Sharda Sinha: लोकप्रिय लोक गायिका और बिहार की शान शारदा सिन्हा (Lok singer Sharda Sinha) ने मंगलवार को दिल्ली AIIMS में अपनी अंतिम सांस ली। 72 वर्षीय शारदा सिन्हा बीते 11 दिनों से अस्पताल में भर्ती थीं। उनके निधन से लोक संगीत (folk music) और छठ गीतों में एक अपूरणीय क्षति हुई है। (Indian folk music legend) सिन्हा ने हिंदी फिल्मों में कम गाने गाए, लेकिन उनके गाए गीत आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं।
शारदा सिन्हा का 26 अक्टूबर को तबीयत बिगड़ने पर दिल्ली AIIMS में भर्ती कराया गया था। 12 दिनों तक चले इलाज के दौरान उनकी हालत में कभी सुधार तो कभी गिरावट देखी गई। 3 नवंबर को तबीयत में सुधार होने पर उन्हें ICU से प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया था। लेकिन 4 नवंबर की शाम उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शारदा सिन्हा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “शारदा सिन्हा द्वारा गाए गए मैथिली और Bhojpuri folk songs पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं। विशेष रूप से उनके Chhath Puja songs की गूंज सदैव बनी रहेगी।”
परिवार से प्रधानमंत्री की संवेदना
मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा से फोन पर बात की और गायिका के स्वास्थ्य की जानकारी ली। इस बीच, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और चिराग पासवान भी परिवार से मिलने दिल्ली AIIMS पहुंचे।
खाने-पीने में हो रही थी दिक्कत
शारदा सिन्हा को 26 अक्टूबर से ही Delhi AIIMS में भर्ती किया गया था। उन्हें खाने-पीने में भी तकलीफ हो रही थी। 12 दिनों के लंबे इलाज के बाद 4 नवंबर को उनकी हालत बिगड़ने लगी और आखिरकार वे जिंदगी की जंग हार गईं।
संगीत जगत में शोक की लहर
लोक गायिका Sharda Sinha’s death की खबर सुनते ही संगीत जगत और फैंस के बीच शोक की लहर दौड़ गई। उनके निधन से बिहार और भोजपुरी संस्कृति को बड़ा झटका लगा है।
केंद्रीय मंत्रियों का दौरा
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी सिन्हा के परिवार से मिलकर संवेदना व्यक्त की। इसके अलावा, Chirag Paswan भी सोमवार को AIIMS पहुंचे और परिवार का हौसला बढ़ाया।
बॉलीवुड में ‘कहे तोसे सजना’ से मिली पहचान
शारदा सिन्हा ने (Sharda Sinha popular songs) सलमान खान और भाग्य श्री की सुपरहिट फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में मशहूर गाना ‘कहे तोसे सजना तोहरी सजनिया’ (Kahe Tose Sajna song) गाया था। यह गाना आज भी श्रोताओं की जुबान पर है। इसे गाने के लिए शारदा को केवल 76 रुपए की फीस मिली थी। हालांकि, इस गाने ने उन्हें बॉलीवुड में खास पहचान दिलाई।
राजश्री प्रोडक्शन से अचानक मिला ऑफर
दो साल पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने Bollywood debut का दिलचस्प किस्सा साझा किया था। 1988 में, जब वे एक भोजपुरी फिल्म ‘माई’ के गाने की रिकॉर्डिंग के लिए मुंबई गईं, तो उन्हें Rajshri Productions से एक प्रस्ताव मिला। उन्होंने बताया कि उस समय उनके गाए हुए लोकगीत पहले से ही प्रसिद्ध थे और 1983 में उन्होंने Mathili Kokil Vidyapati को श्रद्धांजलि स्वरूप एक क्लासिकल गीत भी रिकॉर्ड किया था, जिसे तारा चंद्र बड़जात्या ने बहुत पसंद किया था।
‘मैंने प्यार किया’ का ऑफर कैसे मिला?
