सिर दर्द होने के ये कारण शायद आप नहीं जानते होंगे, जानिए हैडेक से जुड़ी वो जानकारी जो आपके लिए जानना जरूरी है Read it later

सिर दर्द होने के ये कारण शायद आप नहीं जानते होंगे

माइग्रेन और तनाव सिरदर्द या क्लस्टर सिरदर्द को बढ़ाने वाली वजहों को ट्रिगर कहा जाता है। अधूरी नींद, प्रोसेस्ड फूड और स्मेल के अलावा और भी कई तरह कारण हो सकते हैं जो सिरदर्द का कारण बन सकते हैं। जानिए जीवनशैली से जुड़े सिरदर्द के कारण क्या हो सकते हैं…

50% आबादी को सालाना एक बार जरूर होता है सिरदर्द 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनिया की 50 प्रतिशत युवा आबादी को साल में कम से कम एक बार सिरदर्द से संबंधित परेशानी कसे जरूर जूझना पड़ता है। वहीं, दुनिया की 1.7% से 4% युवा आबादी महीने में 15 दिन सिरदर्द की समस्या से जूझती है।

सिर दर्द का नींद से नाता

 सिर दर्द का नींद से नाता

नींद की कमी से माइग्रेन और तनाव सिरदर्द होता है। हालांकि अभी तक कम नींद से होने वाले इस दर्द का सीधा कारण पता नहीं चल पाया है। लेकिन, साइंस के अनुसार दर्द और नींद में संबंध तो होता ही है। 

विशेषज्ञों की माने तो अच्छी नींद सिरदर्द को कम करती है। ऐसे में भरपूर नींद सिरदर्द को कम करने के लिए बेहद जरूरी है।

आहार:प्रोसेस्ड फूड है हानिकारक

आहार:प्रोसेस्ड फूड है हानिकारक

कुछ खाद्य पदार्थ जैसे बीन्स, दालें, केला, पनीर, डेयरी उत्पाद और प्याज जैसी खाद्य वस्तुएं माइग्रेन के दर्द को बढ़ाने का काम करती हैं। ऐसे प्रोसेस्ड फूड पदार्थ जिनमें नाइट्राइट, मोनो सोडियम ग्लूटामेट होते हैं, ये सभी सिरदर्द को में इजाफा करते हैं। 

वातावरण: तेज स्मेल भी बनती है सिरदर्द का कारण

वातावरण: तेज स्मेल भी बनती है सिरदर्द का कारण

गंध से होने वाले सिरदर्द की वजह ज्यादातर मौसमी होता है। वसंत या शरद ऋतु में लोगों को माइग्रेन का दर्द अधिक होता है। तेज रोशनी, नमी, तेज गंध, ठंड के मौसम में यह दर्द शुरू हो जाता है। वहीं महिलाओं को माइग्रेन होने का खतरा अधिक होता है।

स्ट्रेस: गर्दन और पीठ से सिर तक पहुंचता है दर्द

कंधे और गर्दन की मांसपेशियों में तनाव बढ़ जाता है। जिससे यह दर्द गर्दन और पीठ से शुरू होकर सिर तक पहुंचता है। जब ऐसा लगातार होता है तो कंधे और गर्दन का दर्द भी सिरदर्द में इजाफे का काम कर सकता है। 

चेहरे पर होने वाला सिरदर्द

चेहरे पर होने वाले दर्द का कारण सिरदर्द भी हो सकता है, जिसे अक्सर लोग समझ नहीं पाते हैं। जर्मनी के हैम्बर्ग विश्वविद्यालय के अनुसार, सिरदर्द से पीड़ित 10 प्रतिशत लोग चेहरे के दर्द से जूझते हैं। 

शोधकर्ताओं का कहना है कि चेहरे के दर्द को अभी तक सिरदर्द के लक्षण के रूप में मान्यता नहीं मिल पाई है।

माइग्रेन क्या है?


माइग्रेन क्या है?

ये सिरदर्द तीव्र या गंभीर होते हैं और अक्सर सिरदर्द के अलावा अन्य लक्षण भी पैदा करते हैं। डॉक्टर बताते हैं कि माइग्रेन के सिरदर्द से जुड़े लक्षणों में मतली, एक आंख या कान के पीछे दर्द, टेंपल में दर्द, प्रकाश या ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता, अस्थायी दृष्टि हानि और उल्टी शामिल हैं। 

यह माइग्रेन सिरदर्द आमतौर पर सिर के केवल एक तरफ को प्रभावित करेगा। माइग्रेन के सिरदर्द में तीव्र दर्द होता है, जो आपके दैनिक कार्यों को बहुत कठिन बना देता है। 

यह दर्द कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक रह सकता है। दूसरी ओर, जब माइग्रेन ट्रिगर की बात करें तो इसमें  इमोश्नल स्ट्रेस, गर्भ निरोधकों का उपयोग, एल्कॉहल कंजंप्शन, हार्मोनल चेंजेंस, रजोनिवृत्ति आदि शामिल हैं।

माइग्रेन का सटीक इलाज क्या है?

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार सिरदर्द और माइग्रेन के इलाज का तरीका अलग होता है। अगर सिर दर्द के इलाज की बात करें तो दवाओं के साथ-साथ रिलैक्सेशन तकनीक का इस्तेमाल कारगर साबित हो सकता है। 

अब चूंकि सिरदर्द के मुख्य वजहों में से एक तनाव भी होता है, इसलिए आप मालिश, ध्यान, गर्दन में खिंचाव, विश्राम व्यायाम आदि के लिए हीट थैरेपी ले सकते हैं। 

साथ ही, प्रिवेंशन को माइग्रेन के इलाज में बेहतर तरीका माना जाता है। दरअसल, माइग्रेन के दर्द के कुछ ट्रिगर होते हैं और यदि आप इसका ध्यान रखें तो माइग्रेन के दर्द से काफी हद तक निपटा जा सकता है। 

इनमें डाइट में परिवर्तन के साथ-साथ चिकित्सक की सलाह के अनुसार दवाएं लेना और तनाव कम करने के लिए जरूरी कदम उठाना शामिल है।

दुनिया में हर सातवां व्यक्‍ति माइग्रेन से प्रभावित

दुनिया में हर सातवां व्यक्‍ति माइग्रेन से प्रभावित

एक अध्ययन के अनुसार, माइग्रेन एक ऐसा न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है जो विश्व स्तर पर हर सातवें व्यक्ति को प्रभावित करता है। भारत में 15 करोड़ लोग माइग्रेन से प्रभावित हैं। 

भारतीय महिलाओं पर इसका असर ज्यादा है। 24 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 76 प्रतिशत महिलाएं माइग्रेन से पीड़ित हैं। 

70 प्रतिशत लोगों में माइग्रेन का कारण मानसिक तनाव

18 से 29 के बीच के करीब 35 फीसदी युवा इसके शिकार हैं। लगभग 30 प्रतिशत रोगी पुरानी स्थिति के हैं। माइग्रेन से पीड़ित 70 प्रतिशत में मानसिक तनाव, 46 प्रतिशत में उपवास, 52 प्रतिशत में यात्रा, 44 प्रतिशत में नींद की गड़बड़ी, 13 प्रतिशत में मासिक धर्म की अनियमितता, 10 प्रतिशत में मौसम का परिवर्तन। 

लगभग 34 प्रतिशत रोगियों में  दौरे पड़ने के कई कारक शामिल थे। वहीं विशेषज्ञों के अनुसार बढ़ती उम्र के साथ माइग्रेन का दर्द कम होता पाया गया है।

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