू पता है, 9.46 × 10$^{12}$ km, और t की वेल्यू 1 day (24 hours) है, इसलिए हम सूत्र में सब्स्टिट्यूट करते हैं:
v=249.46×1012
v=3.94×1011 km/h
इसका मतलब है कि किसी वाहन को 3.94 × 10$^{11}$ km/h यानी 3.94 लाख करोड़ किमी प्रति घंटे की औसत गति average speed से लगातार चलते रहना होगा, तभी वो वाहन एक दिन में एक प्रकाश वर्ष की दूरी तय कर पाएगा।
सवाल: क्या एक दिन में एक प्रकाश वर्ष की दूरी (Light Speed) हम भविष्य में कभी तय कर पाएंगे, यदि हां तो इसके लिए हमें क्या करना होगा ? (We will be able to cover a distance of one light year sometime in the future?)
प्रकाश की गति (Light Speed) से तेज यात्रा करने का विचार कई वैज्ञानिकों, लेखकों और कल्पनाशील लोगों को इंस्पायर करता रहा है। हालांकि, अब तक के थ्योरी के अनुसार, प्रकाश की गति से तेज यात्रा करना संभव नहीं है, क्योंकि इससे समय-रेखा, कारण-परिणाम, मास- एनर्जी सम्बन्धी समस्याएं पैदा होगी।
एल्बर्ट आइंस्टीन के विशेष सापेक्षता के सिद्धांत (theory of relativity) के अनुसार, प्रकाश की गति © से तेज कुछ भी नहीं हो सकता है, क्योंकि प्रकाश की गति हर स्थिर सन्दर्भ में समान होती है। 456 प्रकाश की गति से तेज में मूल मास (rest mass) पूरी तरह से 0 होना चाहिए, लेकिन प्रकाश (photon) के अलावा, हमें कोई ऐसा कण (particle) मालूम नहीं है, जिसका मूल मास 0 हो।
हमें प्रकाश की गति से तेज होने की स्थिति की संभावना होने वाले कुछ प्रक्रियाओं (processes) के बारे में पता है, लेकिन वे सूचना (information) को प्रकाश की गति से तेज में पहुंचा (propagate) नहीं सकते हैं।
हम लाइट स्पीड से तेज ऐसे हो सकते हैं, क्या है सुपरल्यूमिनल ऑब्जर्वर? (We can be faster than the speed of light, what is a superluminal observer?)
कोई भी वस्तु जो प्रकाश की औसत गति (Light Speed) से अधिक स्थिर गति से चलती है उसे सुपरल्यूमिनल ऑब्जर्वर कहा जाता है। सुपरल्यूमिनल ऑब्जर्वर का मतलब है कि वह प्रकाश की गति से भी तेज चल सकता है। कुछ वैज्ञानिकों ने एक नया सिद्धांत बनाया है, जिसे विस्तारित विशेष सापेक्षता (extended special relativity) कहा जाता है। इस सिद्धांत के अनुसार, हर स्थिर वस्तु में प्रकाश की गति समान होगी, यहां तक कि सुपरल्यूमिनल ऑब्जर्वर के लिए भी। इस सिद्धांत में सुपरल्यूमिनल ऑब्जर्वर को एक बुलबुले की तरह माना जाता है, जो अंतरिक्ष में फैलता है और विभिन्न समय रेखाओं का अनुभव करता है।
एक्सटेंडेड स्पेशल रिलेटिविटी एक बहुत ही काल्पनिक और नया सिद्धांत है, जो क्वांटम मैकेनिक्स (quantum mechanics) और आइंस्टीन की स्पेशल रिलेटिविटी (special relativity) को जोड़ने का प्रयास करता है। हालाकि, इस सिद्धांत को अभी तक पूरी तरह से समझा और परखा नहीं जा सका है। इस सिद्धांत के अनुसार, सुपरल्यूमिनल ऑब्जर्वर के लिए समय और स्थान का अनुपात अलग-अलग होगा, और वह प्रकाश को देखने में कैपेबल होगा, भले ही वह प्रकाश की गति से भी तेज यात्रा करे।
क्या हैं प्रकाश की गति से तेज होने के तरीके (What are the ways to go faster than the speed of light)
इसके अलावा, कुछ अन्य सिद्धांतों ने प्रकाश की गति (Light Speed) से भी तेज यात्रा करने के कुछ तरीकों के प्रपोजल रखे हैं, जैसे अलक्यूबिएरे ड्राइव (Alcubierre Drive) , क्रास्निकोव ट्यूब (Krasnikov tube) , ट्रैवर्सेबल वर्महोल (traversable wormhole) और क्वांटम टनलिंग (quantum tunneling)। इन सिद्धांतों में, अंतरिक्ष-समय को इस तरह से हेरफेर किया जाता है कि प्रकाश किसी वस्तु से टकराता है। हालाकि, सिद्धांत में कुछ चैलेंजेस और अनिश्चितताएं हैं, जैसे नकारात्मक ऊर्जा घनत्व (negative energy density), कार्य-कारण (causation) उल्लंघन (infraction), क्वांटम अस्थिरता (quantum instability) आदि।
तो सार के रूप में हम कह सकते हैं कि प्रकाश की गति (Light Speed) से आगे यात्रा करने का कोई निश्चित तरीका अभी तक नहीं खोजा जा सका है। यह एक अत्यंत मुश्किल होने के साथ जटिल समस्या है, जो हमारे वर्तमान समाज एवं ज्ञान से परे है और यदि यह स्थिति किसी वैज्ञानिक को मिल जाए तो यह नोबेल पुरस्कार के योग्य उपलब्धि होगी। काश हम कल्पना कर सकें कि यदि हम प्रकाश के पथ से आगे बढ़ सकें तो हमारी दुनिया कैसी दिखेगी।
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