शारदा सिन्हा ने बताया, “जब तारा चंद्र बड़जात्या जी को पता चला कि मैं मुंबई में हूं, तो उन्होंने मुझे अपने ऑफिस में बुलाया। वहां उन्होंने मेरी गायिकी की सराहना की और मुझे फिल्म ‘Maine Pyar Kiya’ के फेमस गाने ‘कहे तोसे सजना ये तोहरी सजनिया’ को गाने का ऑफर दिया।”
लता जी के साथ काम करने का अनुभव
शारदा सिन्हा के लिए यह गर्व की बात थी कि उन्होंने उसी फिल्म में गाना गाया जिसमें Lata Mangeshkar ने भी गाया था। उन्होंने कहा, “यह मेरे लिए सौभाग्य की बात थी कि ‘मैंने प्यार किया’ के अधिकतर गाने लता जी ने गाए थे, और उनमें मेरा एक गाना भी शामिल था।”
‘बाबुल जो तुमने सिखाया’ और अन्य लोकप्रिय गाने
‘कहे तोसे सजना’ के बाद शारदा सिन्हा ने ‘Hum Aapke Hain Koun’ का प्रसिद्ध विदाई गीत ‘बाबुल जो तुमने सिखाया’ भी गाया, जो हर शादी में विदाई गीत के रूप में गूंजता है। इसके अलावा, उनका गाना ‘Taar Bijli Se Patle Hamare Piya’ भी काफी हिट रहा। उन्होंने कहा, “बॉलीवुड से मेरा रिश्ता ऐसा है कि जब भी किसी गाने में मेरी आवाज की जरूरत होती है, वहां से मुझे बुलावा आ जाता है।”
कई भाषाओं में गाया गीत
शारदा सिन्हा ने न केवल Bhojpuri, बल्कि Maithili और Magahi में भी कई गाने गाए। हाल ही में उन्होंने वेब सीरीज ‘Maharani-2’ के लिए भी गाना गाया, जो दर्शकों को काफी पसंद आया।
सुने फिल्म मैंने प्यार किया में गाया शारदा सिन्हा का गाना
‘हम आपके हैं कौन’ का ‘बाबुल जो तूने सिखाया’ (Sharda Sinha achievements)
शारदा सिन्हा ने 90 के दशक में अपनी मधुर आवाज से सलमान खान की एक और ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ में ‘बाबुल जो तूने सिखाया’ गाना गाया। यह गीत उस समय की शादियों और विदाई के अवसरों पर अत्यंत लोकप्रिय हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 72 करोड़ रुपए से अधिक का कलेक्शन करने में सफल रही थी, जो उस समय की बड़ी उपलब्धि थी।
‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में भी दी आवाज (Gangs of Wasseypur soundtrack)
बॉलीवुड से लंबे समय तक दूर रहने के बाद, शारदा सिन्हा ने 2012 में आई फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में ‘तार बिजली से पतले हमारे पिया’ गाना गाकर अपनी शानदार वापसी की। उनकी इस प्रस्तुति को भी दर्शकों ने खूब सराहा और यह गाना जल्द ही लोकप्रिय हो गया।
वेब सीरीज ‘महारानी’ में गूंजा ‘निरमोहिया’
शारदा सिन्हा की आवाज ने केवल फिल्मों में ही नहीं, बल्कि वेब सीरीज में भी अपनी छाप छोड़ी। वेब सीरीज ‘महारानी’ में उनका गाया हुआ ‘निरमोहिया’ गाना भी दर्शकों को काफी पसंद आया। यह गाना उनके फैंस के बीच एक और हिट साबित हुआ।
छठ पर्व की असली पहचान थीं शारदा
शारदा सिन्हा को मुख्य रूप से छठ पर्व (Chhath Puja songs) के गीतों से पहचान मिली। उनकी मधुर आवाज में गाए गए छठ के गानों ने उन्हें हर घर में खास जगह दिलाई। वे बिहार और उत्तर प्रदेश में इस पर्व का एक अभिन्न हिस्सा मानी जाती थीं। उनका गाना सुनते ही लोग श्रद्धा से भर जाते थे और छठ की महत्ता और भी बढ़ जाती थी।
शुरुआत में परिवार की असहमति
