बॉलीवुड अभिनेता विक्की कौशल की हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘सरदार उधम’ ने शुक्रवार (15 अक्टूबर) को एक विशेष स्क्रीनिंग रखी, जिसमें इरफान खान की पत्नी सुतपा सिकदर और बेटे बाबिल खान सहित कई बी-टाउन सेलेब्स शामिल हुए। फिल्म के दौरान सभी ने इरफान को खूब याद किया। वहीं सुतापा ने एक इंटरव्यू के दौरान इरफान से जुड़ी कुछ यादें शेयर की और बताया कि यह रोल इरफान का ड्रीम रोल था।
विक्की को देख सुतापा को आई इरफान की याद
सुतापा ने कहा, “विक्की को बड़े पर्दे पर देखकर उन्हें इरफ़ान की भी याद आ गई, जो अपनी भूमिका के लिए फिल्म को लेकर लगभग एक बच्चे की तरह उत्साहित थे।” नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में अपने दिनों को याद करते हुए,
उन्होंने बताया कि विक्की और इरफान की तुलना फिल्मों में उनकी उम्र और अनुभव के कारण करना अनुचित था, उन्होंने जोर देकर कहा कि विक्की के चेहरे में जुनून, समर्पण, कड़ी मेहनत दिखाई देती है। और सिनेमा के लिए उनका प्यार बिल्कुल इरफ़ान जैसा दिखता है।
उन्होंने आगे कहा कि इरफान जहां भी हैं, उन्हें विक्की को सरदार उधम सिंह के रूप में देखकर खुश होना चाहिए, क्योंकि यह उनका ड्रीम रोल था।
फिल्म सरदार उधम सिंह की बायोपिक
विक्की कौशल की यह फिल्म भारतीय क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह की बायोपिक है, जिन्होंने ब्रिटेन में ब्रिटिश भारत के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ’डायर की हत्या कर दी थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए उधम सिंह ने ऐसा किया था। जनरल ओ’डायर ने इस गोलीबारी का आदेश दिया था। फिल्म का निर्देशन सुजीत सरकार ने किया है, जबकि रॉनी लाहिड़ी और शील कुमार फिल्म के निर्माता हैं।
वहीं इरफान खान की बात करें तो आखिरी बार फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ में वे नजर आए थे, जो 13 मार्च, 2020 को रिलीज हुई थी। हालांकि, लॉकडाउन के चलते यह फिल्म सिर्फ दो दिन ही सिनेमाघरों में चल पाई और फिर पिछले साल ही मुंबई में इरफान का निधन हो गया।
सरदार उधम के लिए इरफान खान थे पहली पसंद
जब इस फिल्म पर काम शुरू हुआ तो सबसे पहले सरदार उधम सिंह का किरदार निभाने के लिए मेकर्स के दिमाग में दिवंगत इरफान खान का नाम आया। मेकर्स उन्हें फिल्म में कास्ट करना चाहते थे, लेकिन उनकी बीमारी और इलाज के चलते मेकर्स ने आखिरकार विक्की कौशल को कास्ट करने का फैसला बदल दिया।
शूजीत 20 साल से इस विषय पर कर रहे थे शोध
शूजीत सरकार 20 साल पहले जलियांवाला बाग गए थे। यहां जाकर उनका इतना गहरा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने पुस्तकालयों में जाकर दस्तावेज एकत्र करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, मैं जोश के साथ एक फिल्म बनाने मुंबई आया था। सरदार उधम सिंह की तरह मैंने भी 21 साल तक इंतजार किया। मेरे जो भी एक्सप्रेशन थे, मैंने उन्हें फिल्म में डाला है।
सेट तैयार करना बहुत मुश्किल था
फिल्म 1919 से 1940 के बैगड्रॉप में बनाई गई है, ऐसे में मेकर्स के लिए भारत का सेट तैयार करना मुश्किल काम था जिसे अंग्रेजों ने गुलाम बनाया था। ब्रिटिश शासन की ऊंची इमारतों से लेकर पुरानी कारों, कोयले से चलने वाली ट्रेनों तक, फिल्म के हर दृश्य के लिए सेट तैयार किए गए थे।
सरदार उधम सिंह स्वयं विश्व राजनीति के गहरे जानकार थे
विक्की ने चरित्र की तैयारी के लिए विश्व राजनीति के ज्ञान को भी जोड़ा। उन्होंने कहा, ‘वास्तव में सरदार उधम सिंह या भगत सिंह, गांधीजी या उस समय के कोई अन्य स्वतंत्रता सेनानी सिर्फ भारतीय नागरिक नहीं थे। वह एक वैश्विक नागरिक थे। सरदार उधम सिंह स्वयं विश्व राजनीति के गहरे ज्ञाता थे।
ऐसी कोई किताब नहीं थी जो उसने न पढ़ी हो। वह बहुत जुनूनी थे। जब भी क्रांतिकारी आपस में कहीं मिलते थे तो उनका मत यही होता था कि देश ही नहीं, विश्व का प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्र हो। इस तरह यह फिल्म किसी इंसान की बायोपिक नहीं बल्कि एक विचारधारा की बायोपिक है। विचारधारा की खूबी यह है कि वह कालातीत है।
Vicky Kaushal | Third Patriotic Film After Uri And Raazi | Vicky Kaushal Praises Sardar Udham Singh | Director Sujit Sarkar | Irfan Khan | Sutapa Sikdar |