जिन लोगों की आवाज चली गई है, वे अब आसानी से अपने मन की बात दूसरों तक पहुंचा पाएंगे। इसके लिए जेब्रा बर्ड के ब्रेन सिग्नल का इस्तेमाल किया जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार, जो लोग बोल नहीं सकते और एक विशेष प्रकार के पक्षी के मस्तिष्क के संकेतों के बीच कई समानताएं पाई गई हैं।
अब वैज्ञानिक एक ऐसा उपकरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिससे बधिर लोग भी संकेतों के जरिए अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकें। यह कारनामा अमेरिका के सैन डिएगो स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया है। इसका परीक्षण ज़ेबरा नाम के पक्षियों पर किया गया है।
सिलिकॉन प्रत्यारोपण की मदद से रिकॉर्ड किए गए सिग्नल
जब नर ज़ेबरा पक्षी गा रहा था, वैज्ञानिकों ने सिलिकॉन प्रत्यारोपण की मदद से उसके मस्तिष्क के संकेतों को रिकॉर्ड किया। फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से भविष्यवाणी की गई कि पक्षी आगे कौन सा गाना गा सकता है।
वैज्ञानिकों ने दावा किया कि इस तरह से भविष्यवाणियां करने से उन लोगों के दिमाग को समझा जा सकता है जो बोल नहीं सकते। यह तकनीक को एक उपकरण में बदलने और यह जानने की अनुमति देगा कि वे क्या कहना चाहते हैं।
मरीजों की ‘नई आवाज’ बनेगी तकनीक
वर्तमान में ऐसे आर्ट इम्प्लांट हैं जो लोगों की आवाज को सुन सकते हैं और उन्हें शब्दों में अनुवाद कर सकते हैं, लेकिन हमारी नई तकनीक उनके दिमाग को समझेगी और उनकी ‘नई आवाज’ बनेगी।
शोधकर्ता डेरिल ब्राउन कहते हैं, पक्षियों के मस्तिष्क के संकेतों ने उन लोगों के लिए एक नया रास्ता दिखाया है जो बोल नहीं सकते। हम पक्षी गीतों का अध्ययन कर रहे हैं, जिससे मानव संचार को समझने में मदद मिलेगी।
पक्षी इंसानों की मदद कैसे कर सकते हैं?
शोधकर्ताओं का कहना है कि पक्षियों के गाने के तरीके और इंसानों की आवाज में कई समानताएं हैं। जैसा कि दोनों इसे धीरे-धीरे सीखते हैं।
अन्य जानवरों के शोर की तुलना में इसे समझना भी अधिक कठिन है। शोध के दौरान किए गए प्रयोगों से यह पता चल पाया है कि मस्तिष्क को समझकर उसकी आवाज कैसे बनाई जा सकती है।
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