अपने एक इंटरव्यू में, शारदा सिन्हा ने बताया कि उनके ससुराल में गायन को लेकर प्रारंभिक कठिनाइयां थीं। उन्होंने साझा किया, “मेरी सास ने दो दिनों तक खाना नहीं खाया था, क्योंकि उन्हें लगा कि घर की बहू का बाहर गाना गलत है। लेकिन मेरे ससुर जी को Bhajan Kirtan बहुत पसंद था। एक दिन गांव के मुखिया जी के आग्रह पर उन्होंने मुझे मंदिर में भजन गाने की अनुमति दी। मैंने सिर पर पल्लू लेकर ‘मोहे रघुवर की सुधि आई’ गाना गाया और वहां मौजूद लोगों का आशीर्वाद पाया।”
सास का गुस्सा और मनमुटाव
गाना गाने के बाद, उनकी सासू मां नाराज हो गईं और दो दिन तक खाना नहीं खाया। लेकिन जब बाहर के लोग उनकी तारीफ करने लगे और कहा कि ‘आपकी बहू बहुत अच्छा गाती है’, तो उनका गुस्सा धीरे-धीरे शांत हुआ। यह उनके संगीत करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
बॉलीवुड से गहरा नाता
Sharda Sinha’s Bollywood journey में कई हिट गाने शामिल हैं, जिन्होंने उनकी पहचान को और मजबूत किया। उन्होंने कहा था कि जब भी बॉलीवुड में folk music की जरूरत होती है, तो उन्हें याद किया जाता है।
शारदा सिन्हा की संगीतमय यात्रा में 1971 का साल एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। Lucknow में HMV (His Master’s Voice) द्वारा आयोजित एक प्रतिभा खोज प्रतियोगिता ने उनके जीवन को एक नई दिशा दी। शारदा अपने पति के साथ ऑडिशन देने लखनऊ गईं, जहां उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
HMV ऑडिशन का यादगार किस्सा
शारदा सिन्हा ने बताया, “मैंने ऑडिशन दिया, लेकिन HMV recording manager Zaheer Ahmed ने किसी को सिलेक्ट नहीं किया। मेरे पति ने उनसे आग्रह किया कि वे मेरा एक और टेस्ट लें। मैंने ‘यौ दुलरुआ भैया…’ गाना गाया और संयोग से उसी समय VK Dubey, HMV के एक वरिष्ठ अधिकारी, वहां पहुंचे। उन्होंने मेरी आवाज सुनते ही रिकॉर्डिंग टीम से कहा कि तुरंत मेरा गाना रिकॉर्ड किया जाए। इसके बाद मेरे गाने की रिकॉर्डिंग हुई और मैंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।”
छठ गीत रिकॉर्डिंग की शुरुआत
शारदा सिन्हा ने Chhath songs की रिकॉर्डिंग का सफर अपनी यादों से प्रेरित होकर शुरू किया। उन्होंने बताया, “बचपन में मेरी नानी Patna आकर छठ पूजा करती थीं और गंगा नदी में अर्घ्य देती थीं। उनके गाए छठ गीत मेरे कानों में पड़ते और मुझे याद रह जाते।”
शादी के बाद, उनकी सासू मां ने उन्हें छठ की परंपराएं और कहानियां सिखाईं। उन्होंने कहा, “मेरे पति बचपन में बीमार रहते थे, इसलिए मेरी सास छठ करती थीं। मैंने इन पारिवारिक कहानियों और छठ की रीतियों से प्रेरित होकर छठ गीत लिखे और रिकॉर्ड किए।”
प्रसिद्ध छठ गीतों की सूची
1978 में शारदा सिन्हा ने कई छठ गीत रिकॉर्ड किए, जिनमें शामिल हैं:
- ‘डोमिनी बेटी सुप लेले ठार छे’
- ‘अंगना में पोखरी खनाइब, छठी मैया आइथिन आज’
- ‘मोरा भैया गैला मुंगेर’
- ‘श्यामा खेले गैला हैली ओ भैया’
इन गीतों ने उन्हें Bhojpuri singer के रूप में एक अद्वितीय पहचान दिलाई।
नानी और सास से मिली प्रेरणा
शारदा सिन्हा ने कहा, “जिन छठ गीतों के लिए मैं जानी जाती हूं, वे मेरी नानी और सासू मां की देन हैं।” उन्होंने ‘केलवा के पात पर उगे ला सुरज देव’, ‘हो दीनानाथ’, और ‘सोना साठ कुनिया हो दीनानाथ’ जैसे गीत अपनी पारिवारिक यादों से प्रेरित होकर गाए। इन गीतों के जरिए सूर्य देव से परिवार की खुशहाली और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना की जाती है।
नई पीढ़ी के लिए विशेष गीत
शारदा ने बताया कि उन्होंने ‘पहली पहल हम कईनी छठी मैया व्रत तोहार’ विशेष रूप से उन लोगों के लिए लिखा था जो बाहर रहते हैं या जिनकी बहुएं अलग परिवेश से आती हैं। यह गीत नई पीढ़ी और modern Indian families को छठ पर्व से जोड़ने का प्रयास था।
प्रसिद्ध पुरस्कार और सम्मान
संगीत में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए, शारदा सिन्हा को 1991 में Padma Shri award और 2018 में Padma Bhushan award से सम्मानित किया गया। उनके गीतों ने regional songs की लोकप्रियता बढ़ाई और folk music को राष्ट्रीय पटल पर नई पहचान दी।
पारिवारिक संघर्ष और संगीतमय सफर
अपने शुरुआती संघर्षों के बारे में बात करते हुए, शारदा सिन्हा ने बताया, “मेरी सास ने शुरुआत में गाने को लेकर असहमति जताई थी और दो दिनों तक खाना भी नहीं खाया था। लेकिन मेरे ससुर ने मुझे भजन गाने की अनुमति दी, जिसके बाद गांव के लोग मेरी तारीफ करने लगे। धीरे-धीरे, मेरी सास का गुस्सा शांत हुआ और मुझे समर्थन मिला।”
लोक संगीत में अविस्मरणीय योगदान
शारदा सिन्हा को उनके लोक संगीत और छठ गीतों के लिए बिहार कोकिला का खिताब मिला। उन्होंने अपने करियर में कई बार देश और विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन किया और लोक संगीत को एक नई पहचान दिलाई। उन्हें पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।
आखिरी दिनों का संघर्ष
सिन्हा बीते 11 दिनों से दिल्ली AIIMS में भर्ती थीं। (Sharda Sinha last days) उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां वे अपनी बीमारी से नहीं उबर सकीं और 72 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गईं।
फैंस और संगीत प्रेमियों के लिए क्षति
उनके निधन की खबर सुनते ही संगीत जगत और उनके फैंस में शोक की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर फैंस और प्रमुख हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में उनके निधन को एक बड़ी क्षति माना जा रहा है।
शारदा सिन्हा का संगीतमय सफर
शारदा सिन्हा का संगीतमय सफर संघर्षों और सफलताओं से भरा रहा। (Padma Bhushan singer) उन्होंने एक छोटे से गांव से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक अपनी पहचान बनाई। उनकी आवाज और उनके गीत लोक संगीत के खजाने में हमेशा जीवित रहेंगे।
शारदा सिन्हा के निधन से पहले उनके बेटे अंशुमान सिन्हा ने 4 नवंबर की शाम यूट्यूब पर लाइव आकर लोगों से दुआ की अपील की थी। उन्होंने कहा था, “मेरी मां वेंटिलेटर पर हैं और उन्हें आपकी प्रार्थनाओं की बेहद जरूरत है। वह एक बड़ी लड़ाई में हैं और इस लड़ाई को जीतना बहुत मुश्किल है। कृपया दुआ करें कि वह इस कठिन समय से उबर सकें।”
नया छठ गाना हुआ था रिलीज
छठ पूजा से कुछ ही दिन पहले शारदा सिन्हा का नया Chhath Puja song उनके ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर रिलीज हुआ था। गाने के बोल थे, “दुखवा मिटाईं छठी मइया… रउए आसरा हमार… सबके पुरवेली मनसा… हमरो सुनलीं पुकार।” इसका ऑडियो पांच दिन पहले जारी हुआ था, जिसे दर्शकों ने बेहद पसंद किया।
22 सितंबर को पति का निधन
शारदा सिन्हा के लिए यह साल दुखदायी रहा। 22 सितंबर को उनके पति ब्रजकिशोर सिन्हा का ब्रेन हेमरेज के कारण निधन हो गया था। इसके बावजूद, उन्होंने अपने संगीत से छठ पर्व की खुशियों को जीवित रखा। उनकी गायिकी की शुरुआत उनके भाई की शादी में गाए एक गीत से हुई थी, जो बाद में उनकी पहचान बन गई।
पीएम मोदी समेत बड़े नेताओं ने जताया शोक
शारदा सिन्हा के निधन पर PM Modi, गृहमंत्री अमित शाह, नीतीश कुमार, और अन्य प्रमुख नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा के गाए मैथिली और Bhojpuri songs पिछले कई दशकों से लोकप्रिय रहे हैं। महापर्व छठ से जुड़े उनके गीत सदैव हमारी सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा रहेंगे।”
गृहमंत्री अमित शाह की प्रतिक्रिया
Amit Shah ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “बिहार कोकिला के रूप में प्रसिद्ध शारदा सिन्हा जी ने मैथिली और भोजपुरी folk songs को जन-जन का कंठहार बनाया। उनका स्वर छठ महापर्व पर निश्चय ही भक्तों को और भी भावुक कर देगा।”
नीतीश कुमार का बयान
Bihar CM Nitish Kumar ने कहा, “बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के गाए छठ महापर्व के मधुर गीतों की गूंज पूरे देश में सुनाई देती थी। उनके निधन से संगीत जगत में अपूरणीय क्षति हुई है।”
अन्य नेताओं की संवेदनाएं
रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने X पर लिखा, “शारदा सिन्हा जी ने अपने बहुमुखी प्रतिभा से भोजपुरी भाषा को जन-जन में लोकप्रिय बनाया। उनके गीतों को लोग सदैव याद रखेंगे।”
UP के CM Yogi Adityanath ने लिखा, “प्रख्यात लोक गायिका, Padma Bhushan awardee डॉ. शारदा सिन्हा ने मैथिली, भोजपुरी और अन्य लोक भाषाओं के माध्यम से देश की सांस्कृतिक धरोहर को संजोया और उसे राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाई।”
केंद्रीय मंत्री Shivraj Singh Chauhan ने कहा, “जब पूरा देश उनके गीतों में डूबा होता है, ऐसे में उनका यूं चले जाना अत्यंत कष्टदायक है। Chhath festival उनके गीतों के बिना अधूरा है।”
छठ गीतों की अमर धरोहर
शारदा सिन्हा के छठ गीतों ने उन्हें एक अद्वितीय स्थान दिलाया। उनके गाए गीत “काचे घड़े पर पानी” और “पटना के घाट पर” जैसे गीत हर छठ पूजा में गूंजते रहते हैं। उनके संगीत ने न केवल Bihar बल्कि पूरे देश में एक अमिट छाप छोड़ी है।
निष्कर्ष: शारदा सिन्हा का निधन लोक संगीत और छठ पर्व के प्रेमियों के लिए एक गहरा आघात है। उनके द्वारा गाए गए गाने सदैव लोगों के दिलों में बसे रहेंगे और उनकी संगीत विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
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